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निजी स्कूलों की मनमानी पर छात्र अभिभावक मंच उग्र, इस दिन शिक्षा निदेशालय में होगा धरने का महापड़ाव - parents

निजी स्कूलों की मनमानी पर छात्र अभिभावक मंच उग्र, इस दिन शिक्षा निदेशालय में होगा धरने का महापड़ाव

प्रदर्शन करते छात्र अभिभावक संघ
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Published : Mar 21, 2019, 12:41 PM IST

शिमलाः निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक न लगने के चलते अब छात्र अभिभावक मंच अपने आंदोलन को अगले स्तर पर ले जा रहा है. अब इस आंदोलन को पहले से उग्र कर दिया जाएगा और आंदोलन भी निजी स्कूलों के बाहर ही होगा.

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प्रदर्शन करते छात्र अभिभावक संघ

अभी तक जो धरना प्रदर्शन डीसी कार्यालय और शिक्षा निदेशालय के बाहर हो रहे थे वो अब निजी स्कूलों के बाहर ही किए जाएंगे. छात्र अभिभावक मंच ने खुली चेतावनी दे दी है कि फीस कम कर 18 मार्च को शिक्षा विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना को लागू कर अभिभावकों को आर्थिक राहत प्रदान करें और अगर ऐसा नहीं होता है तो मंच की ओर से शुरू किया गया आंदोलन एक निर्णायक मोड़ लेगा.


छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 22 अप्रैल से दूसरे चरण का यह आंदोलन निजी स्कूलों के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू होगा और 8 अप्रैल को इसका महापड़ाव शिक्षा निदेशालय में होगा. इसी बीच मंच का प्रतिनिधमंडल प्रधान शिक्षा सचिव ओर शिक्षा मंत्री से भी मिलेंगे और अपनी मांगें और समस्या उनके समक्ष रखेंगे.

मंच ने इस आंदोलन को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है. इस आंदोलन के तहत लगातार निजी स्कूलों के बाहर धरना प्रदर्शन होंगे और यह तब तक जारी रहेंगे जब तक अभिभावकों को न्याय नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि यह अभिभावकों की एकता ही है जिसके चलते सोलन के सेंट ल्यूक्स स्कूल ने फीसों को 25 हजार से आधा कर के 13 हजार रुपये कर दिया है.

प्रदर्शन करते छात्र अभिभावक संघ

उन्होंने बताया कि निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं. जमा एक कि पूरे साल की फीस छात्रों से एडवांस ली जा रही है. इसके बाद भी नियमित एडमिशन उन्हें न देकर प्रोविजनल एडमिशन दी जा रही है. साथ ही स्कूल यह भी शर्त लगा रहे हैं कि अगर कोई छात्र किसी भी कारण से स्कूल छोड़ कर जाता है या फेल हो जाता है तो उसे फीस रीफंड नहीं की जाएगी.

यहां तक कि छात्रों को जमा एक में स्ट्रीम भी स्कूल अपनी मनमर्जी से दे रहे हैं. स्कूल अपना परिणाम बेहतर दर्शाने के लिए छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं, जो कि चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन एक्ट और संविधान के अनुच्छेद 45 राज्य के दिशानिर्देशक सिद्धांतों की अवमानाना है. इसके लिए अब यह जरूरी हो गया है कि निजी स्कूलों के खिलाफ मोर्चाबंदी की जाए और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कि कोई निर्णायक फैसला इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए नहीं होता है.

शिमलाः निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक न लगने के चलते अब छात्र अभिभावक मंच अपने आंदोलन को अगले स्तर पर ले जा रहा है. अब इस आंदोलन को पहले से उग्र कर दिया जाएगा और आंदोलन भी निजी स्कूलों के बाहर ही होगा.

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प्रदर्शन करते छात्र अभिभावक संघ

अभी तक जो धरना प्रदर्शन डीसी कार्यालय और शिक्षा निदेशालय के बाहर हो रहे थे वो अब निजी स्कूलों के बाहर ही किए जाएंगे. छात्र अभिभावक मंच ने खुली चेतावनी दे दी है कि फीस कम कर 18 मार्च को शिक्षा विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना को लागू कर अभिभावकों को आर्थिक राहत प्रदान करें और अगर ऐसा नहीं होता है तो मंच की ओर से शुरू किया गया आंदोलन एक निर्णायक मोड़ लेगा.


छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 22 अप्रैल से दूसरे चरण का यह आंदोलन निजी स्कूलों के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू होगा और 8 अप्रैल को इसका महापड़ाव शिक्षा निदेशालय में होगा. इसी बीच मंच का प्रतिनिधमंडल प्रधान शिक्षा सचिव ओर शिक्षा मंत्री से भी मिलेंगे और अपनी मांगें और समस्या उनके समक्ष रखेंगे.

मंच ने इस आंदोलन को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है. इस आंदोलन के तहत लगातार निजी स्कूलों के बाहर धरना प्रदर्शन होंगे और यह तब तक जारी रहेंगे जब तक अभिभावकों को न्याय नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि यह अभिभावकों की एकता ही है जिसके चलते सोलन के सेंट ल्यूक्स स्कूल ने फीसों को 25 हजार से आधा कर के 13 हजार रुपये कर दिया है.

प्रदर्शन करते छात्र अभिभावक संघ

उन्होंने बताया कि निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं. जमा एक कि पूरे साल की फीस छात्रों से एडवांस ली जा रही है. इसके बाद भी नियमित एडमिशन उन्हें न देकर प्रोविजनल एडमिशन दी जा रही है. साथ ही स्कूल यह भी शर्त लगा रहे हैं कि अगर कोई छात्र किसी भी कारण से स्कूल छोड़ कर जाता है या फेल हो जाता है तो उसे फीस रीफंड नहीं की जाएगी.

यहां तक कि छात्रों को जमा एक में स्ट्रीम भी स्कूल अपनी मनमर्जी से दे रहे हैं. स्कूल अपना परिणाम बेहतर दर्शाने के लिए छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं, जो कि चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन एक्ट और संविधान के अनुच्छेद 45 राज्य के दिशानिर्देशक सिद्धांतों की अवमानाना है. इसके लिए अब यह जरूरी हो गया है कि निजी स्कूलों के खिलाफ मोर्चाबंदी की जाए और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कि कोई निर्णायक फैसला इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए नहीं होता है.

Intro:निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक ना लगने के चलते अब छात्र,अभिभावक मंच अपने आंदोलन को अगले स्तर पर ले जा रहा है। इस स्तर पर अब इस आंदोलन को पहले से उग्र कर दिया जाएगा और आंदोलन भी निजी स्कूलों के बाहर ही होगा,यानी अभी तक जो धरना प्रदर्शन उपायुक्त कार्यालय ओर शिक्षा निदेशालय के बाहर हो रहे थे वो अब निजी स्कूलों के बाहर ही किए जाएंगे। छात्र,अभिभावक मंच ने खुली चेतावनी दे दी है की फ़ीस कम कर 18 मार्च को शिक्षाविभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना को लागू कर अभिभावकों को आर्थिक राहत प्रदान करे और अगर ऐसा नहीं होता है तो मंच की ओर से शुरू किया गया आंदोलन एक निर्णायक मोड़ लेगा।


Body:छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 22 अप्रैल से दूसरे चरण का यह आंदोलन निजी स्कूलों के बाहर धरना प्रदर्शन देने से शुरू होगा और 8 अप्रैल को इसका महापड़ाव शिक्षा निदेशालय में होगा। इसी बीच मंच का प्रतिनिधमंडल प्रधान शिक्षा सचिव ओर शिक्षा मंत्री से भी मिलेंगे ओर अपनी मांगे ओर समस्या उनके समक्ष रखेंगे। मंच ने इस आंदोलन को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है। इस आंदोलन के तहत लगातार निजी स्कूलों के बाहर धरनाप्रदर्शन होंगे और यह तब तक जारी रहेंगे जब तक अभिभावकों को न्याय नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि यह अभिभावकों की एकता ही है जिसके चलते सोलन के सेंट ल्युक्स स्कूल ने फीसों को 25 हज़ार से आधा कर के 13 हजार रुपए कर दिया है।


Conclusion:उन्होंने बताया कि निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे है । जमा एक कि पूरे साल की फीस छात्रों से एडवांस ली जा रही है । इसके बाद भी नियमित एडमिशन उन्हें ना देकर प्रोविजनल एडमिशन दी जा रही है। साथ ही स्कूल यह भी शर्त लगा रहे है कि अगर कोई छात्र किसी भी कारण से स्कूल छोड़ कर जाता है तो या फेल हो जाता है तो उसे फ़ीस रीफंड नहीं कि जाएगी। यहां तक कि छात्रों को प्लस वन में स्ट्रीम भी स्कूल अपनी मनमर्जी से दे रहे है। स्कूल अपना परिणाम बेहतर दर्शाने के लिए छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे है जोकि चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन एक्ट ओर संविधान के अनुच्छेद 45 के राज्य के दिशानिर्देशक सिद्धान्तों की अवमानाना है। इसके लिए अब यह जरूरी हो गया है कि निजी स्कूलों के खिलाफ मोर्चाबंदी की जाए और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि कोई निर्णायक फ़ैसला इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए नहीं होता है।
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