शिमला: हिमाचल की राजनीति के राजा कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह की आज पहली पुण्यतिथि (Virbhadra singh Death anniversary) है. उनके निधन को 1 साल पूरा हो गया है. उनकी पुण्यतिथि को कांग्रेस संकल्प दिवस के रूप में मनाने जा रही है. प्रदेश भर में कांग्रेस ब्लॉक स्तर पर जहां कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि देगी. वहीं हॉली लॉज के द्वारा शिमला के गेयटी थियेटर में सर्व धर्म सभा का आयोजन करने जा रही है. जहां सभी धर्मों के लोगों को आमंत्रित किया गया है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाएगी.
बता दें कि वीरभद्र सिंह ने 8 जुलाई को आईजीएमसी में आखिरी सांस ली थी और रामपुर में उनका अंतिम संस्कार हुआ था. छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह ने पांच दशक के राजनीतिक जीवन में जनता का भरपूर स्नेह हासिल किया था. हिमाचल में कांग्रेस का वीरभद्र सिंह को मजबूत स्तम्भ माना जाता था. हिमाचल की राजनीति की चर्चा वीरभद्र सिंह के बिना अधूरी है. इसमें कोई दो रय नहीं कि इस पहाड़ी प्रदेश की नींव हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार (Founder of Himachal Dr. YS Parmar) ने रखी और वीरभद्र सिंह ने उस नींव पर विकास का मजबूत ढांचा खड़ा किया है.
छह बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालना अपने आप में बड़ी बात है. यही नहीं, वीरभद्र सिंह ने केंद्र में भी महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं. वे बेशक केंद्र में भी सक्रिय रहे, परंतु उनका मन हिमाचल में ही रमता था और उनकी प्राथमिकता अपने प्रदेश की जनता रही. वे केंद्र की राजनीति से हिमाचल लौटते रहे. कांग्रेस के महान नेता लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणा से राजनीति में आए वीरभद्र सिंह ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव के साथ काम किया. अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनके अच्छे संबंध रहे.
आखिर क्यों इतने लोकप्रिय रहे वीरभद्र सिंह: आखिर ऐसा क्या है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश की जनता और यहां के राजनीतिक गलियारों में इतने लोकप्रिय रहे? इसके पीछे कई कारण हैं. वीरभद्र सिंह आम जनता से स्नेह करते थे. साधनहीन लोगों के प्रति उनके मन में करुणा थी. वे जरूरतमंद लोगों के लिए हमेशा मदद पहुंचाते थे. वीरभद्र सिंह एक कुशल प्रशासक के तौर पर तो जाने ही जाते हैं, उनका प्रदेश के विकास को लेकर भी स्पष्ट विजन था.
हिमाचल प्रदेश में इस समय स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में जो आधारभूत ढांचा है, उसके पीछे वीरभद्र सिंह का ही विजन रहा है. आईजीएमसी अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट (IGMC Shimla Super Specialty Department) शुरू करवाने में उनका योगदान है. यहां ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा इनके ही कार्यकाल में आरंभ हुई थी. तब वीरभद्र सिंह के प्रयासों से ही एम्स की टीम ने वर्ष 2005 में यहां आकर शुरुआती ऑपरेशन किए थे.
2012 में अपने दम पर सत्ता में लाए कांग्रेस को: वर्ष 2012 के चुनाव से पूर्व हिमाचल में भाजपा काफी अच्छी स्थिति में थी. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार को भरोसा था कि भाजपा मिशन रिपीट में कामयाब होगी. तब वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति से वापिस हिमाचल आए और अकेले अपने दम पर कांग्रेस को सत्ता में ले आए. वे छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री (Former CM Himachal Pradesh Virbhadra Singh) बने.
जनता से जुड़ाव की कला जानते थे वीरभद्र सिंह: जिस तरह एक कुशल वैद्य मरीज की नब्ज पकड़ते ही मर्ज का पता लगा लेता है और इलाज करता है, उसी तरह वीरभद्र सिंह भी हिमाचल की जनता की नब्ज से वाकिफ थे. हॉली लॉज (Holly lodge shimla) पहुंचने वाले हर फरियादी को वीरभद्र सिंह ने कभी खाली हाथ नहीं लौटाया. एक बार उनके ससुराल जुन्गा की एक महिला बरसात के समय शिमला में फंस गई थी. महिला के पास घर जाने के लिए किराया तक नहीं था और न ही छाता. तब वो महिला किसी तरह हॉली लॉज पहुंची और वीरभद्र सिंह से कहा कि वो उनके ससुराल से हैं, ऐसे में वीरभद्र सिंह उनकी मदद करें.
ये घटना 1995 की है. तब वीरभद्र सिंह ने उस महिला को पांच सौ रुपए दिए और साथ ही एक छाता भी दिया. इसी तरह मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से मदद करने में भी वीरभद्र सिंह ने कभी भेदभाव नहीं किया. वर्ष 2006 में मंडी जिले के एक भाजपा समर्थक की बाइपास सर्जरी के लिए उन्होंने 1.26 लाख रुपए सेंक्शन किए थे. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता को चार चांद लगाते रहे हैं.
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