शिमला: राजधानी शिमला में रविवार को सीटू, इंटक सहित दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने राज्य सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान ट्रेड यूनियन ने 'भारत बचाओ दिवस' और किसानों ने 'किसान मुक्ति दिवस' मनाया.
बता दें कि हजारों मजदूरों ने प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया. उपायुक्त कार्यालय शिमला के बाहर करीब 500 मजदूरों, किसानों, महिलाओं और छात्रों ने केंद्र सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल में भी सरकारें मजदूरों और किसानों का शोषण कर रही है. केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज,वाणिज्य एवम व्यापार(संवर्धन एवम सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन (बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 और आवश्यक वस्तु अधिनियम(संशोधन) 2020 में किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है.
विजेंद्र मेहरा ने मांग की है कि केंद्र सरकार कोरोना काल में सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करे और खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करे. किसानों की पूर्ण कर्ज माफी की जाए. किसानों को फसल का सी-2 लागत से 50 फीसद अधिक दाम दिया जाए.
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि किसानों के लिए 'वन नेशन-वन मार्किट' नहीं बल्कि 'वन नेशन-वन एमएसपी' की नीति लागू की जाए. किसानों व आदिवासियों की खेती की जमीन कम्पनियों को देने और कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाई जाए.
विजेंद्र मेहरा ने मांग की है कि महिला शोषण पर रोक लगाई जाए, उनका आर्थिक शोषण बंद किया जाना चाहिए, नई शिक्षा नीति को वापिस लिया जाए, शिक्षा के निजीकरण,व्यापारीकरण और केंद्रीकरण पर रोक लगाई जाए, बढ़ती बेरोजगारी पर रोक लगाई जाए, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए.
ये भी पढ़ें: युवा कांग्रेस का आज स्थापना दिवस, नेताओं ने पौधारोपण करके मनाया ये दिन