शिमला: राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री...46 साल की आयु में अनुराग सिंह ठाकुर ने राजनीति में ऊंचा मुकाम पाया है. बुधवार को अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली. छोटे पहाड़ी राज्य के लिए ये बड़ा सम्मान है. अनुराग ठाकुर हिमाचल से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं. नब्बे के दशक में हिमाचल भाजपा के प्रभारी के रूप में नरेंद्र मोदी देवभूमि के दूरस्थ इलाकों में घूम कर पार्टी का काम करते रहे. हिमाचल के साथ उनकी बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं.
प्रदेश के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल (Former CM Prem Kumar Dhumal) से भी नरेंद्र मोदी के सहज संबंध हैं. ये सही है कि अनुराग ठाकुर ने अपनी प्रतिभा के बलबूते अपनी पहचान केंद्रीय राजनीति में बनाई है, लेकिन अनुराग के कद का बढऩा कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी का हिमाचल के प्रति लगाव भी है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री के तौर पर सक्रिय पारी खेलने के बाद अनुराग सिंह ठाकुर की प्रमोशन हुई है. वे अब केंद्रीय मंत्री हैं. पीएम के हिमाचल प्रेम का दूसरा उदाहरण जेपी नड्डा हैं. वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और टीम मोदी के साथ ही अमित शाह के भी करीबी हैं. चार लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसदों वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल को केंद्रीय राजनीति में इतना अहम स्थान मिला है जो अन्य राज्यों के लिए हैरत की बात है. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष हिमाचल से और युवा नेता केंद्रीय मंत्री, ये छोटी बात नहीं है.
अनुराग ठाकुर ने 2019 में चौथी बार लोकसभा का चुनाव जीता था. मोदी कैबिनेट में वे वित्त राज्यमंत्री बने. अनुराग ठाकुर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. छोटी उम्र में उन्होंने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President of Bharatiya Janata Yuva Morcha) रहे हैं. तिरंगा यात्रा निकालने के बाद वे बहुत चर्चा में आए थे. अनुराग के क्रिकेट प्रेम के बारे में सभी जानते हैं. वे बीसीसीआई के मुखिया रहे. धर्मशाला में शानदार व खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम (cricket stadium) बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. बुधवार को उन्होंने केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली.
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जेपी नड्डा ने छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू किया था. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (Himachal Pradesh University) में एबीवीपी से वे पहले छात्र संघ अध्यक्ष बने थे. जेपी नड्डा वर्ष 1977 से लेकर वर्ष 1990 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में अहम पदों पर रहे. नड्डा ने वर्ष 1989 में भ्रष्टाचार के खिलाफ 45 दिन की जेल यात्रा भी झेली है. वर्ष 1989 में देश में आम चुनाव में जेपी नड्डा को भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रभारी बनाया.
महज 31 साल की आयु में ही जेपी नड्डा वर्ष 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने थे. फिर वे हिमाचल की चुनावी राजनीति में सक्रिय हुए और 1993 में बिलासपुर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने. जेपी नड्डा 1993 से 1998, 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक बिलासपुर सदर सीट से चुनाव जीते. वह हिमाचल सरकार में स्वास्थ्य तथा वन मंत्री भी रहे. बाद में वे केंद्र की राजनीति में आए. अप्रैल 2012 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और कई संसदीय समितियों में रहे. वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता भी रहे.
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