शिमला: कोरोना कर्फ्यू की वजह से राजधानी शिमला में टैक्सी कारोबार पूरी तरह ठप पड़ गया है. कर्फ्यू की वजह से टैक्सी ऑपरेटर के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. ऑल हिमाचल कमर्शियल व्हीकल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सरकार पर टैक्सी ऑपरेटरों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है. एक्शन कमेटी का आरोप है कि शहर में निजी गाड़ियां धड़ल्ले से सवारियां ढो रही हैं, लेकिन प्रशासन इन पर रोक नहीं लगा रहा.
गुजर-बसर करना हुआ मुश्किल
ऑल हिमाचल कमर्शियल व्हीकल ज्वाइंट एक्शन कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि बीते डेढ़ साल से टैक्सी संचालकों के पास नाम मात्र का काम है. ऐसे में टैक्सी संचालकों के लिए घर का किराया देने से लेकर बच्चों की फीस देना भी मुश्किल हो गया है. प्रदेश सरकार की ओर से टैक्सी संचालकों को कोई राहत नहीं दी जा रही है.
2018 से काम बंद
राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि साल 2018 में शिमला में हुई पानी की समस्या, साल 2019 में लोकसभा चुनाव और 2020 और 2021 में कोरोना की वजह से टैक्सी संचालकों पर बड़ी मार पड़ी है. उन्होंने कहा कि सरकार राहत की तो बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर टैक्सी संचालकों को राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही है. टैक्सी संचालकों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो रही है. कुछ टैक्सी संचालक तो आत्महत्या तक की स्थिति पर पहुंच गए हैं.
सरकार से राहत की मांग
ऑल हिमाचल कमर्शियल व्हीकल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने प्रदेश सरकार से राहत की मांग की है. टैक्सी संचालकों का कहना है कि उनकी टैक्सी की किस्तें 2 साल तक बिना ब्याज के आगे बढ़ाई जाए, ताकि उन्हें राहत मिले.
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