शिमला: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेशनल हाईवे सुधारने वाले काम की तारीफ विरोधी दल के नेता भी करते हैं. हिमाचल के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी कई बार गडकरी की तारीफों के पुल बांध चुके हैं, लेकिन एनएचएआई की गलती से नितिन गडकरी के किए शानदार काम के पुल बह गए. हिमाचल में ये गलती हुई है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी की तरफ से बनाए गए डबल डेकर फोरलेन के कारण ब्यास का रौद्र रूप लारजी बिजली प्रोजेक्ट को झेलना पड़ा. इससे लारजी प्रोजेक्ट को 658 करोड़ का नुकसान हुआ है. लारजी प्रोजेक्ट ठप होने से कुल्लू घाटी के सैकड़ों गांव अंधेरे में डूबे रहे.
सुक्खू सरकार ने केंद्र को लिखा पत्र: अब हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से लारजी प्रोजेक्ट को हुए 658 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई करने की मांग उठाई है. केंद्र को भेजे गए पत्र में गुहार लगाई है कि एनएचएआई इस रकम का भुगतान करें. हिमाचल सरकार ने केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी 658 करोड़ रुपए के नुकसान से जुड़ी रिपोर्ट भेजी है. ये नुकसान एनएचएआई के डबल डेकर फोरलेन के कारण लारजी प्रोजेक्ट को झेलना पड़ा है.
NHAI की गलती से अंधेरे में डूबी कुल्लू घाटी: बताया जा रहा है कि इन डबल डेकर सड़कों की ही वजह से ब्यास नदी का पानी भारी-भरकम वेग के साथ लारजी प्रोजेक्ट को तहस-नहस कर गया. चूंकि इस फोरलेन के कारण सड़क मार्ग तंग हो गया, लिहाजा ब्यास नदी का पानी सड़क से कई मीटर ऊपर होकर बहने लगा. फिर लारजी प्रोजेक्ट को भारी नुकसान झेलना पड़ा. जब लारजी प्रोजेक्ट के कारण कुल्लू घाटी अंधेरे में डूब गई तो सरकार ने कारण व नुकसान की फील्ड रिपोर्ट तैयार करवाई.
केंद्र को भेजी नुकसान की रिपोर्ट: केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि लारजी पावर हाउस के डैम से नीचे वाले हिस्से में ब्यास नदी में पानी की क्षमता साढ़े आठ हजार क्यूमेक्स पानी को झेलने की है. जुलाई महीने में हुई भारी बारिश के कारण लारजी डैम से पानी छोड़ने के बाद भी नीचे वाले हिस्से में पानी की मात्रा 5600 क्यूमेक्स थी. ब्यास नदी की पानी झेलने की क्षमता से भी करीब 3000 क्यूमेक्स पानी कम था, लेकिन डबल डेकर फोरलेन के कारण ब्यास के पानी का स्तर सड़क से कम से कम चार मीटर ऊपर आ गया. भारी बारिश के कारण सिल्ट लारजी प्रोजेक्ट में घुस गई और पावर हाउस ठप हो गया. बिजली का उत्पादन न होने से सरकार को नुकसान हो रहा है. कुल्लू घाटी कई दिन अंधेरे में डूबी रही.
सीएम सुक्खू ने लिया पर्सनल इंटरेस्ट: रिपोर्ट आने के बाद खुद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आगे बढ़कर मोर्चा संभाला और केंद्र से मांग उठाई कि इस नुकसान की भरपाई एनएचएआई से करवाई जाए. हिमाचल सरकार ने रिपोर्ट में तथ्य दिए हैं और ये दावा किया है कि डबल डेकर फोरलेन की वजह से ब्यास का पानी लारजी की तरफ मुड़ गया. लारजी प्रोजेक्ट को हुए नुकसान की रिपोर्ट राज्य सरकार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कार्यालय को भी भेजी है. लारजी पावर हाउस 126 मेगावाट विद्युत क्षमता का है. इस प्रोजेक्ट को 658 करोड़ का नुकसान आंका गया है और अनुमान है कि इस साल के अंत तक भी ये पूरी तरह से वापस फंक्शनल नहीं होगा.
4 साल पहले भी NHAI को दी थी चेतावनी: बिजली बोर्ड के लारजी पावर हाउस के समीप डबल डेकर मार्ग बनाने के लिए एनएचएआई के इंजीनियर कम से कम चार मीटर अंदर ब्यास नदी तक चले गए. इस कारण नदी के लिए मार्ग नैरो शेप में हो गया. एनएचएआई को चार साल पहले भी इस आशय का रेफरेंस भेजा गया था कि ब्यास का रास्ता संकरा होने का नुकसान लारजी प्रोजेक्ट को होगा, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया.
सुक्खू सरकार को केंद्र से उम्मीद: ब्यास बेसिन पर जुलाई माह में 9 से 11 तारीख को ब्यास नदी का पानी तबाही मचा रहा था. लारजी प्रोजेक्ट को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए मंडी व कुल्लू के डीसी सहित सीएम के प्रधान सलाहकार रामसुभग सिंह भी पहुंचे थे. उन्होंने ही ये रिपोर्ट तैयार की. फिलहाल, अब हिमाचल की नजर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पर टिकी है. साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी से भी उम्मीद है कि उनके हस्तक्षेप से एनएचएआई नुकसान की भरपाई करेगा.
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