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'मोदी सरकार ने किसानों को दिया विकल्प, नए कानून अपनाएं या पुराने नियमों पर चलते रहें' - Working Committee of Himachal Kisan Morcha

हिमाचल किसान मोर्चा की कार्यसमिति के शुभारंभ पर बोलते हुए बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज कुमार चाहर ने कहा कि इस कार्यसमिति ने प्रदेशभर के किसान मोर्चा के पदाधिकारी भाग लेंगे. महिलाओं के लिए काम करना, किसानों के लिए काम करना, यही नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है. इसी दिशा में हिमाचल सरकार भी आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल के किसानों की पहचान पूरे देश में है. हिमाचल प्रदेश बागवानी के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश कहलाता है. किसान मोर्चा के कार्यकर्ता केंद्र सरकार की नीतियां जो कि विशेषकर किसानों और बागवानों से जुड़ी हुई हैं, उनको किसानों तक पहुंचाते हैं ताकि किसानों के जीवन में अग्रणी बदलाव लाया जा सके.

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Published : Jul 6, 2021, 10:26 PM IST

शिमला: किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज कुमार चाहर ने कहा कि यदि किसी राज्य सरकार को लगता है कि इन विधेयकों से किसानों को लाभ नहीं होगा तो वह पुराने ढर्रे पर ही चल सकते हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जब इन विधायकों पर 18 महीने का स्टे लगा दिया गया है तो ऐसे में विरोध प्रदर्शन करना सही नहीं रहेगा.

'राजनैतिक कारणों से अलग हुए बादल'

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जब तीन कृषि कानूनों का ऑर्डिनेंस आया था. तो उस वक्त अकाली दल साथ में था. प्रकाश सिंह बादल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय एक बयान देते हुए कहा था कि अकाली दल और बीजेपी का रिश्ता नाखून और मांस जैसा है. तीन कृषि विधेयकों का उन्होंने खुद प्रसन्नता व्यक्त करते हुए समर्थन किया था लेकिन बाद में राजनैतिक कारणों से वह अलग हो गए. भारतीय जनता पार्टी कभी किसी को साथ लेकर छोड़ने का काम नहीं करती.

'प्रदर्शन करने का सवाल ही नहीं उठता'

राज कुमार चाहर ने कहा कि यह तीनों किसान विधेयक किसानों को लाभ देने वाले हैं. इसके अलावा जब 18 महीनों के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इन पर स्टे कर दिया गया है तो फिर विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही खड़ा नहीं होता. किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कृषि विधेयक वैकल्पिक हैं. यह किसी पर थोपे नहीं गए हैं. अगर आपको लगता है कि किसान इन तीनों कृषि विधेयकों से लाभ ले सकते हैं तो वह लाभ लें और यदि लगता है कि पुराने ढर्रे पर चल कर किसानों का भला हो सकता है तो उसी ढर्रे पर चलते रहें. मोदी सरकार ने किसानों को विकल्प देने का कार्य किया है. इन विधेयकों को किसान की जीवन में बदलाव लाने के लिए लाया गया है.

वीडियो.

'पूरे देश में हिमाचल के किसानों की पहचान'

हिमाचल किसान मोर्चा की कार्यसमिति के शुभारंभ पर बोलते हुए बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यसमिति ने प्रदेशभर के किसान मोर्चा के पदाधिकारी भाग लेंगे. महिलाओं के लिए काम करना, किसानों के लिए काम करना, यही नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है. इसी दिशा में हिमाचल सरकार भी आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल के किसानों की पहचान पूरे देश में है. हिमाचल प्रदेश बागवानी के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश कहलाता है. किसान मोर्चा के कार्यकर्ता केंद्र सरकार की नीतियां जो कि विशेषकर किसानों और बागवानों से जुड़ी हुई हैं, उनको किसानों तक पहुंचाते हैं ताकि किसानों के जीवन में अग्रणी बदलाव लाया जा सके.

'किसानों के हित में काम कर रही मोदी सरकार'

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि किसान सुधार का कार्य अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से शुरू हो गया था. उन्होंने किसानों को किसान कार्ड प्रदान किया जिसका लाभ नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों तक पहुंचाया. नरेंद्र मोदी ने किसानों के बैंक खाते खुलवा कर 6 हजार रुपए सीधा उनके अकाउंट में पहुंचाए. इसके अलावा सॉयल हेल्थ कार्ड देने का कार्य भी किसानों को किया गया ताकि किसान यह पहचान कर सकें कि उनके खेतों में किस प्रकार की मिट्टी है और कौन सी फसल की अच्छी पैदावार हो सकती है. इसके अलावा यूरिया और अन्य खादों में भी सीधी सब्सिडी देने का कार्य केंद्र सरकार ने किया है.

ये भी पढ़ें: कार्डियोलॉजी में वेंटिलेटर पर पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह, IGMC में विशेषज्ञ चिकित्सक कर रहे देखभाल

शिमला: किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज कुमार चाहर ने कहा कि यदि किसी राज्य सरकार को लगता है कि इन विधेयकों से किसानों को लाभ नहीं होगा तो वह पुराने ढर्रे पर ही चल सकते हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जब इन विधायकों पर 18 महीने का स्टे लगा दिया गया है तो ऐसे में विरोध प्रदर्शन करना सही नहीं रहेगा.

'राजनैतिक कारणों से अलग हुए बादल'

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जब तीन कृषि कानूनों का ऑर्डिनेंस आया था. तो उस वक्त अकाली दल साथ में था. प्रकाश सिंह बादल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय एक बयान देते हुए कहा था कि अकाली दल और बीजेपी का रिश्ता नाखून और मांस जैसा है. तीन कृषि विधेयकों का उन्होंने खुद प्रसन्नता व्यक्त करते हुए समर्थन किया था लेकिन बाद में राजनैतिक कारणों से वह अलग हो गए. भारतीय जनता पार्टी कभी किसी को साथ लेकर छोड़ने का काम नहीं करती.

'प्रदर्शन करने का सवाल ही नहीं उठता'

राज कुमार चाहर ने कहा कि यह तीनों किसान विधेयक किसानों को लाभ देने वाले हैं. इसके अलावा जब 18 महीनों के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इन पर स्टे कर दिया गया है तो फिर विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही खड़ा नहीं होता. किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कृषि विधेयक वैकल्पिक हैं. यह किसी पर थोपे नहीं गए हैं. अगर आपको लगता है कि किसान इन तीनों कृषि विधेयकों से लाभ ले सकते हैं तो वह लाभ लें और यदि लगता है कि पुराने ढर्रे पर चल कर किसानों का भला हो सकता है तो उसी ढर्रे पर चलते रहें. मोदी सरकार ने किसानों को विकल्प देने का कार्य किया है. इन विधेयकों को किसान की जीवन में बदलाव लाने के लिए लाया गया है.

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'पूरे देश में हिमाचल के किसानों की पहचान'

हिमाचल किसान मोर्चा की कार्यसमिति के शुभारंभ पर बोलते हुए बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यसमिति ने प्रदेशभर के किसान मोर्चा के पदाधिकारी भाग लेंगे. महिलाओं के लिए काम करना, किसानों के लिए काम करना, यही नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है. इसी दिशा में हिमाचल सरकार भी आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल के किसानों की पहचान पूरे देश में है. हिमाचल प्रदेश बागवानी के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश कहलाता है. किसान मोर्चा के कार्यकर्ता केंद्र सरकार की नीतियां जो कि विशेषकर किसानों और बागवानों से जुड़ी हुई हैं, उनको किसानों तक पहुंचाते हैं ताकि किसानों के जीवन में अग्रणी बदलाव लाया जा सके.

'किसानों के हित में काम कर रही मोदी सरकार'

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि किसान सुधार का कार्य अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से शुरू हो गया था. उन्होंने किसानों को किसान कार्ड प्रदान किया जिसका लाभ नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों तक पहुंचाया. नरेंद्र मोदी ने किसानों के बैंक खाते खुलवा कर 6 हजार रुपए सीधा उनके अकाउंट में पहुंचाए. इसके अलावा सॉयल हेल्थ कार्ड देने का कार्य भी किसानों को किया गया ताकि किसान यह पहचान कर सकें कि उनके खेतों में किस प्रकार की मिट्टी है और कौन सी फसल की अच्छी पैदावार हो सकती है. इसके अलावा यूरिया और अन्य खादों में भी सीधी सब्सिडी देने का कार्य केंद्र सरकार ने किया है.

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