शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून की आपदा से आर्थिक संकट में घिरी राज्य की सुखविंदर सरकार फिर कर्ज लेगी. राज्य सरकार 1000 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है. कर्ज की यह राशि 20 साल के लिए ली जाएगी. जिसके लिए 17 अक्टूबर को नीलामी की प्रक्रिया होगी. इसके साथ ही राज्य सरकार पर कर्ज 77 हजार करोड़ से अधिक हो जाएगा.
मानसून के कारण आई प्राकृतिक आपदा से राज्य की सुखविंदर सरकार आर्थिक संकट से घिरी हुई है. इससे निपटने के लिए सरकार अब कर्ज लेने जा रही है. सरकार 1,000 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है. कर्ज की यह राशि 20 वर्ष की अवधि के लिए ली जाएगी. जिसे 18 अक्टूबर, 2043 को लौटाना होगा. कर्ज लेने के लिए नीलामी प्रक्रिया 17 अक्टूबर को मुबंई में होगी और 18 अक्टूबर को यह राशि सरकारी खाते में आ जाएगी. इसके साथ ही हिमाचल पर कर्ज बढ़कर 77,630 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा. प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने इससे पहले भारी आपदा के बीच गत सितंबर माह में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. इससे पहले राज्य सरकार ने गत जून और जुलाई माह की अवधि के बीच 2,000 करोड़ रुपए कर्ज लिया था. इस प्रकार सरकार मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 3500 करोड़ रुपए कर्ज ले लेगी.
सरकार इस कर्ज से विकास कार्यों के साथ देनदारियों जैसे वेतन व पेंशन की अदायगी करेगी. मौजूदा समय में प्रदेश पर 10 हजार करोड़ रुपए वेतन व पेंशन के अलावा 600 करोड़ रुपए के महंगाई भत्ते के अदा करने हैं. प्राकृतिक आपदा के बाद गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही राज्य सरकार को आर्थिक संसाधन जुटाने में परेशानी आ रही है. राज्य सरकार की यह परेशानी इसलिए ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से कोई राहत पैकेज अभी तक नहीं मिला है.
राज्य की सुखविंदर सिंह सरकार ने आपदा प्रभावित बेघर लोगों और किसानों और बागवानों के लिए 3500 करोड़ का आर्थिक पैकेज देने का ऐलान हाल ही में किया है. सरकार ने आपदा से पूरी तरह क्षतिग्रस्त घर के लिए 7 लाख रुपए जबकि आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त घर के लिए एक लाख देने का ऐलान किया है. देश में किसी भी सरकार का संभवत यह पहला पैकेज में है जिसमें इतनी बड़ी राशि घरों और दुकानों-ढाबों के नुकसान पर दी जा रही है. यही नहीं राज्य सरकार ने मवेशियों, खेत खलिहानों के लिए मुआवजा राशि भी कई गुणा बढाई है. ऐसे में सरकार को जहां आपदा प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा के लिए संसाधन जुटाने पड़ रही हैं वहीं सरकार को कर्मचारियों के वेतन और पेंशनरों की पेंशन और अन्य भत्तों को देने के लिए भी कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि कर्ज के मामले में हिमाचल देश के राज्यों में पांचवें स्थान पर है. प्रदेश के हर नागरिक पर 1,02,818 रुपए से अधिक का कर्ज है. प्रदेश सरकार ने हाल ही में विधानसभा के मॉनसून सत्र में श्वेत पत्र प्रस्तुत किया था जिसमें प्रदेश की प्रदेश के वित्तीय हालात का लेखा जोखा पेश किया गया था.
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