शिमलाः 11 जून को हुई हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में टैक्सी संचालकों को राहत के लिए प्रदेश सरकार ने 1 अगस्त 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्पेशल रोड टैक्स और टोकन टैक्स में 50 फीसदी की रियायत दी है. इस रियायत से प्रदेश भर के टैक्सी संचालकों को 20 करोड़ का फायदा मिलेगा. हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से मिली इस राहत से टैक्सी संचालकों ने नाराजगी जाहिर की है.
सरकार से नाराज टैक्सी संचालक
हिमाचल प्रदेश कमर्शियल व्हीकल यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर का कहना है कि प्रदेश सरकार ने उनके साथ वादा खिलाफी की है. सभी टैक्सी चालकों की यह मांग थी कि प्रदेश सरकार उनका पूरा टैक्स माफ करें, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया और केवल आधा ही टैक्स माफ किया है.
ऐसे में उन्हें कहीं भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. उन्होंने कहा कि इससे प्रत्येक टैक्सी चालक को केवल 1200 का फायदा होगा. उन्होंने कहा कि संकट के समय में इस राहत का कोई लाभ नहीं है.
जमीन पर नजर नहीं आती सरकार की योजनाएं
ऑल हिमाचल कमर्शियल व्हीकल यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के समय भी प्रदेश सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन वह योजना सिर्फ कागज तक ही सीमित रही. उन योजनाओं का टैक्सी संचालकों को कोई फायदा नहीं मिला.
कागज तक ही सीमित है योजना
राजेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब वे योजना के फायदे के लिए बैंक जाते हैं, तो बैंक कर्मी उन्हें वहां से जाने के लिए कहते हैं. उन्होंने कहा कि बैंक कर्मियों की ओर से उन्हें सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन न मिलने का जवाब दिया जाता है. ठाकुर ने पूछा कि ऐसी योजनाओं का क्या फायदा, जो सिर्फ कागज तक ही सीमित हो.
सरकार से करेंगे राहत की मांग
राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि वे लगातार प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और अन्य कैबिनेट मंत्री से मिलकर राहत की मांग करते रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें राहत नहीं मिली है. आने वाले समय में जब तक प्रदेश सरकार की उनसे उन्हें कोई राहत नहीं दी जाती, तब तक वह अपनी मांग को सरकार के सामने रखते रहेंगे.
टैक्सी चालक ने पूछा- कैसे करें गुजर-बसर
शिमला के पुराना बस अड्डा स्थित टैक्सी यूनियन में टैक्सी चलाने वाले दीप राम ने सरकार से पूछा कि संकट के इस समय में वह अपने परिवार का गुजर-बसर कैसे करें. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से महंगाई भी बढ़ गई है और काम चल नहीं रहा. बच्चों की स्कूल फीस से लेकर मकान का किराया और रोजमर्रा का खर्चा चलाना तक मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार को प्रभावित वर्ग को सहायता करने के बारे में सोचना चाहिए.
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