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निजी स्कूलों के विरोध में छात्र अभिभावकों का आंदोलन, शिक्षा निदेशालय का घेराव कर मांगा जवाब - अमरजीत शर्मा

निजी स्कूलों की मनमानी से तंग आए अभिभावकों ने छात्र अभिभावक मंच के तले शिक्षा निदेशालय का घेराव किया. वहीं, शिक्षा निदेशक ने अभिभावकों की मांगों पर गौर करने और निजी स्कूलों की मनमानियों पर भी नकेल कसने का आश्वासन दिया है.

छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन
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Published : Apr 8, 2019, 7:24 PM IST

शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आंदोलनरत अभिभावक सड़कों पर उतर आए हैं. सोमवार को छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशालय का घेराव किया और विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. वहीं, शिक्षा विभाग जल्द कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है.

छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन

कई दिनों से प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने की मांग कर रहे अभिभावकों के आंदोलन के दूसरे चरण का ये अंतिम महापड़ाव था. जिसमें काफी संख्या में अभिभावक और छात्र एक साथ एकत्र हुए और शिक्षा विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. छात्र अभिभावक मंच ने इस दौरान शिक्षा विभाग समेत प्रदेश सरकार और शिक्षा मंत्री से मांग की कि वे निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर रोक लगाएं और कोई अहम फैसला लें. अभिभावकों ने उच्च शिक्षा निदेशक से मुलाकात कर अपना 22 सूत्रीय ज्ञापन उन्हें सौंपा.

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि जिन मांगों को लेकर अपना प्रदर्शन कर रहा है, उसमें निजी स्कूलों की मनमानी फीसों पर रोक लगाने के साथ ही फीसों को संचालित करने के लिए कानून, पॉलिसी और रेगुलेटरी कमिशन बनाए जाएं. साथ ही रीएडमिशन फीस के साथ ही अलग-अलग तरह के चार्जिज और फंड निजी स्कूल वसूल रहे हैं, उन्हें भी बंद करने की मांग की गई है.

Student Parents Forum protest
छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों के अंदर ही जो दुकानें चल रही हैं, उसमें किताबें और वर्दी खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है. अभिभावकों को जबरन स्कूल का सामान अधिकतम दामों में बेचा जाता है, जिस पर रोक लगाना जरूरी है. साथ ही निजी स्कूलों के लिए स्कूल बस की सुविधा छात्रों को देना अनिवार्य किया जाना चाहिए. भारी भरकम प्रोस्पेक्टस फीस पर भी रोक लगनी चाहिए.

छात्र अभिभावक मंच ने बताया कि 1997 में बने एक्ट के तहत 2003 में बने नियम, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना, 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन आई. जिसके बाद 2016 में हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया कि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए. 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए प्राइवेट स्कूलों नकेल कसने के लिए कुछ नियम बनाए थे, जिन्हें लागू करने की मांग छात्र अभिभावक मंच लंबे समय से कर रहा है. वहीं, कुछ आदेश शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए हैं, लेकिन उनपर भी निजी स्कूल अमल नहीं कर रहे हैं.

छात्र अभिभावक मंच की मांगों पर शिक्षा निदेशक का जवाब (वीडियो)

शिक्षा निदेशक ने दिया जल्द कार्रवाई का आश्वासन

वहीं, इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि अभिभावकों के साथ हमने बैठक की थी. इस बैठक में जिन अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई उनके बारे में आदेश भी जारी किए गए थे. शिक्षा विभाग ने सभी जिला के उप निदेशकों को जारी किए गए आदेश सभी स्कूलों में किस तरह से लागू किए गए हैं या नहीं किए गए हैं, उन पर रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है. जिसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी.

शिक्षा विभाग निदेशक ने कहा कि एक्ससरीज पर टैक्सेशन विभाग को निर्देश जारी किए हैं कि वो इस बात का ध्यान रखे कि निजी स्कूलों में किसी तरह की अवैध रूप से स्टोर वर्दी और किताबें तो नहीं बेची जा रहीं. स्कूल को इस तरह के स्टोर चलाने की अनुमति है या नहीं, अगर नहीं है तो उन पर कार्रवाई भी की जा रही है.

Student Parents Forum protest
छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन

डॉ. अमरजीत शर्मा ने बताया कि विभाग ने निजी स्कूलों से उनके ऑडिट की रिपोर्ट भी मांगी थी, जिसमें से अधिकतर स्कूलों ने ये रिपोर्ट नहीं दी है. जिला उप निदेशकों को जिन स्कूलों से रिपोर्ट नहीं आयी है, उन स्कूलों के प्रबंधकों के साथ बैठक कर उनकी ऑडिट और फीस का पूरा ब्यौरा लेने के निर्देश विभाग ने दिए थे. इस रिपोर्ट का एनालिसिस किया जा रहा है.

निदेशक ने कहा कि अब समस्या के समाधान के लिए जिला स्तर पर निरीक्षण कमेटियों का गठन किया जाएगा. ये कमेटियां 3 दिन के अंदर स्कूलों में जाकर उनकी सारी जानकारी जुटा कर शिक्षा विभाग को देंगे. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के लिए वैसे तो एक्ट और नियम बने हैं, लेकिन किस तरह से इसे सख्ती से लागू किया जाए इसे देखना होगा. वहीं, छात्र अभिभावक मंच ने भी विभाग और सरकार को चेताया है कि अगर जल्द ठोस कदम न उठाए गए तो वे तीसरे चरण का आंदोलन भी शुरू कर देंगे.

शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आंदोलनरत अभिभावक सड़कों पर उतर आए हैं. सोमवार को छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशालय का घेराव किया और विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. वहीं, शिक्षा विभाग जल्द कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है.

छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन

कई दिनों से प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने की मांग कर रहे अभिभावकों के आंदोलन के दूसरे चरण का ये अंतिम महापड़ाव था. जिसमें काफी संख्या में अभिभावक और छात्र एक साथ एकत्र हुए और शिक्षा विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. छात्र अभिभावक मंच ने इस दौरान शिक्षा विभाग समेत प्रदेश सरकार और शिक्षा मंत्री से मांग की कि वे निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर रोक लगाएं और कोई अहम फैसला लें. अभिभावकों ने उच्च शिक्षा निदेशक से मुलाकात कर अपना 22 सूत्रीय ज्ञापन उन्हें सौंपा.

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि जिन मांगों को लेकर अपना प्रदर्शन कर रहा है, उसमें निजी स्कूलों की मनमानी फीसों पर रोक लगाने के साथ ही फीसों को संचालित करने के लिए कानून, पॉलिसी और रेगुलेटरी कमिशन बनाए जाएं. साथ ही रीएडमिशन फीस के साथ ही अलग-अलग तरह के चार्जिज और फंड निजी स्कूल वसूल रहे हैं, उन्हें भी बंद करने की मांग की गई है.

Student Parents Forum protest
छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों के अंदर ही जो दुकानें चल रही हैं, उसमें किताबें और वर्दी खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है. अभिभावकों को जबरन स्कूल का सामान अधिकतम दामों में बेचा जाता है, जिस पर रोक लगाना जरूरी है. साथ ही निजी स्कूलों के लिए स्कूल बस की सुविधा छात्रों को देना अनिवार्य किया जाना चाहिए. भारी भरकम प्रोस्पेक्टस फीस पर भी रोक लगनी चाहिए.

छात्र अभिभावक मंच ने बताया कि 1997 में बने एक्ट के तहत 2003 में बने नियम, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना, 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन आई. जिसके बाद 2016 में हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया कि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए. 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए प्राइवेट स्कूलों नकेल कसने के लिए कुछ नियम बनाए थे, जिन्हें लागू करने की मांग छात्र अभिभावक मंच लंबे समय से कर रहा है. वहीं, कुछ आदेश शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए हैं, लेकिन उनपर भी निजी स्कूल अमल नहीं कर रहे हैं.

छात्र अभिभावक मंच की मांगों पर शिक्षा निदेशक का जवाब (वीडियो)

शिक्षा निदेशक ने दिया जल्द कार्रवाई का आश्वासन

वहीं, इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि अभिभावकों के साथ हमने बैठक की थी. इस बैठक में जिन अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई उनके बारे में आदेश भी जारी किए गए थे. शिक्षा विभाग ने सभी जिला के उप निदेशकों को जारी किए गए आदेश सभी स्कूलों में किस तरह से लागू किए गए हैं या नहीं किए गए हैं, उन पर रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है. जिसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी.

शिक्षा विभाग निदेशक ने कहा कि एक्ससरीज पर टैक्सेशन विभाग को निर्देश जारी किए हैं कि वो इस बात का ध्यान रखे कि निजी स्कूलों में किसी तरह की अवैध रूप से स्टोर वर्दी और किताबें तो नहीं बेची जा रहीं. स्कूल को इस तरह के स्टोर चलाने की अनुमति है या नहीं, अगर नहीं है तो उन पर कार्रवाई भी की जा रही है.

Student Parents Forum protest
छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन

डॉ. अमरजीत शर्मा ने बताया कि विभाग ने निजी स्कूलों से उनके ऑडिट की रिपोर्ट भी मांगी थी, जिसमें से अधिकतर स्कूलों ने ये रिपोर्ट नहीं दी है. जिला उप निदेशकों को जिन स्कूलों से रिपोर्ट नहीं आयी है, उन स्कूलों के प्रबंधकों के साथ बैठक कर उनकी ऑडिट और फीस का पूरा ब्यौरा लेने के निर्देश विभाग ने दिए थे. इस रिपोर्ट का एनालिसिस किया जा रहा है.

निदेशक ने कहा कि अब समस्या के समाधान के लिए जिला स्तर पर निरीक्षण कमेटियों का गठन किया जाएगा. ये कमेटियां 3 दिन के अंदर स्कूलों में जाकर उनकी सारी जानकारी जुटा कर शिक्षा विभाग को देंगे. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के लिए वैसे तो एक्ट और नियम बने हैं, लेकिन किस तरह से इसे सख्ती से लागू किया जाए इसे देखना होगा. वहीं, छात्र अभिभावक मंच ने भी विभाग और सरकार को चेताया है कि अगर जल्द ठोस कदम न उठाए गए तो वे तीसरे चरण का आंदोलन भी शुरू कर देंगे.

Intro:निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आंदोलनरत छात्र अभिभावक मंच ने सोमवार को शिक्षा निदेशालय का घेराव किया और जमकर नारेबाज़ी की। आंदोलन के दूसरे चरण का यह अंतिम महापड़ाव था जिसमें काफी संख्या में अभिभावक ओर छात्र एक साथ एकत्र हुए और शिक्षा विभाग के खिलाफ नारेबाज़ी की। छात्र अभिभावक मंच ने इस दौरान शिक्षा विभाग सहित प्रदेश सरकार ओर शिक्षा मंत्री से यह मांग की वो निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर रोक लगाए ओर कोई अहम फैसला इन स्कूलों को चलाने को लेकर ले। प्रदर्शन के दौरान अभिभावकों का गुस्सा साफ झलक रहा था और यही वजह थी कि शिक्षा मंत्री ,सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ अभिभावकों का यह गुस्सा निदेशालय में फूटा। छात्र अभिभावक मंच ने निदेशक उच्च शिक्षा से मुलाक़ात की ओर उन्हें अपना 22 सूत्रीय ज्ञापन पत्र सौंपा।


Body:मंच के सयोंजक विजेन्द्र मेहरा ने कहा कि जिन मांगो को लेकर अपना प्रदर्शन कर रहा है उसमें निजी स्कूलों की मनमानी फीसों पर रोक लगाने के साथ ही फीसों को संचालित करने के लिए कानून,पॉलिसी ओर रेगुलेटरी कमिशन बनाए जाएं,रीएडमिशन फ़ीस के साथ ही अलग अलग तरह के जो चार्जिंज ओर फंड निजी स्कूल वसूल रहे है वो वसूलना बंद किया जाए। निजी स्कूलों के अंदर ही जो दुकानें चल रही है जिसमें किताबें,वर्दी खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है और उन्हें अधिकतम दामों में यह चीजें बेची जा रही है उस पर रोक लगाई जाए। निजी स्कूलों के लिए स्कूल बस की सुविधा छात्रों को देना अनिवार्य किया जाए। भारी प्रोस्पेक्टस फ़ीस पर रोक लगाई जाए और पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर प्रवेश निजी स्कूलों में दिया जाए। इसके साथ ही 1997 में बने एक्ट ओर उसके तहत 2003 में बने नियम, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना और 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन आई और इसके बाद 2016 में हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला निजी स्कूलों को लेकर आया जिसमें उन्होंने भी निजी स्कूलों की मनमानी को देखते हुए उस पर रोक लगाने ,2018 सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए निर्णय को निजी स्कूलों में लागू करवाने की मांग मंच काफी समय से उठा रहा हैं लेकिन इन मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। कुछ एक आदेश शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए है लेकिन उनपर भी अमल निजी स्कूल नहीं कर रहे हैं।


Conclusion:वहीं इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा ने कहा कि अभिभावकों के साथ हमने बैठक की थी और इस बैठक में जिन अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई उन के बारे में आदेश भी जारी किए गए थे। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के उप निदेशकों को भी जारी किए गए आदेशों का उनके जिला के स्कूलों ने किस तरह से पालन किया उस बारे रिपोर्ट देने को कहा गया हैं।हमारी ओर से कार्रवाई की का रही है। एक्ससरसीजे पर टेक्ससेक्शन विभाग को निर्देश विभाग ने जारी किए हैं कि वो इस बात का ध्यान रखे कि निजी स्कूलों में किसी तरह की अवैध रूप से स्टोर वर्दी,किताबों के तो नहीं चल रहे हैं। उन्हें इस तरह के स्टोर चलाने की अनुमति है या नहीं अगर नहीं है तो उन पर कार्रवाई भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमने निजी स्कूलों से उनके ऑडिट की रिपोर्ट भी मांगी थी जिसमें से अधिकतर स्कूलों ने यह रिपोर्ट नहीं दी है। जिला उप निदेशकों को जिन स्कूलों से रिपोर्ट नहीं आयी है उन स्कूलों के प्रबंधकों के साथ बैठक कर उनकी ऑडिट ओर फ़ीस का पूरा ब्यौरा लेने के निर्देश विभाग ने दिए थे। आज इस रिपोर्ट का एनालेसिस किया जा रहा है। निदेशक ने कहा कि अब समस्या के समाधान के लिए जिला स्तर पर निरीक्षण कमेटियों का गठन किया जाएगा जो 3 दिन के अंदर स्कूलों में जा कर उनकी सारी जानकारी जुटा कर शिक्षा विभाग को देंगे। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के लिए वैसे तो एक्ट ओर नियम बना है लेकिन किस तरह से इसे सख्ती से लागू किया जाए इसको देखना होगा। वहीं छात्र अभिभावक मंच ने भी विभाग और सरकार को चेता दिया है कि जल्द ही कोई कदम इस दिशा में नहीं उठाए गए तो तीसरे चरण का आंदोलन भी मंच शुरू के देगा।
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