शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार और स्वास्थ्य विभाग बेहतर सुविधा देने की दावा करते है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. प्रदेश के सबसे बडे अस्पताल आईजीएमसी में केंसर अस्पताल में बेड की कमी के चलते कैंसर के मरीजों को डेंटल चेयर पर कीमो थैरेपी दी जा रही है. इसके चलते मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रतिदिन 70 मरीजों के लिए सिर्फ 18 बेड: अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक कैंसर अस्पताल शिमला में प्रतिदिन कीमो थैरेपी के लिए पूरे राज्य से 70 मरीज आते हैं. अस्पताल में कुल 18 बेड हैं और मरीज ज्यादा होने पर व्यवस्था कम पड़ जाती है. मरीजों को ब्लड से लेकर कीमो थैरेपी देने तक के लिए डेंटल चेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है. व्यवस्थाएं कम होने के कारण डॉक्टरों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. वहीं, मरीजों को अपनी बारी का इंतजार चार दिनों तक भी करना पड़ता है और अगर सिर्फ बैड की संख्या के आधार पर ब्लड या कीमो थैरेपी दी जाए तो ये इंतजार और लंबा हो जाएगा.
रेन शेल्टर में रहने को मजबूर: हमीरपुर से आए रमेश का कहना है कि वह अपने मरीज के साथ कैंसर अस्पताल में कीमो थैरेपी के लिए आए हैं, लेकिन व्यवस्थाएं कम होने के कारण उन्हें दो दिन इंतजार करना पडे़गा. उन्होंने बताया कि दवाई फ्री है ,लेकिन रहने ओर खाने -पीने का खर्चा बहुत ज्यादा होता है. वहीं, किन्नौर से आए सुजैन नेगी का कहना है कि वो दो दिन से यहां पर है. उन्हें अपने रिश्तेदार का कीमो थैरेपी करवानी है लेकिन यहां पर रहना काफी मुश्किल है, इसलिए वह रेन शेल्टर में रात गुजार रहे हैं. मरीजों को अस्पताल में बैड की कमी के कारण दूर-दराज से आए मरीजों और उनके परिजनों को अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ती है और इलाज के लिए इंतजार लंबा होता रहता है.
कई बार एक बिस्तर पर दो मरीज: कई बार अस्पतलों में एक बेड पर दो मरीजों का इलाज भी किया जाता है. व्यवस्थाओं की कमी के कारण ये कोई नई बात नहीं है लेकिन जिस तरह से कोरोना का संक्रमण फिर से पांव पसार रहा है उसे देखते हुए व्यवस्थाओं की ये कमी मरीजों को ले और भी घातक हो सकती है. अस्पताल में प्रतिदिन करीब 40 मरीजों का ही कीमो हो पाता है, उसके बाद मरीजों को ब्लड चढ़ाया जाता है. मरीजों को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही ब्लड चढ़ाया जाता है. जिन मरीजों को दोपहर 2 बजे से पहले ब्लड नही चढ़ पात उन्हें अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है.
डेंटल चेयर और बिस्तरों की संख्या 30: कैंसर अस्पताल के एचओडी डॉ. मनीश गुप्ता ने बताया कि रोज असप्ताल में करीब 70 मरीज आ रहे हैं. अस्पताल में कुल बिस्तर और डेंटल चेयर की संख्या 30 है. उन्होंने कहा कि डेंटल चेयर पर ब्लड चढ़ाने या ड्रिप लगाने के लिए मरीजों को रखा जाता है. उन्होंने कहा कि कई बार मरीजों को ब्लड नहीं मिलता, जिससे उनकी वेटिंग बढ़ती जाती है और उन्हें रुकना पड़ता है.
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