शिमला: विश्वभर के सैलानियों का मनपसंद पर्यटन स्थल ऐतिहासिक रिज और माल रोड बंदरों के आतंक से बच नहीं पाया है. वहीं, पर्यटन नगरी शिमला में बंदरों के आतंक के बीच इनको वर्मिन घोषित करने का नाटक लगातार जारी है.
राजधानी शिमला ही नहीं प्रदेश के गांवों में भी यही हालत है. मजबूरन लोग जहर देकर बंदरों को मार रहे हैं. शहर में बंदरों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल जून महीने में ही बंदरों के काटने के 100 से अधिक मामले आईजीएमसी पहुंचे हैं.
शहर के अस्पतालों से मिले आंकड़ों के अनुसार हर दिन बंदरों के काटने के 4 केस पहुंच रहे हैं. वहीं, मंगलवार को बंदरों के हमले में जख्मी बच्चे रित्विक की हालत गंभीर है, उसे शिमला से पीजीआई रेफर कर दिया गया है.
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प्रदेश सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर नगर निगम शिमला क्षेत्र में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है, लेकिन अगर बंदरों को मारना ही नहीं है तो इनको वर्मिन घोषित करने का कोई लाभ नहीं है. इससे पहले भी 20 दिसंबर 2017 में बंदरों को प्रदेश भर में वर्मिन घोषित किया गया था. उसके बाद बंदरों को वर्मिन घोषित करने का सिलसिला जारी है, लेकिन विधानसभा में प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक प्रदेश में 5 बंदरों को मार गया है.
इसके अलावा अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 2156 बंदरों की नसबंदी का दावा भी प्रशासन कर रहा है, लेकिन इनमें भी ज्यादातर बंदर शहर से बाहर के है. पिछले पांच सालों की बात करें तो मंकी बाइट के 2015 में 1149, 2016 में 1419, 2017 में 1442, 2018 में 1744, और 2019 में अभी तक 773 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
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