शिमला: हिमाचल की पहली ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का मेगा शो भले ही हिट रहा हो, लेकिन 92 हजार करोड़ रुपये के एमओयू वाले निवेश को धरातल पर उतारना प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगा. मंच से अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्मशाला व पहाड़ों में निवेश की बात बेशक की, सुनने में अटपटा बताया हो, लेकिन उनके यहां निवेश की अपार संभावनाएं गिनाने के बाद सरकार पर शत-प्रतिशत निवेश को धरातल पर उतारने का दबाव बढ़ गया है.
छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में जिस समय भाजपा सरकार ने 85 हजार करोड़ रुपए के निवेश को सपना देखा था तो कई सवाल खड़े हुए थे. पहला सवाल तो यही था कि 85 हजार करोड़ रुपए की रकम पहाड़ जैसी है और क्या हिमाचल इतना निवेश आकर्षित कर सकता है? मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी टीम इस निवेश के प्रति आश्वस्त थी. टीम जयराम ने विपक्षी दल कांग्रेस के हमलों की भी परवाह नहीं की. मुख्यमंत्री अपने वजीरों और अधिकारियों के साथ देश के अलावा विदेश भी गए. निवेशकों से मिले और उन्हें भरोसा दिलाया कि हिमाचल निवेश के लिए बैस्ट डेस्टीनेशन है.
जयराम सरकार ने शुरू से ही इन्वेस्टर्स मीट के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ का भरोसा हासिल किया और पीएम नरेंद्र मोदी को धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में शामिल होने के लिए राजी किया. परिणाम ये निकला कि इन्वेस्टर्स मीट में शामिल हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने बेहतर आयोजन के लिए न केवल जयराम सरकार की पीठ थपथपाई, बल्कि देश-विदेश के निवेशकों से कहा कि इस आयोजन में वे मेहमान नहीं, मेजबान हैं.
सीएम जयराम ने निवेशकों को खुलकर हिमाचल में कारोबार करने का निमंत्रण दिया. टीम जयराम की मेहनत से हिमाचल में लक्ष्य से अधिक 92 हजार करोड़ रुपए के एमओयू हस्ताक्षरित हो गए. कुल 635 निवेशकों ने एमओयू साइन किए. विदेश से 200 से अधिक निवेशक आए. भारत के विभिन्न हिस्सों से 2 हजार के करीब निवेशक मौजूद थे. लक्ष्य से अधिक एमओयू साइन होने से जयराम सरकार में खुशी की लहर है. बता दें कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने आयोजन को बेहतरीन बताते हुए कहा कि हिमाचल में तो कान्फ्रेंस टूरिज्म की भी संभावना है. अब अगला कदम इन एमओयू को धरातल पर उतारने और निवेश लाने का है. यदि ऐसा हुआ तो हिमाचल में खुशहाली का नया रास्ता खुलेगा और बेरोजगारी की समस्या भी काफी हद तक हल होगी. निवेश के इस मेगा आयोजन के बाद सबसे बड़ी दिक्कत उद्योगों के लिए भूमि की पेश आएगी.
हिमाचल में इस समय बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ इंडस्ट्रियल एरिया सबसे बड़ा है. ये फार्मा हब है. इसके अलावा परवाणु, अंब, कालाअंब, माजरा, डमटाल, नाहन आदि में उद्योग हैं. हिमाचल का काफी हिस्सा दुर्गम है. प्रदेश के नजरिए से देखें तो यहां पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की काफी संभावनाएं हैं. इसके अलावा पॉवर सेक्टर, बागवानी, आयुर्वेद के सेक्टर भी महत्वपूर्ण हैं. हिमाचल में उपलब्ध जलविद्युत में से बहुत बड़े हिस्से का दोहन होना बाकी है. इसके अलावा पर्यटन का क्षेत्र भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संबोधन में हिमाचल में निवेश के लिए राज्य सरकार को सूत्र दिए हैं. हिमाचल के लिहाज से देखें तो धर्मशाला में उद्योग जगत के कई बड़े चेहरे नजर आए.
सीएम जयराम ठाकुर जब मीट की सफलता के लिए देश भर के दौरे कर रहे थे तो वे रतन टाटा से भी मिले थे. रतन टाटा धर्मशाला नहीं आए. इसके अलावा भारतीय उद्योग जगत के कई बड़े चेहरे जैसे कुमार मंगलम बिड़ला, मुकेश अंबानी, आनंद महिंद्रा आदि नहीं आए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में अमेजन, भारती एयरटेल व मारुति समूह सहित संयुक्त अरब अमीरात के कारोबारी थे. लुलू मॉल के मालिक तो हिमाचल में निवेश को उत्सुक दिखे. अमेजन भी सक्रिय हुआ है.
प्रदेश में आठ लाख से अधिक युवा बेरोजगार
हिमाचल में इस समय आठ लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं. यदि हिमाचल में निवेश धरातल पर उतरता है तो बेरोजगारी पर अंकुश लगेगा. उद्योगों के लिए कुशल श्रमिक हिमाचल को जुटाने होंगे. यहां लगने वाले उद्योगों में यहीं के युवाओं को रोजगार मिले, ये भी बड़ी चुनौती रहेगी. इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर ही उद्योग यहां आएंगे. हिमाचल की खासियत ये है कि राज्य में शांति का माहौल है. उद्योगों की सबसे बड़ी जरूरत बिजली की होती है. पॉवर की हिमाचल में कमी नहीं है. आंकड़ों के नजरिए से देखा जाए तो हिमाचल में 42 हजार से अधिक छोटे और बड़े उद्योग हैं. हिमाचल की जयराम सरकार ने उद्योगों को सहूलियत देने के लिए कई कदम उठाए हैं. नई नीति भी लाई है. उद्योगों को आसानी हो, इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम को पारदर्शी व रिजल्ट ओरिएंटिड बनाया है. अब देखना है कि इन कदमों का हिमाचल को क्या लाभ मिलता है.
इन्वेस्टर्स मीट के बाद इसको सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयास
मुख्यमंत्री कार्यालय ऑनलाइन प्रगति की समीक्षा करता है और निवेशकों को पेश आ रहीं समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करता है. साथ ही यह निवेशकों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की संयुक्त बैठकें भी आयोजित करवाता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं के अनुश्रवण के लिए हिम प्रगति पोर्टल बहुत उपयोगी साबित हो रहा है, क्योंकि इससे परियोजनाओं की तीव्र स्वीकृतियां सुनिश्चित हो रही हैं. निवेशक इसके माध्यम से अपनी परियोजनाओं पर हो रही प्रगति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने निवेशकों को आह्वान किया कि इस पोर्टल के माध्यम से अपनी समस्याएं सामने रखें ताकि उनका समयबद्ध निपटारा हो सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने निवेश के लिए उपयुक्त माहौल तैयार किया है. इसके लिए कई अनापत्ति प्रमाणपत्रों की अनिवार्यता को हटाया गया है और नीतियों को भी सरल किया गया है.
राज्य सरकार ने अब तक विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों के साथ 93,000 करोड़ रुपये की निवेश क्षमता वाले 700 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं जिन्हें इस इंटरफेस पर अपलोड किया गया है. प्रोजेक्ट डेवलपर्स ने इस इंटरफेस के माध्यम से 204 मुद्दों को उठाया जिनमें से संबंधित विभागों द्वारा 154 मुद्दों को हल किया गया है. इसके अलावा, 18866.30 करोड़ रुपये की 147 वर्तमान परियोजनाओं को भी हिम प्रगति पोर्टल पर अपलोड किया गया है. परियोजना डेवलपर्स ने अपने 101 मामलों को उठाया जिनमें से 55 का समाधान किया जा चुका है. अब तक दो ऐसी बैठकें आयोजित की गई हैं जिनमें निवेशकों ने अपनी राय रखते हुए सरकार की इस पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की है.
वहीं, विपक्ष इन्वेस्टर मीट को लेकर लगातार बीजेपी सरकार पर हमलावर रहा है. आखिर सरकार की ये पहल कितनी फायदेमंद होती है ये तो आने वाला समय ही बता पाएगा.
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