शिमला: हिमाचल प्रदेश की वादियां पूरे देश में अपने मौसम और शांत माहौल के लिए प्रसिद्ध हैं. साल भर देश-विदेश के लाखों सैलानी देवभूमि के पहाड़ों के दीदार के लिए पहुंचते हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है. वैसे तो हिमाचल में सैकड़ों टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स हैं लेकिन आपको यहां हम बताने जा रहे हैं कि हिमाचल में आने वाले सैलानी किन दस जगहों पर सबसे ज्यादा पहुंचते हैं और ऐसा क्या है जो इन जगहों को खास बनाता हैं.
काजा, स्पीति
काजा स्पीति घाटी का उप-संभागीय मुख्यालय है. समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 3,800 मीटर है. यह स्पीति नदी के बांए किनारे पर खड़ी चोटी की तलहटी पर स्थित है. कभी यह स्पीति के प्रमुख "नैनो" का मुख्यालय था. यह राजधानी शिमला से 425 किलोमीटर दूर है. काजा में एक भरन स्टेशन, आराम घर और कुछ छोटे होटल हैं. यह इस क्षेत्र में भ्रमण लिए आधार के रूप में कार्य करता है. अन्य स्थानों में कि, हिक्किम, कोमोक और लांगिया मठों में घुमा जा सकता है.
मलाणा
कुल्लू की पार्वती घाटी के चंद्रखणी पर्वत की गोद में विश्व का प्राचीनतम लोकतंत्र मलाना गाँव स्थित है . नदी से सटी खूबसूरत पहाडियों पर लगभग समुद्र तल से 8500 फुट की ऊंचाई पर बसा मलाना गांव शहरी सभ्यता और आधुनिकता से काफी समय तक अनछुआ रहा है . इस गांव का इतिहास बहुत पुराना है. जनश्रुतियों के अनुसार यहां के लोगों को सिकंदर का वशंज माना जाता है. बाहरी व्यक्तियों को गांव की अधिकतर चीज़ों को छूने की मनाही है .
डलहौजी
चंबा स्थित डलहौजी धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित एक बहुत की खूबसूरत पर्यटक स्थल है. पांच पहाड़ों (कठलौंग, पोट्रेन, तेहरा, बकरोटा और बलुन) पर स्थित यह पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का हिस्सा है. अंग्रेजों ने 1854 में इसे बसाया और विकसित किया तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस जगह का नाम डलहौजी रखा गया. अंग्रेज सैनिक और नौकरशाह यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे. मनमोहक वादियों और पहाड़ों के अलावा यहां के अन्य आकर्षण प्राचीन मंदिर, चंबा और पांगी घाटी हैं.
'मिनी इजराइल' कसोल
कसोल जिला कुल्लू का एक गांव है. यहां इजराइल के लोग बहुत ज्यादा संख्या में आते हैं इसलिए इसे मिनी इजराइल के नाम से भी जाना जाता है. ये गांव पार्वती घाटी में पार्वती नदी के किनारे पर स्थित है, ये जगह मणिकर्ण से 5 किमी की दूरी पर स्थित है. ये गांव मलाना और खीरगंगा के नजदीकी ट्रेक के लिए बेस कैंप के रूप में भी काम करता है.
खजियार
खजियार को 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है. स्विज राजदूत ने यहां की खूबसूरती से आकर्षित होकर 7 जुलाई, 1992 को खज्जियार को हिमाचल प्रदेश का 'मिनी स्विटजरलैंड' की उपाधि दी थी. हजारों साल पुराने इस छोटे से हिल स्टेशन को खासकर खज्जी नागा मंदिर के लिए जाना जाता है. यहां नागदेव की पूजा होती है. लेकिन पर्यटक मुख्य रूप से इस हिल स्टेशन की आबोहवा का आनंद लेने के लिए आते हैं. खज्जियार का मौसम दिनभर तो सुहाना रहता है लेकिन शाम ढलने पर यहां का मौसम कुछ इस कदर मनमोहक और रोमांचित करने वाला हो जाता है कि आप खुद को किसी और ही दुनिया में पाने लगते हैं. खज्जियार का आकर्षण चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढके खज्जियार झील में है. झील के चारों ओर हरी-भरी मुलायम और आकर्षक घास खज्जियार को सुंदरता प्रदान करती है.
बीड़ बिलिंग
बीड़ बिलिंग मंडी जिला के जोगिंद्र नगर में स्थित एक गांव है. इसे "भारत की पैराग्लाइडिंग कैपिटल" के रूप में जाना जाता है, बीड़ पारिस्थितिकी, आध्यात्मिक अध्ययन और ध्यान के लिए एक प्रसिद्ध केंद्र भी है. बीर कई बौद्ध मठों और एक बड़े स्तूप के साथ एक तिब्बती शरणार्थी निपटान का भी घर है. बीड़-बिलिंग क्षेत्र इको-टूरिस्म के लिए एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है, जो पैराग्लाइडिंग, हैंग ग्लाइडिंग, ट्रेकिंग और कैम्पिंग के लिए मशहूर है.
कसौली
समुद्री तल से 1795 की ऊंचाई पर स्थित कसौली हिमाचल प्रदेश का एक छोटा हिल स्टेशन है. ये जगह शिमला से 77 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है. अपनी सफाई और सुंदरता के लिए मशहूर कसौली में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. ये पर्वतीय स्थान फर, रोडोडेंड्रॉन, अखरोड़, ओक और विलो के लिए प्रसिद्ध है. कसौली में 1900 के दौरान पाश्चर संस्थान की स्थापना की गई जहां एंटी रेबीज टीका, पागल कुत्ते के काटने की दवा के साथ हाइड्रो फोबिया रोग का इलाज भी किया जाता है. कसौली प्रसिद्ध लेखक रसकिन बॉन्ड का जन्म स्थान भी है. ये जगह मंकी प्वाइंट, कसौली भट्टी, बाबा बालक नाथ मंदिर और गोरखा फोर्ट के लिए प्रसिद्ध है.
धर्मशाला
धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी है और कांगड़ा जिले का मुख्यालय भी है. धर्मशाला के मैक्लॉडगंज उपनगर में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मुख्यालय हैं, और इस कारण यह दलाई लामा का निवास स्थल तथा निर्वासित तिब्बती सरकार की राजधानी है. धर्मशाला को भारत सरकार के स्मार्ट सिटीज मिशन के अंतर्गत एक स्मार्ट नगर के रूप में विकसित होने वाले सौ भारतीय नगरों में से एक के रूप में भी चुना गया है. धर्मशाला तिब्बती शरणार्थियों का निवास-स्थान है. यह नगर ऐतिहासिक डल झील, खनियारा व कंजार महादेव मेले के लिए जाना जाता है. भागसूनाग, कुणाल पत्थरी व चिन्मन्या जैसे हिन्दुओं के मन्दिर यहां या नगर के निकट स्थित हैं. चामुण्डा देवी, कांगडा का बृजेशवरी, ज्वालामुखी व चिन्तपूर्णी मंदिर भी नगर के पड़ोस में स्थित है. इसके साथ ही धर्मशाला का इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र है.
शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी और ब्रिटिश कालीन समय में ग्रीष्म कालीन राजधानी शिमला राज्य का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र है. यहां का नाम देवी श्यामला के नाम पर रखा गया है . शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है, जहां पूरे वर्ष ठण्डी हवाएं चलने का वरदान है. यहां से महान हिमालय पर्वत की चोटियां चारों ओर दिखाई देती हैं. इसके उत्तर में बर्फ मानों क्षितिज तक जमी हुई है. शिमला का सुखद मौसम, आसानी से पहुंच और ढेरों आकर्षण इसे उत्तर भारत का एक सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्थान बना देते हैं.
मनाली
मनाली एक लोकप्रिय हिमालय सम्बन्धी पर्यटक स्थल है और हिमाचल आने वाले कुल यात्रियों में लगभग एक चौथाई लोग मनाली की वादियों के दीदार के लिए आते हैं. मनाली का ठंडा वातावरण भारत की चिलचिलाती गर्मी के मौसम में भी राहत प्रदान करता है. यहां साहसी खेलों जैसे स्कीइंग, हाइकिंग, पर्वतारोहण, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रेकिंग और माउन्टेन बाइकिंग का भी पर्यटक आनन्द लेते हैं. यॉक स्कीइंग इस क्षेत्र का एक अनोखा खेल है. अपने "एक्सट्रीम याक स्पोर्ट्स" के कारण मनाली को "एशिया में सर्वश्रेष्ठ" के रूप में टाईम्स मैगजीन में चित्रित किया गया है. मनाली न्यूली मैरिड कपल का एक पसंदीदा स्थान बन गया है. आंकड़े दर्शाते हैं कि टूरिस्ट सीजन (मई, जून, दिसंबर, जनवरी) में रोजाना लगभग 550 जोड़े हनीमून के लिए मनाली पहुंचते हैं.