शिमला: प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से फैल रहे हैं. ऐसे में लोग थोड़े से भी लक्षण होने पर फ्लू ओपीडी में जा कर अपनी जांच करवा रहे हैं. हालांकि लोगों में इस बात को लेकर संशय है कि आरटीपीसीआर मशीन और उसमें उपयोग होने वाली किट सही है या नहीं. इसी मुद्दे पर जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में जांच पड़ताल की. बता दें कि आईजीएमसी में सोलन, बिलासपुर और किन्नौर से सैंपल जांच के लिए आते हैं.
आरटीपीसीआर जांच पर नहीं उठाया जा सकता सवाल
आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने बताया कि आरटीपीसीआर मशीन में मापदंडों के आधार पर ही टेस्ट किए जाते हैं. इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता और किट भी पूरी तरह सुरक्षित है. उनका कहना था कि मानव शरीर में पाए जाने वाले वायरस की सही जानकारी इसी मशीन से मिलती है. इसकी रिपोर्ट ही सही मानी जाती है. इसकी किट सही हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है. उनका कहना था कि किट की पूरी निगरानी रहती है. गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाता है.
जांच में इस्तेमाल होती है आरटीपीसीआर की स्टैंडर्ड किट
आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉक्टर रजनीश पठानिया ने बताया कि आरटीपीसीआर मशीन टेंडर प्रक्रिया से लगाई गई हैं. मशीन की गुणवत्ता बनी रहे, इसके लिए भी प्रबंध किया जाता है. उनका कहना था कि किट स्टैंडर्ड की इस्तेमाल की जाती है जिससे रिपोर्ट सही आती है. गौरतलब है कि प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में 8 आरटी-पीसीआर और 25 ट्रूनेट लैब स्थापित किए गए हैं. प्रदेश में अबतक 16 लाख कोरोना टेस्ट किए गए हैं. लैब में अधिक सैंपल आने के कारण एक चुनौती रहती है कि रिपोर्ट सही आए और समय पर मिले.
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