शिमला: मैं आज भी यही हूं, 2022 में भी यही रहूंगा. हिमाचल के राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का ये बयान खूब गूंज रहा है. इस बयान के पीछे क्या राज है और क्या कारण है, राजनीति से जुड़े लोग इसका विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन एक बात तय है कि हिमाचल में नेतृत्व परिवर्तन का शोर इस बयान से जरूर थमा है.
हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. इन मुलाकातों का संदर्भ बेशक हिमाचल के विकास से जुड़े प्रोजेक्ट थे, लेकिन राजनीतिक अर्थ भी कई निकल कर सामने आए.
बदलाव के मूड़ में नहीं पार्टी हाईकमान
दिल्ली दौरे से लौटने के बाद शिमला के अनाडेल में मीडिया से रू-ब-रू हुए सीएम जयराम ठाकुर का बयान कि 2022 में भी यहीं रहूंगा, इसका संकेत है कि हाईकमान का हिमाचल में किसी भी तरह के बदलाव का इरादा नहीं है. हाईकमान के इस इरादे के पीछे कई कारण हैं. जहां तक आरएसएस की मीटिंग का सवाल है तो ये रिव्यू मीटिंग संगठन के रूटीन का हिस्सा हैं. हर मंत्री और विधायक के साथ-साथ पार्टी मुखिया और सरकार के काम-काज की नियमित समीक्षा पहले भी होती आई है.
यदि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के 2017 में सरकार के मुखिया के तौर पर चयन की पृष्ठभूमि देखी जाए तो हाईकमान नए चेहरे के साथ नई पारी खेलना चाहता था. इसका संकेत तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी दिया था. सीएम की कुर्सी संभालने के बाद जयराम सरकार ने जनहित के कुछ फैसले लिए. पेंशन की आयु सीमा कम करना, गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों के लिए सहारा योजना शुरू करना इसका प्रमाण हैं.
कोरोना महामारी की पड़ी मार
दुर्भाग्य से देश और दुनिया में वैश्विक महामारी कोरोना का कहर टूटा और हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा. कोविड की दूसरी लहर में हिमाचल को कई जख्म मिले. ऐसे समय में मुख्यमंत्री ने हर जिला की स्थिति का खुद आगे बढक़र जायजा लिया और ये संकेत दिया कि पहली बार सरकार की कमान संभालने के बावजूद वे धैर्य से नेतृत्व दे सकते हैं.ये सही है कि नगर निकाय चुनाव में पार्टी को झटका लगा है, लेकिन सीएम की कुर्सी पर कोई खतरा उस समय भी नहीं दिखाई दिया. अलबत्ता अफवाहों का बाजार तब भी खूब गर्म हुआ था.
संकट में बरता संयम
वीरभद्र सिंह, सुखराम, प्रेम कुमार धूमल और अब जयराम ठाकुर की सरकार की सरकार के कामकाज को नजदीक से परखने वाले वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानु कहते हैं कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इतने संकटपूर्ण समय में भी किसी तरह का कोई गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं दिया. उन्होंने अपनी हर बात को संयम से रखा है. भानु के अनुसार सबसे पहले इस सवाल पर मंथन होना चाहिए कि सीएम जयराम ठाकुर को क्यों बदलाव का सामना करना चाहिए?
सीएम ने उत्तराखंड, हरियाणा के सीएम जैसा कोई बयान नहीं दिया है. मसलन, मनोहर खट्टर का ये कहना कि 18 प्लस वालों के लिए वैक्सीन कम है तो स्टॉक देखकर टीका लगाया जाएगा. या उत्तराखंड के पूर्व सीएम का कोरोना लेकर दिया गया यह बयान कि कोरोना वायरस भी जीव है और उसे भी जीने का हक है. जयराम ठाकुर ने ऐसे हल्के बयान कभी नहीं दिए. फिर सवाल ये पैदा होता है कि यदि हिमाचल में नेतृत्व परिवर्तन करना ही है तो कौन होगा चेहरा? क्या अनुराग ठाकुर या जेपी नड्डा या फिर कोई और. मौजूदा समय में देखें तो अनुराग और जेपी नड्डा के एकदम हिमाचल भेजे जाने के दूर-दूर तक चांस नहीं दिखते.
अभी भी खुद को साबित करने के लिए एक साल का समय
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास खुद को साबित करने के लिए अभी भी एक साल का समय है. उनके सामने बड़ी चुनौती के रूप में हिमाचल की बिगड़ती आर्थिक सेहत और कोरोना से प्रभावित हुए विकास कार्यों को पटरी पर लाना है. साथ ही सिर पर खड़े तीन उपचुनावों में पार्टी की नैया पार लगाने का जिम्मा भी है. यदि सीएम जयराम ठाकुर इन चुनौतियों से पार पा गए तो 2022 में भी वे सत्ता की केंद्रीय धुरी रहेंगे. हाईकमान से मिली गो अहैड की झंडी ही सीएम जयराम ठाकुर के आत्मविश्वास का कारण है.