शिमला: कारोबारी समूह अडानी को अपफ्रंट प्रीमियम की 280 करोड़ रुपए की रकम लौटाने के मामले में अब सुनवाई 2 मई को होगी. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से अडानी समूह की याचिका और सरकार की अपील की एक साथ सुनवाई की गुहार लगाई थी. अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व कंपनी की तरफ से दाखिल अपीलों पर एक साथ सुनवाई 2 मई को तय कर दी है.
ये मामला किन्नौर जिला के तहत जंगी-थोपन-पोवारी जलविद्युत परियोजना से जुड़ा है. ये परियोजना आरंभ से ही विवादों में रही है. इस परियोजना के लिए पहले एक विदेशी कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन ने टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया था. ब्रेकल ने अपफ्रंट प्रीमियम भी जमा कर दिया था. बाद में ब्रेकल कंपनी ने इस परियोजना से हाथ खींच लिया. फिर अडानी समूह मैदान में आया. अब अडानी समूह भी इस परियोजना को नहीं बनाना चाहता है.
हिमाचल में 960 मेगावाट के इस महत्वपूर्ण हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को विदेशी कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन को वर्ष 2007 में आवंटित किया गया था. फिर ये प्रोजेक्ट अडानी पावर लिमिटेड को अलॉट किया गया. अडानी समूह ने प्रीमियम के तौर पर 280.06 करोड़ जमा किए. बाद में हिमाचल सरकार ने इस परियोजना के टेंडर को रद्द कर दिया था. ब्रेकल कंपनी ने हिमाचल सरकार से पत्राचार किया और अगस्त 2013 को अदाणी समूह के कंसोर्टियम पार्टनर के तौर पर 280.06 करोड़ रुपए को ब्याज सहित वापस करने के लिए आवेदन किया.
हिमाचल में वीरभद्र सिंह सरकार के समय अक्टूबर 2017 में कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया गया था कि अडानी समूह को पावर प्रोजेक्ट की 280 करोड़ रुपए से अधिक की अपफ्रंट मनी वापिस की जाएगी. लेकिन हिमाचल में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले वीरभद्र सिंह सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में अडानी समूह को 280 करोड़ रुपये की लौटने वाले फैसले को वापस ले लिया.
प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार सत्ता में आई. राज्य सरकार 280 करोड़ रुपए की रकम को लौटाने से बचना चाहती थी. जयराम सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया, लेकिन मामला अभी भी हाईकोर्ट में है. अब 2 मई को मामले में राज्य सरकार की अपील व अडानी समूह की याचिका पर एक साथ सुनवाई होगी.
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