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पीएम मोदी का नाम और सीएम जयराम का काम, हिमाचल में 2022 के लिए क्या यही होगा भाजपा का नारा

संघ के नजदीकी और नागपुर में गहरी जड़ों वाले नेता नितिन गडकरी की बातों में जाएं तो जयराम ठाकुर की पौ-बारह है. कारण ये है कि अपने हाल ही हिमाचल दौरे में नितिन गडकरी ने जयराम ठाकुर की जमकर तारीफ की. पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगला चुनाव जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. बेशक ये बात पार्टी प्रवक्ता के मुंह से निकली है, लेकिन ऐसी घोषणाओं का कोई न कोई ओरिजन जरूर होता है.

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Published : Jun 29, 2021, 8:31 PM IST

शिमला: मिशन-2022 के लिए भाजपा ने कमर कस ली है, लेकिन चुनाव में उतरने से पहले विपक्षी दल पर मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूरी है. इस बढ़त के लिए एक नारे की गढ़त भी उतनी ही आवश्यक है. पीएम नरेंद्र मोदी का नाम और सीएम जयराम का काम, क्या 2022 में भाजपा इसी नारे के साथ उतरेगी?

यदि संघ के नजदीकी और नागपुर में गहरी जड़ों वाले नेता नितिन गडकरी की बातों में जाएं तो जयराम ठाकुर की पौ-बारह है. कारण ये है कि अपने हाल ही हिमाचल दौरे में नितिन गडकरी ने जयराम ठाकुर की जमकर तारीफ की. एक आयोजन में गडकरी ने पुराने समय को याद करते हुए कहा कि जब वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो जयराम ठाकुर प्रदेश के अध्यक्ष थे. जयराम ठाकुर विनम्र स्वभाव के हैं और काम के प्रति समर्पित हैं.

ये वीडियो जयराम ठाकुर के विश्वासपात्र मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया. केंद्र के एक कद्दावर नेता का जयराम ठाकुर की पीठ थपथपाना इस बात का संकेत है कि हाईकमान में भी सीएम की छवि भली और बेहतर ही है.

जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही चुनाव

धर्मशाला में पार्टी व संगठन की टॉप लीडरशिप की मीटिंग में भी सीएम जयराम ठाकुर की बॉडी लैंग्वेज आत्मविश्वास से भरी हुई थी. पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगला चुनाव जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. बेशक ये बात पार्टी प्रवक्ता के मुंह से निकली है, लेकिन ऐसी घोषणाओं का कोई न कोई ओरिजन जरूर होता है. ये तय है कि बैठकों में अगले चुनाव और नेतृत्व पर विस्तार से बात हुई है. ऐसे में भीतर के गुप्त इशारे पार्टी प्रवक्ता ने जाहिर कर दिए. हालांकि बाद में ये भी जोड़ा कि सीएम कौन होगा, ये चुनाव के बाद तय किया जाएगा.

2017 के चुनाव में भी घोषित करना पड़ा था चेहरा

वर्ष 2017 के चुनाव में भी इस बात पर शोर मचा था कि पार्टी को चुनाव में चेहरा घोषित करना चाहिए. उस समय विपक्षी दल भाजपा पर ये प्रहार करता था कि पार्टी चुनाव में उतरी है, लेकिन बिना चेहरे के. तब पार्टी के भीतर भी हाईकमान पर ये दबाव था कि चेहरा घोषित किया जाए, उससे लाभ होगा. अंत में पार्टी हाईकमान ने हिमाचल की हवा देखकर ये महसूस किया कि चेहरे का ऐलान करना ही होगा.

सिरमौर की चुनावी रैली में तत्कालीन पार्टी प्रमुख अमित शाह ने प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में पार्टी का चेहरा घोषित किया. उस रैली के बाद से बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोरदार उत्साह आया और भाजपा सत्ता में आई. ये अलग बात है कि प्रेम कुमार धूमल खुद चुनाव हार गए और सीएम की कुर्सी की लॉटरी जयराम ठाकुर के नाम लगी.

सत्ता में आने के बाद जीते सारे चुनाव

जयराम ठाकुर सरकार के मुखिया बने तो उसके बाद लोकसभा चुनाव आ गए. चारों सीटों पर भाजपा की रिकार्ड तोड़ जीत हुई. सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को कांग्रेस से अधिक वोट मिले. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अगर लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव हो रहे होते, तो वोटों की गिनती के हिसाब से कांग्रेस को शून्य सीट मिलती. फिर पच्छाद और धर्मशाला उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की. बाद में नगर निकाय चुनाव में भाजपा को जरूर झटका लगा. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग में घोटाले से लेकर मौजूदा समय में कुल्लू की घटना और धर्मशाला के विधायक का अपनी पत्नी से विवाद सामने आया है, जिससे पार्टी की छवि को दाग लगा है.

भाजपा के पास क्या हैं विकल्प

मिशन-2022 में भाजपा के पास विकल्पों की कमी नहीं है, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर के ही नाम की चर्चा हो रही है तो इसके पीछे कारण हैं. ये सही है कि सीएम के पद पर जयराम ठाकुर की ये पहली पारी है और इस दौरान उनका सीखने का दौर है. पार्टी में कोरोना काल से पहले सब ठीक चल रहा था. लोकसभा चुनाव और फिर उपचुनाव में शानदार जीत, पेंशन योजना और प्रदेश भर में दौरे. मुख्यमंत्री का सभी के लिए उपलब्ध होना और सरकार पर कोई दाग न लगना, ये सब सीएम की ताकत बन गए. बाद में कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में खरीद घोटाले से सरकार की छवि खराब हुई. अध्यक्ष तक को पद छोड़ना पड़ा. मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ. ये भाजपा के लिए असहज करने वाली हालात थी.

मौजूदा समय में देखें तो प्रदेश की कमान संभालने के लिए जो नेता चर्चा में आ सकते हैं, उनमें अनुराग ठाकुर और जेपी नड्डा का नाम सबसे प्रमुख है. यहां सवाल यही है कि केंद्र में इतनी जिम्मेदारियां संभालने के बाद क्या हाईकमान उक्त नेताओं को प्रदेश में भेजेगा? बस, इसी सवाल के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर के चेहरे को लेकर जवाब है. ये सारी बातें करते समय चुनाव पूर्व अमित शाह के उस बड़े बयान को भी ध्यान में रखना होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिमाचल में भाजपा की सरकार आने वाले पंद्रह साल के लिए होगी. फिलहाल, अभी ब्यास में से होकर बहुत सा पानी गुजरना है. यदि भाजपा 2022 में फिर सत्ता में आती है तो ब्यास नदी के प्रमुख शहर और जिला मंडी के नेता जयराम ठाकुर के चेहरे को सीएम के रूप में कितना निखारेगी, इस पर सभी की नजरें हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में सेना की टैंक और तोपों के लिए बनेगा गोला बारूद, कई लोगों को मिलेगा रोजगार

शिमला: मिशन-2022 के लिए भाजपा ने कमर कस ली है, लेकिन चुनाव में उतरने से पहले विपक्षी दल पर मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूरी है. इस बढ़त के लिए एक नारे की गढ़त भी उतनी ही आवश्यक है. पीएम नरेंद्र मोदी का नाम और सीएम जयराम का काम, क्या 2022 में भाजपा इसी नारे के साथ उतरेगी?

यदि संघ के नजदीकी और नागपुर में गहरी जड़ों वाले नेता नितिन गडकरी की बातों में जाएं तो जयराम ठाकुर की पौ-बारह है. कारण ये है कि अपने हाल ही हिमाचल दौरे में नितिन गडकरी ने जयराम ठाकुर की जमकर तारीफ की. एक आयोजन में गडकरी ने पुराने समय को याद करते हुए कहा कि जब वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो जयराम ठाकुर प्रदेश के अध्यक्ष थे. जयराम ठाकुर विनम्र स्वभाव के हैं और काम के प्रति समर्पित हैं.

ये वीडियो जयराम ठाकुर के विश्वासपात्र मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया. केंद्र के एक कद्दावर नेता का जयराम ठाकुर की पीठ थपथपाना इस बात का संकेत है कि हाईकमान में भी सीएम की छवि भली और बेहतर ही है.

जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही चुनाव

धर्मशाला में पार्टी व संगठन की टॉप लीडरशिप की मीटिंग में भी सीएम जयराम ठाकुर की बॉडी लैंग्वेज आत्मविश्वास से भरी हुई थी. पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगला चुनाव जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. बेशक ये बात पार्टी प्रवक्ता के मुंह से निकली है, लेकिन ऐसी घोषणाओं का कोई न कोई ओरिजन जरूर होता है. ये तय है कि बैठकों में अगले चुनाव और नेतृत्व पर विस्तार से बात हुई है. ऐसे में भीतर के गुप्त इशारे पार्टी प्रवक्ता ने जाहिर कर दिए. हालांकि बाद में ये भी जोड़ा कि सीएम कौन होगा, ये चुनाव के बाद तय किया जाएगा.

2017 के चुनाव में भी घोषित करना पड़ा था चेहरा

वर्ष 2017 के चुनाव में भी इस बात पर शोर मचा था कि पार्टी को चुनाव में चेहरा घोषित करना चाहिए. उस समय विपक्षी दल भाजपा पर ये प्रहार करता था कि पार्टी चुनाव में उतरी है, लेकिन बिना चेहरे के. तब पार्टी के भीतर भी हाईकमान पर ये दबाव था कि चेहरा घोषित किया जाए, उससे लाभ होगा. अंत में पार्टी हाईकमान ने हिमाचल की हवा देखकर ये महसूस किया कि चेहरे का ऐलान करना ही होगा.

सिरमौर की चुनावी रैली में तत्कालीन पार्टी प्रमुख अमित शाह ने प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में पार्टी का चेहरा घोषित किया. उस रैली के बाद से बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोरदार उत्साह आया और भाजपा सत्ता में आई. ये अलग बात है कि प्रेम कुमार धूमल खुद चुनाव हार गए और सीएम की कुर्सी की लॉटरी जयराम ठाकुर के नाम लगी.

सत्ता में आने के बाद जीते सारे चुनाव

जयराम ठाकुर सरकार के मुखिया बने तो उसके बाद लोकसभा चुनाव आ गए. चारों सीटों पर भाजपा की रिकार्ड तोड़ जीत हुई. सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को कांग्रेस से अधिक वोट मिले. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अगर लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव हो रहे होते, तो वोटों की गिनती के हिसाब से कांग्रेस को शून्य सीट मिलती. फिर पच्छाद और धर्मशाला उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की. बाद में नगर निकाय चुनाव में भाजपा को जरूर झटका लगा. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग में घोटाले से लेकर मौजूदा समय में कुल्लू की घटना और धर्मशाला के विधायक का अपनी पत्नी से विवाद सामने आया है, जिससे पार्टी की छवि को दाग लगा है.

भाजपा के पास क्या हैं विकल्प

मिशन-2022 में भाजपा के पास विकल्पों की कमी नहीं है, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर के ही नाम की चर्चा हो रही है तो इसके पीछे कारण हैं. ये सही है कि सीएम के पद पर जयराम ठाकुर की ये पहली पारी है और इस दौरान उनका सीखने का दौर है. पार्टी में कोरोना काल से पहले सब ठीक चल रहा था. लोकसभा चुनाव और फिर उपचुनाव में शानदार जीत, पेंशन योजना और प्रदेश भर में दौरे. मुख्यमंत्री का सभी के लिए उपलब्ध होना और सरकार पर कोई दाग न लगना, ये सब सीएम की ताकत बन गए. बाद में कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में खरीद घोटाले से सरकार की छवि खराब हुई. अध्यक्ष तक को पद छोड़ना पड़ा. मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ. ये भाजपा के लिए असहज करने वाली हालात थी.

मौजूदा समय में देखें तो प्रदेश की कमान संभालने के लिए जो नेता चर्चा में आ सकते हैं, उनमें अनुराग ठाकुर और जेपी नड्डा का नाम सबसे प्रमुख है. यहां सवाल यही है कि केंद्र में इतनी जिम्मेदारियां संभालने के बाद क्या हाईकमान उक्त नेताओं को प्रदेश में भेजेगा? बस, इसी सवाल के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर के चेहरे को लेकर जवाब है. ये सारी बातें करते समय चुनाव पूर्व अमित शाह के उस बड़े बयान को भी ध्यान में रखना होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिमाचल में भाजपा की सरकार आने वाले पंद्रह साल के लिए होगी. फिलहाल, अभी ब्यास में से होकर बहुत सा पानी गुजरना है. यदि भाजपा 2022 में फिर सत्ता में आती है तो ब्यास नदी के प्रमुख शहर और जिला मंडी के नेता जयराम ठाकुर के चेहरे को सीएम के रूप में कितना निखारेगी, इस पर सभी की नजरें हैं.

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