रामपुर: देव मान्यताओं के कारण ही हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है. अगर बात हिमाचल के पहाड़ी इलाकों की करे तो यहां के ग्रामीण आज भी देव परंपराओं को बखूबी निभा रहे हैं. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में कई देवताओं के मंदिर मौजूद हैं. जिन्हें लोग अपने जीवन का एक हिस्सा मानते हैं.
इन्हीं देवताओं से जुड़ी कई परंपराओं का निर्वहन लंबे समय से किया जा रहा है. जिन्हें लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. जिला शिमला के उपमंडल रामपुर में भी कुछ ऐसी ही परंपराओं को प्रचीन काल से आज तक निभाया जा रहा है.
ऐसी ही एक परंपरा है जो अद्भुत है, रहस्यमयी है और अकल्पनीय भी है. रामपुर के विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध देवता माघ महीने में अपने स्वर्ग प्रवास पर जातें हैं. इसके बाद मंदिरों के कपाट तब तक बंद रखें जाते हैं, जब तक देवता स्वर्ग प्रवास से वापस अपने मंदिर नहीं लौटते. कई देवता एक सप्ताह के लिए तो कई 15 दिन के लिए तो कई देवता एक महीने के बाद स्वर्ग प्रवास से लौटते हैं.
जिस दिन देवता वापस लौट हैं, उस दिन वहां के लोग अपने क्षेत्र में देवता के आने पर खुब तैयारियां करते हैं और अपने घरों में स्थानीय व्यंजन बनाते हैं. वहीं इस दिन मंदिरों में भी पुजारियों द्वारा पुजा पाठ और हवन आदि किए जाते हैं.
देवता गुर के माध्यम से पुरे साल का वर्षफल लोगों को सुनाते हैं. मान्यता है कि जैसे देवता अपने गुर के माध्यम से साल भर का वर्षफल सुनाते हैं, वैसे ही पुरा साल गुजरता है. इस बार क्षेत्र के सभी देवी देवताओं ने हिमाचल प्रदेश के लिए अच्छा साल रहने की भविष्यवाणी की है और पुरा साल अच्छा रहेगा. क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी और अप्रिय घटना नहीं घटेगी. देवताओं के अनुसार इस साल बरसात के समय अधिक बारिश होने की संभावना है. स्वर्ग प्रवास से लौटने पर देवता क्षेत्र वासियों के अच्छे स्वास्थ्य, धन-धान्य, सुख-समृद्धि, अच्छे मौसम, बढ़िया फसल की भविष्यवाणी भी करते हैं.
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