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हिमाचल का एक ऐसा अनोखा शक्तिपीठ, जहां माता की शक्ति के सामने झुक गया था नेपाल का राजा

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोगों की देवी-देवताओं में गहरी आस्था है. हिमाचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शिमला जिला के रोहड़ू में स्थित माता हाटकोटी का मंदिर भी शामिल है.

हाटकोटी मंदिर
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Published : May 20, 2019, 7:40 PM IST

Updated : May 20, 2019, 11:34 PM IST

रामपुर: शक्तिपीठ हाटकोटी मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र शिमला जिला के रोहडू क्षेत्र में स्थित है. हाटकोटी माता के प्राचीन मंदिर राजधानी शिमला से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर पब्बर नदी के संगम पर सोनपुर पहाड़ी के शिखर छोर पर स्थित है. हाटकोटी माता को महिषासुर मर्दिनी, हाटेश्वरी और हाटकेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है.

पुरातत्वविदों के अनुसार हाटकोटी मंदिर का निर्माण करीब 10वीं शताब्दी के आसपास हुआ. मंदिर में प्राचीन शिल्पकला और वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने आज भी देखे जा सकते हैं. मान्यता है कि अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां आए थे और उन्होंने यहां कुछ दिन बिताए थे. पांडवों के यहां आने के प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं. माता के मंदिर में तांबे का घड़ा, शिव मंदिर, पत्थरों से बनाए गए पांच पांडव विराजमान हैं.

हिमाचल का प्रसिद्ध हाटकोटी मंदिर

कहा जाता है कि हाटकोटी मंदिर से माता की मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल के राजा आए थे. वे माता की मूर्ति अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे. मंदिर से माता की मूर्ति को उखाड़ने के लिए बहुत प्रयास किये गये, लेकिन वे जितना गहरा खोदते मूर्ति उतनी ही गहराई में स्थापित प्रतीत होती. अंत तक भी जब वे मूर्ति को नहीं निकाल पाए तो हार मान कर वापस लौट गए.

hatkoti temple of rohru
हाटकोटी मंदिर
मान्यता है कि हाटकोटी माता का एक पैर पाताल लोक तक है, जिसका आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया. कहा जाता है कि हाटकोटी माता ने ही महिषासुर, जिसे असुरों का राजा भी कहा जाता है का वध किया था, जिसके चलते माता को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.

हाटकोटी माता के दर्शन के लिए हिमाचल के रामपुर, किन्नौर व शिमला समेत पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

पढ़ें- लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल 2019

रामपुर: शक्तिपीठ हाटकोटी मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र शिमला जिला के रोहडू क्षेत्र में स्थित है. हाटकोटी माता के प्राचीन मंदिर राजधानी शिमला से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर पब्बर नदी के संगम पर सोनपुर पहाड़ी के शिखर छोर पर स्थित है. हाटकोटी माता को महिषासुर मर्दिनी, हाटेश्वरी और हाटकेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है.

पुरातत्वविदों के अनुसार हाटकोटी मंदिर का निर्माण करीब 10वीं शताब्दी के आसपास हुआ. मंदिर में प्राचीन शिल्पकला और वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने आज भी देखे जा सकते हैं. मान्यता है कि अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां आए थे और उन्होंने यहां कुछ दिन बिताए थे. पांडवों के यहां आने के प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं. माता के मंदिर में तांबे का घड़ा, शिव मंदिर, पत्थरों से बनाए गए पांच पांडव विराजमान हैं.

हिमाचल का प्रसिद्ध हाटकोटी मंदिर

कहा जाता है कि हाटकोटी मंदिर से माता की मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल के राजा आए थे. वे माता की मूर्ति अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे. मंदिर से माता की मूर्ति को उखाड़ने के लिए बहुत प्रयास किये गये, लेकिन वे जितना गहरा खोदते मूर्ति उतनी ही गहराई में स्थापित प्रतीत होती. अंत तक भी जब वे मूर्ति को नहीं निकाल पाए तो हार मान कर वापस लौट गए.

hatkoti temple of rohru
हाटकोटी मंदिर
मान्यता है कि हाटकोटी माता का एक पैर पाताल लोक तक है, जिसका आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया. कहा जाता है कि हाटकोटी माता ने ही महिषासुर, जिसे असुरों का राजा भी कहा जाता है का वध किया था, जिसके चलते माता को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.

हाटकोटी माता के दर्शन के लिए हिमाचल के रामपुर, किन्नौर व शिमला समेत पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

पढ़ें- लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल 2019

Intro:रामपुर बुशहर 14मई मीनाक्षी


Body:हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है उतनी ही गहरी आस्था यहां के लोगों में भी देवी देवताओं के प्रती है। उसी में से हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र शिमला जिला के रोहडू क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ माता का मंदिर हाटकोटी है। यह शिमला से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर पबबर नदी के दाहिने किनारे पर स्थित अति प्राचीन के लिए जाना जाता है । हाटकोटी माता को महिषासुर मरदानीके नाम से भी जाना जाता है । यहां पर माता के मंदिर में शिल्पकला, वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों के साक्षात दर्शन होते हैं । बताते हैं कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी के आसपास का बना हुआ है ।
माता के मंदिर में आने से अपार शांति का अनुभव होता है । यहां पर दुर दुर से लोग माता के दर्शन के लिए आते है । माता के मंदिर चारों ओर असीम सोंदर्य सैलानियों को अपनी और आकर्षित करता है ।
मान्यता है कि यहां पर अज्ञात वास के समय में पांडव आए थे और उन्होंने यहां पर कुछ दिन समय बिताया था । जिनके अवशेष आज भी यहां पर देखने को मिलते हैं ।
यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता की मूर्ति को ले जानें के लिए नेपाल के राजा आए थे वे माता की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे । लेकिन वे यहां से माता को उठाने में नाकाम रहे । अंत में उन्होंने हार मान ली और वापस लौट गए । हाटकोटी माता का एक पेर पाताल लोक तक है जिसका आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया । मान्यता है कि माता ने महिषासुर का वध किया था । माता के मंदिर में तांबे का घड़ा,शिव मंदिर,पत्थरों से बनाए गए पांच पांडव विराजमान हैं ।
माता के मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता का आशीर्वाद लेने को आते हैं ।

बाईट : पुजारी हाटकोटी माता ।


Conclusion:
Last Updated : May 20, 2019, 11:34 PM IST
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