शिमला: एनपीए बंद किए जाने से नाराज डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी. जिसके बाद सरकार हरकत में आ गई है. सरकार ने डॉक्टरों को बातचीत के लिए शनिवार को बुलाया है. स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने चिकित्सकों से हड़ताल पर न जाने की अपील की है. उन्हें कहा डॉक्टर ऐसा कोई रास्ता न अपनाएं, जिससे लोगों को परेशानी उठाना पड़े. उन्होंने कहा डॉक्टरों का एनपीएस मामला सरकार के ध्यान में है. सरकार कोई न कोई फैसला चिकित्सकों के हक में करेगी.
गौरतलब है कि आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ने डॉक्टरों का नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) बंद कर दिया है. इन आदेशों के बाद अब स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल एजुकेशन, डेंटल, आयुष और पशुपालन विभाग में भर्ती होने वाले नए डॉक्टर को एनपीए नहीं मिलेगा. जबकि, वर्तमान में सेवारत डॉक्टरों को यह पूर्व की तरह मिलता रहेगा. इससे भविष्य में भर्ती होने वाले डॉक्टरों को वित्तीय नुकसान होगा.
सैलरी का 20 फीसदी मिलता है एनपीए: डॉक्टरों को बेसिक सैलरी का 20 फीसदी एनपीए दिया जाता है. इसका मकसद डॉक्टरों को चिकित्सीय सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करना है. यह भारत सरकार की सिफारिश पर सभी राज्यों में दिया जाता है, लेकिन सुक्खू सरकार ने माली वित्तीय हालत को देखते हुए इसे बंद करने का निर्णय लिया है. एमओए ने फैसले पर हैरानी जताई है. वही हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश राणा ने सरकार के इस निर्णय पर हैरानी जताते हुए कहा कि इससे डॉक्टर हतोत्साहित होंगे. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को बिना विश्वास में लिए यह निर्णय लिया है. एनपीए सभी राज्यों में सालों से दिया जा रहा है.
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