शिमला: बदलते समय के साथ दिवाली पर्व को मनाने का तरीका भी बदला है. बीते कुछ सालों पूजा-पाठ के साथ-साथ पटाखों का चलन भी बढ़ चुका है. यही वजह है की दिवाली के लिए प्रदेश में जगह-जगह पटाखा बाजार सजता है. जहां से लोग दिवाली के लिए पटाखे खरीदते हैं.
इस बार कोरोना का असर शिमला में सजने वाले पटाखा बाजार पर भी नजर आ रहा है. शिमला के आइस स्केटिंग रिंक में पटाखा बाजार तो सजा है, लेकिन पटाखे खरीदने के लिए लोग कम ही पहुंच रहे हैं. वहीं, जिस स्तर पर यहां पर पटाखों के स्टाल लगाए जाते थे, उनमें भी इस बार कमी देखी जा रही है. मात्र 15 या 16 स्टाल ही यहां पर आइस स्केटिंग रिंक में पटाखों के लगे हैं, जबकि अमूमन यहां पर 50 से 55 स्टाल पटाखों के लगते थे और लोग जमकर पटाखों की खरीदारी भी करते थे.
पटाखा कारोबारियों को देरी से जारी हुए लाइसेंस
इस बार प्रशासन की ओर से शहर में पटाखे बेचने के लिए स्थान तो काफी पहले चिन्हित कर दिए गए थे, लेकिन पटाखों के कारोबारियों को लाइसेंस की देरी से जारी किए गए. जिसकी वजह से जो बाजार पटाखों का दिवाली से चार दिन पहले से सज जाता था.
वह बाजार इस बार दिवाली से एक दिन पहले सच पाया है. मात्र दो ही दिन का समय अब इन पटाखों के स्टाल लगाने वालों को अपने पटाखे बेचने के लिए मिल रहा है. ऐसे में उन्हें नुकसान इस बार पटाखे के स्टाल लगाने को लेकर उठाना पड़ेगा. उन्हें तो अभी से इस बात की चिंता सताने लगी है कि जितना सामान लेकर आए हैं, वह सामान इस दिवाली बिक भी पाएगा या नहीं.
बच्चों का मन रखने के लिए खरीद रहें है पटाखे
वहीं, लोग भी इस बार पटाखों को खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. कुछ एक लोग ही स्टाल पर आकर पटाखों की खरीदारी कर रहे हैं और उसमें भी बहुत कम पटाखे दिवाली के पर्व के लिए खरीद रहे हैं. जिनके घरों में छोटे बच्चे हैं, वह अपने बच्चों का मन रखने के लिए छोटे-छोटे पटाखे खरीद रहे हैं. जिनसे ना तो ज्यादा बड़े धमाके हों और ना ही ज्यादा धुंआ निकले. वहीं, कुछेक लोग ही हैं जो बड़े पटाखे और स्काई शॉट की खरीदी पटाखा बाजार में आ कर रह रहे हैं.
दिवाली की शाम 8 से 10 बजे चला सकेंगे पटाखे
बता दें की जिला शिमला में शाम 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे चलाए जा सकेंगे. जो 10 बजे के बाद पटाखे चलाएंगे उनपर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. इस बार दिपावली पर पर्यावरण प्रदूषित ना हो और जहां प्रदूषण ज्यादा है. वहां पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देशों के साथ ही ग्रीन पटाखे चलाने के निर्देश राज्यों को जारी किए थे.
इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने भी प्रदेश वासियों से अपील की थी कि वह दिवाली पर कम से कम पटाखे चलाएं. अगर पटाखें चलाने है ही तो ज्यादा से ज्यादा ग्रीन पटाखे चलाया जाएं, लेकिन पटाखा बाजार में जो स्टाल लगाए गए हैं, वहां ग्रीन पटाखों के नाम पर मात्र पॉप अप पटाखा ही रखे गए हैं.
जिन लोगों ने स्टाल लगाए हैं ना तो उन्हें खुद ग्रीन पटाखों के बारे में जानकारी हैं और ना ही जो लोग पटाखे खरीद में आ रहे हैं, उन्हें ग्रीन पटाखों के बारे में कुछ पता है. यही वजह है कि ना तो स्टाल लगाने वाले लोग ग्रीन पटाखे खरीद कर लाए हैं और ना ही पटाखे क खरीदने वाले लोग इन पटाखों के बारे में पूछ रहे हैं, हालांकि कुछ एक स्टाल वालों का कहना है कि उन्होंने अपने स्टाल पर ग्रीन पटाखे लगाए हैं लेकिन उनकी कीमत ज्यादा है जिसकी वजह से लोग उन्हें नहीं खरीद रहे.
पटाखों की दुकान लगाने के लिए स्थान पहले से ही चिन्हित
दिवाली पर पटाखों के स्टाल लगाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पहले से ही स्थान चिन्हित कर लिए गए थे. शिमला शहर में 12 स्थान चिन्हित किए गए थे. जहां पर पटाखों की दुकानें ह लगाई जा सकती हैं. पटाखों की दुकानें को लगाने के लिए लाइसेंस भी जारी किए गए हैं. मात्र वही लोग पटाखे बेच सकते हैं और तय स्थानों पर अपने स्टाल लगा सकते हैं, जिन्हें लाइसेंस प्राप्त है. इसके अलावा अगर कोई अन्य व्यक्ति पटाखों की बिक्री करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है.
चिन्हित स्थानों पर नहीं बिक रहे ग्रीन पटाखे
शिमला में केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति सरकार की ओर से दी गई है. ऐसे में एसपी शिमला ने भी यह स्पष्ट किया है कि केवल ग्रीन पटाखे ही शहर में तय समय शाम 8 बजे से लेकर 10 बजे तक चलाए जा सकते हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जो पटाखा बाजार जो शहर में सजा है, वहां पर ग्रीन पटाखे ही उपलब्ध नहीं हैं.
ऐसे में किस तरह से यह निर्देश पूरे हो पाएंगे कि शहर में प्रदूषण ना हो इस के लिए ग्रीन पटाखे जलाए जाएं. शहर में पटाखों स्टाल लगाने वाले लोगों को ग्रीन पटाखों के बारे में कोई जानकारी है और ना ही पटाखे खरीदने आने वाले लोग ग्रीन पटाखों के बारे में कुछ जानते हैं तो इन्हें खरीदना तो दूर की बात है.
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