शिमला: हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा की सीमा जेएंडके से लगती है. राज्य के इतिहास में अभी तक एक ही आतंकी हमला हुआ है. पच्चीस साल पहले 2 अगस्त की रात जब बीतने वाली थी और तीन अगस्त का सूर्य उगने की तैयारी में था, आतंकियों ने चंबा में 35 लोगों को मौत की नींद सुला दिया. चंबा के कालाबन व सतरुंडी इलाके में आतंकियों ने कहर बरपाया. सड़क निर्माण में लगे गरीब श्रमिकों को मौत को घाट उतार दिया. हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी और उस समय डीआईजी के पद सेवाएं दे रहे आईडी भंडारी बताते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था. पाकिस्तान परस्त आतंकी जिला चंबा की सीमा में घुसे और सामूहिक हत्याकांड कर फरार हो गए. उस हमले में कुछ लोग लापता हो गए थे. उनका कभी पता नहीं चल सका. ये भी पता नहीं चल पाया कि आतंकी कितने थे और कैसे आए थे.
पच्चीस साल पहले न तो मोबाइल फोन थे और न ही आधुनिक संचार सुविधाएं. जिला चंबा के पिछड़ेपन का तो आलम ही न पूछो. उस समय पर्याप्त सड़कें तक नहीं थी. वर्ष 1998 में हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी. घटना के बाद तत्कालीन सीएम प्रेम कुमार धूमल ने इलाके का दौरा किया था. वर्ष 1998 में उस समय बैरागढ़-सतरुंडी से लेकर साच दर्रे और किलाड़ तक के इलाके में सड़क निर्माण का काम चल रहा था. निर्माण कार्य में लगे श्रमिक, ठेकेदार आदि वहीं रहते थे. निजी ठेकेदारों की लेबर निर्माण स्थल पर ही टेंट लगाकर रहती थी. उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि इतना बड़ा हत्याकांड हिमाचल की धरती पर भी हो सकता है. हालांकि चंबा जिले की सीमाएं जेएंडके से लगती हैं और तब कश्मीर घाटी में आंतक फैल रहा था, लेकिन आतंकवादी हिमाचल में आकर ऐसा नरसंहार करेंगे ये किसी ने कल्पना नहीं की थी.
26 मजदूरों समेत कुल 35 लोगों की हुई थी हत्या: कालाबन में हमला घोर रात्रि के समय हुआ. आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 26 मजदूरों को मार डाला था. उनका सामान भी लूट लिया गया. फिर सतरुंडी में भी गोलीबारी की. वहां नौ लोग मारे गए. कुल 35 लोगों का संहार कर आतंकी भाग गए थे. हत्याकांड की इस जघन्य वारदात में आठ लोग घायल हुए थे. सतरुंडी इलाके में जो निर्दोष मारे गए उनमें एक पुलिस कर्मचारी, ग्राम सेवक, एसडीएम कार्यालय का कर्मचारी भी शामिल था. उस समय आतंकियों ने जो लूटपाट की थी, उस सामान को उठाने के लिए उन्होंने करीब छह लोगों को बंध बना लिया और साथ ले गए. बाद में उन आठ में से एक को आतंकियों ने छोड़ दिया. बताया जाता है कि वो मुस्लिम समुदाय से संबंधित व्यक्ति था. दुखद तथ्य ये है कि बंधक बनाए गए पांचों लोगों का भी आज तक कोई पता नहीं चला. वो जीवित हैं या फिर आतंकियों ने उन्हें मार डाला, इस बारे में किसी के पास कोई सूचना नहीं है.
ये भी पढ़ें- Chamba Murder Update: मनोहर हत्याकांड को लेकर चंबा में विभिन्न संगठनों ने निकाली आक्रोश रैली
आतंकी हमले में लाशों के ढेर में बची महिला ने दी सारी जानकारी: इस भयावह हत्याकांड का खुलासा एक महिला ने किया. जब आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर लोगों को मौत के घाट उतारा उस समय एक महिला लाशों के नीचे जिंदा थी. यह महिला पांगी-घाटी के एक गांव की रहने वाली थी. जब आतंकी वहां से चले गए तो यह महिला किसी तरह गांव पहुंची और फिर इस हत्याकांड की खबर पांगी घाटी के मुख्यालय किलाड़ में सबकी जानकारी में आई. पुलिस की तफ्तीश में जो तथ्य सामने आए, उसके अनुसार आतंकी जम्मू के घने वनों से होकर आए थे. कालाबन व सतरुंडी में हत्याकांड को अंजाम देकर वो फिर बिंद्रावणी इलाके से चूटो गांव को पार करते हुए डोडा की तरफ निकल गए.
इस आतंकी वारदात के बाद हड़कंप मच गया था. शिमला से तत्कालीन डीजीपी टीआर महाजन सहित पुलिस के आला अफसर इलाके पहुंचे. तब किलाड़ में पांगी घाटी के मुख्यालय में प्रभात शर्मा एसडीएम के पद पर तैनात थे. तत्कालीन सीएम प्रेम कुमार धूमल उसी दौरान चंबा में मिंजर मेले में आए थे. बाद में उन्होंने भी घटनास्थल का दौरा किया था. खैर, ये केस अनट्रेस ही रहा. बाद में ये भी खुलासा हुआ था कि जम्मू के डोडा के गंदोहा इलाके से आतंकी हिमाचल के चंबा में घुसे थे. इस हमले में बंधक बनाकर ले जाए गए बदनसीबों का भी कोई पता नहीं चला. इलाके में आज भी इस घटना की दहशत है.
ऐसे आई 25 साल पुराने हत्याकांड की याद: वहीं, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने शिमला में मीडिया से बातचीत में खुलासा किया था कि मनोहर हत्याकांड का मुख्य आरोपी उस समय भी संदिग्ध था. उससे पूछताछ की गई थी. मनोहर हत्याकांड में आरोपी परिवार के तार कालाबन-सतरुंडी हमले से जुड़े होने की चर्चा के बीच अब हिमाचल की जनता को 25 साल पहले हुए हत्याकांड की दुखद याद फिर हो आई है.
Read Also- Chamba Manohar Mother Video: मनोहर की मां बोली, हत्यारों को दो फांसी, अब मुझे दवाई कौन लाएगा?