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यूनिवर्सिटी व कॉलेजिस में हो सकते हैं छात्र संघ चुनाव, कुलपति राज्यपाल सहित सरकार से करेंगे बात

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने कहा कि अगर माहौल शांतिपूर्ण रहता है तो एक बार फिर छात्र संघ के चुनावों को बहाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि छात्रों से ही विश्वविद्यालय और कॉलेज होते हैं ऐसे में उनकी जायज मांगों को पूरा किया जाएगा.

student union election may held this year in Himachal university
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Published : Jul 10, 2019, 11:16 AM IST

शिमला: इस वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव हो सकते हैं. बता दें कि एचपीयू कैंपस सहित कॉलेजिस में छात्रसंघ के आखिरी चुनाव 2014 में हुऐ थे और छात्र संगठनों में हिंसा की गतिविधियों के कारण पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी को इन्हें बैन करना पड़ा था.

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प्रदेश में छात्र संघ चुनावों का इतिहास खूनी साबित हुआ है. कई छात्र नेता हिंसा में अपनी जान तक भी गंवा चुके हैं.1978 में छात्र सुरेश सूद भी छात्र संगठनों के बीच हुई खूनी हिंसा का शिकार हुए थे और इनकी हत्या कर दी गई थी. इसी तरह से 1984 में एक और छात्र भरत भूषण और 1987 में एनएसयूआई के नेता नासीर खान की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी, जिसके बाद कई वर्षों तक विवि में तनावपूर्ण माहौल बना रहा था. इसके बाद 1995 में फिर एक बार एबीवीपी के एक छात्र नेता कुलदीप ढटवालिया को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. उस समय छात्र संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में एक बड़ा निर्णय लिया गया था जिसके बाद अभी तक मेरिट के आधार पर ही एचपीयू सहित कॉलेजों में एससीए का गठन किया जा रहा है.

यें भी पढ़े:ETV भारत की खबर का असर, रिकांगपिओ की सड़कों पर मेटलिंग का काम शुरू

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने कहा कि अगर माहौल शांतिपूर्ण रहता है तो इस बार छात्र संघ के चुनावों को बहाल किया जा सकता है और छात्रसंघ के चुनावों को लेकर वह खुद राज्यपाल और सरकार से बात करेंगे.

इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन का जो फैसला होगा उसी के आधार पर चुनाव की प्रक्रिया एचपीयू सहित कॉलेजिस में करवाई जाएगी प्रो. सिकंदर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिंसा की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब अगर इस वर्ष कोई हिंसा कि घटना शिक्षण संस्थानों में नहीं होती है तो ये चुनाव एक बार फिर से बहाल किए जाएंगे.

शिमला: इस वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव हो सकते हैं. बता दें कि एचपीयू कैंपस सहित कॉलेजिस में छात्रसंघ के आखिरी चुनाव 2014 में हुऐ थे और छात्र संगठनों में हिंसा की गतिविधियों के कारण पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी को इन्हें बैन करना पड़ा था.

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प्रदेश में छात्र संघ चुनावों का इतिहास खूनी साबित हुआ है. कई छात्र नेता हिंसा में अपनी जान तक भी गंवा चुके हैं.1978 में छात्र सुरेश सूद भी छात्र संगठनों के बीच हुई खूनी हिंसा का शिकार हुए थे और इनकी हत्या कर दी गई थी. इसी तरह से 1984 में एक और छात्र भरत भूषण और 1987 में एनएसयूआई के नेता नासीर खान की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी, जिसके बाद कई वर्षों तक विवि में तनावपूर्ण माहौल बना रहा था. इसके बाद 1995 में फिर एक बार एबीवीपी के एक छात्र नेता कुलदीप ढटवालिया को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. उस समय छात्र संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में एक बड़ा निर्णय लिया गया था जिसके बाद अभी तक मेरिट के आधार पर ही एचपीयू सहित कॉलेजों में एससीए का गठन किया जा रहा है.

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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने कहा कि अगर माहौल शांतिपूर्ण रहता है तो इस बार छात्र संघ के चुनावों को बहाल किया जा सकता है और छात्रसंघ के चुनावों को लेकर वह खुद राज्यपाल और सरकार से बात करेंगे.

इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन का जो फैसला होगा उसी के आधार पर चुनाव की प्रक्रिया एचपीयू सहित कॉलेजिस में करवाई जाएगी प्रो. सिकंदर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिंसा की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब अगर इस वर्ष कोई हिंसा कि घटना शिक्षण संस्थानों में नहीं होती है तो ये चुनाव एक बार फिर से बहाल किए जाएंगे.

Intro:छह साल के बैन के बाद इस वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव हो सकते है। इसके संकेत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिए है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर माहौल शांतिपूर्ण रहता है तो इस बार छात्र संघ चुनाव बहाल किए जा सकते हैं ओर छात्रसंघ चुनावों को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार खुद राज्यपाल और सरकार से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि छात्रों से ही विश्वविद्यालय और कॉलेज होते हैं ऐसे में उनकी जायज मांगों को पूरा किया जाएगा।



Body:एचपीयू कैंपस सहित कॉलेजों में माहौल शांतिपूर्ण रहता है तो छात्रसंघ चुनावों की बहाली कि उनकी मांग को भी सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। ऐसे में 2014 से बेन हुए छात्र संघ चुनाव की बहाली की उम्मीद इस बार जगी है। हालांकि जहां तक विश्वविद्यालय में शांतिपूर्ण माहौल की बात की जाए तो उसका हो पाना संभव नहीं लग रहा है क्योंकि विश्वविद्यालय में आए दिन छात्र संगठनों के बीच हिंसक घटनाएं देखने को मिल रही हैं। अभी कुछ समय पहले भी विश्वविद्यालय में छात्र गुटों के बीच भड़की हिंसा के चलते ही विश्वविद्यालय कुलपति ने इनकी गतिविधियों पर भी रोक लगाई है। बता दे की वर्ष 2014 में जब पूर्व कुलपति प्रो.ए.डी एन बाजपेयी ने छात्र संघ चुनावों पर रोक लगाई थी तो उसकी वजह भी छात्र संगठनों की हिंसक घटनाएं ही थी। एक बड़ा फ़ैसला उस समय छात्र संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में हुआ था जिसके बाद से अभी तक मेरिट के आधार पर ही मनोनयन के तहत एचपीयू सहित कॉलेजों में एससीए का गठन किया जा रहा है।


Conclusion:एचपीयू कुलपति प्रो.सिंकदर कुमार ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिंसा चाहे चुनावों को लेकर हो या ऐसे हो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर छात्र संगठन शांतिपूर्ण माहौल कायम रखते है तो तभी उनकी चुनावों की बहाली की मांग को वह राजयपाल ओर सरकार के समक्ष ले कर जाएंगे। इसके बाद वहां से जो फैसला होगा उसी के आधार पर चुनाव की प्रक्रिया एचपीयू सहित कॉलेजों में करवाई जाएगी। वैसे प्रदेश में छात्र संघ चुनावों का इतिहास खून से सना रहा है। क़ई छात्र नेता अपनी जान तक हिंसा में गंवा चुके है। 1978 में छात्र सुरेश सूद भी छात्र संगठनों के बीच हुई खूनी हिंसा का शिकार हुए थे और इनकी हत्या कर दी गई थी। इसी तरह से 1984 में एक ओर छात्र भरत भूषण को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी इसके बाद भी यह दौर नहीं थमा ओर 1987 में एनएसयूआई के नेता नासीर खान की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी,जिसके बाद कई वर्षों तक विवि में माहौल तनावपूर्ण रहा। इतनी जानें लेने के बाद भी छात्र संगठनों की यह लड़ाईयां नहीं थमी ओर 1995 एबीपीवी का एक छात्र नेता कुलदीप ढटवालिया को भी अपनी जान देनी पड़ी,जिसके बाद एचपीयू में छात्र संघ चुनावों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था,लेकिन उसके बाद इसे फिर से बहाल किया गया। अब इस वर्ष अगर कोई हिंसा शिक्षण संस्थानों में नहीं होती है तो ये चुनाव एक बार फिर से बहाल हो सकते है।
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