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हिमाचल प्रदेश में जुवेनाइल होम्स में रह रहे हैं 23 बच्चे, ऐसे रखा जाता है ख्याल - शिमला लेटेस्ट न्यूज

हिमाचल में इस समय 23 ऐसे बच्चे हैं जो जुवेनाइल के तहत पंजीकृत हैं और उनकी सुरक्षा और उनके सुधार की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मे है. यह विभाग ऐसे सभी बच्चों की देखभाल करता है जो या तो किसी आपराधिक मामलों में फंस चुकें हों या फिर घर से भाग गए थे और पुलिस ने उन्हें रेस्क्यू किया हो.

juvenile Homes Himachal News, जुवेनाइल होम्स हिमाचल न्यूज
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Published : Feb 19, 2021, 3:13 PM IST

Updated : Feb 19, 2021, 3:18 PM IST

शिमला: कई किशोर जिनकी उम्र 18 साल तक होती है किसी आपराधिक मामलों में फंस जाते हैं. ऐसे में पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करती बल्कि हिरासत में लेकर जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 के तहत जज के सामने पेश कर उन्हें जुवेनाइल इंस्टिट्यूट में रखा जाता है.

हिमाचल में इस समय 23 ऐसे बच्चे हैं जो जुवेनाइल के तहत पंजीकृत हैं और उनकी सुरक्षा और उनके सुधार की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मे है. यह विभाग ऐसे सभी बच्चों की देखभाल करता है जो या तो किसी आपराधिक मामलों में फंस चुकें हों या फिर घर से भाग गए थे और पुलिस ने उन्हें रेस्क्यू किया हो.

वीडियो रिपोर्ट.

43 ऐसे संस्थान हैं जो जुवेलाइन अधिनियम 2015 के तहत पंजीकृत हैं

हिमाचल में 43 ऐसे संस्थान हैं जो जुवेनाइल अधिनियम 2015 के तहत पंजीकृत हैं. जिनमें 2 संस्थान ऊना और शिमला के हीरानगर में जुवेनाइल के लिए बनाए गए हैं. इस संबंध में जब महिला एवं बाल विकास विभाग के ज्वाइंट डॉयरेक्टर सुरेश कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जुवेनाइल अधिनियम के तहत 2 संस्थान ऊना व हीरा नगर में हैं जिसमें 23 के लगभग बच्चे पंजीकृत हैं.

'4-4 सुरक्षा गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं'

सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि इन बच्चों की सुरक्षा के लिए 4-4 सुरक्षा गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं. उनका कहना था कि जुवेनाइल के सुधार व उनके विकास के लिए भी काम किया जाता है और उनकी काउंसलिंग की जाती है, ताकि वह सदमे से बाहर निकल सकें और बेहतर जीवन जी सकें.

उनका कहना था कि ऐसे बच्चों के खान-पान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है और उन्हें 4 समय खाना दिया जाता है. जिसमें ब्रेकफास्ट, लंच फिर 4 बजे चाय बिस्किट और रात को डिनर की बेहतर व्यवस्था रहती है.

ऐसे होता है जुवेनाइल बच्चों का रखरखाव

जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 के तहत एक जेजे बोर्ड गठित है. जिसमें 4 सदस्य और एक अध्यक्ष होता है. जुवेनाइल बच्चों के बारे में बोर्ड का निर्णय सर्वोपरि होता है और इसकी अपील सिर्फ हाईकोर्ट में ही की जा सकती है.

समाज सेवक व जुवेनाइल चाइल्ड बोर्ड के पूर्व सदस्य सुभाष वर्मा ने बताया कि जुवेनाइल एक्ट के तहत जो बच्चे पंजीकृत हैं उनकी सुरक्षा और उनकी देखभाल बहुत जरूरी है. माइनर बच्चों की सुरक्षा के साथ उनका विकास जरूरी है, क्योंकि बदलते समय में यदि समय और सावधानी न बरती तो बच्चे नशे का शिकार हो सकते हैं. उनका कहना था कि हिमाचल में 4 जिले सिरमौर, चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति में वाल विवाह का प्रचलन है उसे सरकार तुरंत रोक लगाए और बच्चों की शिक्षा के लिए काम करे.

ये भी पढ़ें- मेयर सत्या कौंडल ने किया रिज टैंक का निरीक्षण, वार्ड पार्षद ने उठाई ये मांग

शिमला: कई किशोर जिनकी उम्र 18 साल तक होती है किसी आपराधिक मामलों में फंस जाते हैं. ऐसे में पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करती बल्कि हिरासत में लेकर जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 के तहत जज के सामने पेश कर उन्हें जुवेनाइल इंस्टिट्यूट में रखा जाता है.

हिमाचल में इस समय 23 ऐसे बच्चे हैं जो जुवेनाइल के तहत पंजीकृत हैं और उनकी सुरक्षा और उनके सुधार की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मे है. यह विभाग ऐसे सभी बच्चों की देखभाल करता है जो या तो किसी आपराधिक मामलों में फंस चुकें हों या फिर घर से भाग गए थे और पुलिस ने उन्हें रेस्क्यू किया हो.

वीडियो रिपोर्ट.

43 ऐसे संस्थान हैं जो जुवेलाइन अधिनियम 2015 के तहत पंजीकृत हैं

हिमाचल में 43 ऐसे संस्थान हैं जो जुवेनाइल अधिनियम 2015 के तहत पंजीकृत हैं. जिनमें 2 संस्थान ऊना और शिमला के हीरानगर में जुवेनाइल के लिए बनाए गए हैं. इस संबंध में जब महिला एवं बाल विकास विभाग के ज्वाइंट डॉयरेक्टर सुरेश कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जुवेनाइल अधिनियम के तहत 2 संस्थान ऊना व हीरा नगर में हैं जिसमें 23 के लगभग बच्चे पंजीकृत हैं.

'4-4 सुरक्षा गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं'

सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि इन बच्चों की सुरक्षा के लिए 4-4 सुरक्षा गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं. उनका कहना था कि जुवेनाइल के सुधार व उनके विकास के लिए भी काम किया जाता है और उनकी काउंसलिंग की जाती है, ताकि वह सदमे से बाहर निकल सकें और बेहतर जीवन जी सकें.

उनका कहना था कि ऐसे बच्चों के खान-पान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है और उन्हें 4 समय खाना दिया जाता है. जिसमें ब्रेकफास्ट, लंच फिर 4 बजे चाय बिस्किट और रात को डिनर की बेहतर व्यवस्था रहती है.

ऐसे होता है जुवेनाइल बच्चों का रखरखाव

जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 के तहत एक जेजे बोर्ड गठित है. जिसमें 4 सदस्य और एक अध्यक्ष होता है. जुवेनाइल बच्चों के बारे में बोर्ड का निर्णय सर्वोपरि होता है और इसकी अपील सिर्फ हाईकोर्ट में ही की जा सकती है.

समाज सेवक व जुवेनाइल चाइल्ड बोर्ड के पूर्व सदस्य सुभाष वर्मा ने बताया कि जुवेनाइल एक्ट के तहत जो बच्चे पंजीकृत हैं उनकी सुरक्षा और उनकी देखभाल बहुत जरूरी है. माइनर बच्चों की सुरक्षा के साथ उनका विकास जरूरी है, क्योंकि बदलते समय में यदि समय और सावधानी न बरती तो बच्चे नशे का शिकार हो सकते हैं. उनका कहना था कि हिमाचल में 4 जिले सिरमौर, चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति में वाल विवाह का प्रचलन है उसे सरकार तुरंत रोक लगाए और बच्चों की शिक्षा के लिए काम करे.

ये भी पढ़ें- मेयर सत्या कौंडल ने किया रिज टैंक का निरीक्षण, वार्ड पार्षद ने उठाई ये मांग

Last Updated : Feb 19, 2021, 3:18 PM IST
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