शिमला: आज का युग तकनीक का युग है और हम इसी तकनीक से घिरे हुए हैं. तकनीक के बिना कोई काम नहीं होता खासकर आर्थिक लेन-देन में तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है और साइबर ठग भी इसी तकनीक के सहारे लोगों को चूना लगाते हैं.
QR कोड से हो रही ठगी
QR कोड इन दिनों भुगतान के लिए इस्तेमाल होने वाला सबसे आधुनिक तरीका है. जिसे स्कैनर और क्यूआर कोड के माध्यम से स्कैन किया जाता है लेकिन अब साइबर ठग इसी क्यूआर कोड को हथियार बनाकर ठगी को अंजाम दे रहे हैं.
देश में नोटबंदी के बाद ऑनलाइन और डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ गया. इसके साथ ही बाजार में कई तरह के भुगतान एप भी सामने आए. कैश लेनदेन कम करने के लिए लोग भी बढ़ चढ़कर इन एप का इस्तेमाल करने लगे. जिसमें क्यूआर कोड को स्कैन करके आप किराना स्टोर से लेकर पेट्रोल पंप और शॉपिंग मॉल से लेकर किसी भी दुकान में भुगतान कर सकते हैं. वक्त के साथ-साथ लोगों का आर्थिक लेन-देन का तरीका बदला तो ठगों ने भी अपने पैंतरे बदल लिए और बदले हुए तरीकों को ही अपना हथियार बना लिया. साइबर ठग अब इन क्यूआर कोड के जरिये ही लोगों से ठगी कर रहे हैं.
QR कोड क्या है, कैसे काम करता है ?
QR Code यानि Quick Response Code एक प्रकार के मैट्रिक्स बारकोड ट्रेडमार्क है. क्यूआर कोड वर्गाकार होते हैं जो कई डॉट से मिलकर बनता है. ये क्यूआर कोड भुगतान के लिए इस्तेमाल होता है. आपने टिकट, ऑनलाइन पेमेंट से लेकर दुकानों पर देखा होगा जिन्हें स्कैन करके रुपयों का भुगतान किया जाता है.
क्यूआर कोड वर्गाकार होता है जिसके तीन कोनों पर छोटे-छोटे वर्गाकार ब्लॉक होते हैं. इसमें टाइमिंग लाइन के साथ एरर कनेक्शन ब्लॉक होते हैं. क्यूआर कोड मे बने ब्लॉक एक दूसरे से एरर कनेक्शन से जुड़े रहते हैं. QR कोड में छुपी हुई जानकारी को मोबाइल या किसी स्कैनर के माध्यम से पढ़ा जा सकता है.
क्यूआर कोड सबसे पहले जापान में बना और इस्तेमाल हुआ. इसके बाद इसका इस्तेमाल दुनियाभर में भुगतान के लिए होता है. आज आर्थिक लेन-देन कैश के बजाय डिजिटल और ऑनलाइन माध्यमों से होता है. आजकल कई डिजिटल वॉलेट मौजूद हैं जिनसे क्यूआर कोड के जरिये आप भुगतान करते हैं.
कैसे होता है QR कोड से फ्रॉड ?
इन दिनों कॉन्टेक्ट लैस पेमेंट का चलन बढ़ा है और क्यूआर कोड भुगतान करने का सबसे सुविधाजनक माध्यमों में शामिल है. क्यूआर कोड को स्कैन करते ही भुगतान हो जाता है. किराना स्टोर से लेकर, बिल भुगतान, टिकट खरीद से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक में आज क्यूआर कोड का इस्तेमाल होता है. यही सुविधाजनक माध्यम साइबर ठगों के लिए भी ठगी का सबसे आसान जरिया साबित हो रहा है.
क्यूआर कोड फिशिंग
कई बार ठग आपके क्यू आर कोड को बदल देते हैं जिसके चलते आपको होने वाला भुगतान ठगों तक पहुंच जाता है. इसे क्यूआर कोड फिशिंग कहते हैं.
क्यूआर कोड से ठगी
कई बार नौकरी के नाम पर या ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी ठगी होती है और इसके लिए क्यूआर कोड का सहारा लिया जाता है. साइबर ठग नौकरी लगाने के नाम पर प्रोसेसिंग फीस की मांग करते हैं और क्यूआर कोड के जरिये रुपयों की मांग करते हैं. इसी तरह ऑनलाइन शॉपिंग की स्कीम, ऑफर बताकर क्यूआर कोड के जरिये भुगतान के लिए कहा जाता है और स्कैन करते ही आप क्यूआर कोड ठगी का शिकार हो जाते हैं. इसी तरह कई बार लॉटरी से लेकर टिकट बुकिंग के नाम पर भी इसी तरह से ठगी को अंजाम दिया जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
शिमला साइबर सैल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर कहते हैं कि साइबर ठग आपका मोबाइल नंबर हासिल कर लेते हैं और फिर आपको वॉट्सएप, फोन या अन्य माध्यमों से संपर्क करते हुए गिफ्ट, ऑफर या लॉटरी लगने का झांसा देते हैं. इसके बाद आपको एक क्यूआर कोड भेजकर उसे स्कैन करने के लिए कहा जाता है और एक निश्चित रकम उसमें फीड करवाई जाती है. क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद आप जैसे ही उसे भेजते हैं तो आपके खाते से पैसा ठगों को पहुंच जाता है. इस तरह साइबर ठग अलग-अलग तरह से झांसा देकर क्यूआर कोड के जरिये लोगों को शिकार बनाते हैं.
सावधानी है जरूरी
डिजिटल पेमेंट माध्यमों के आने के बाद हमारा काम आसान और जल्दी तो होने लगा है लेकिन इस जल्दबाजी के चक्कर में लापरवाह होना लाजमी हो जाता है और यही लापरवाही साइबर ठगों को मौका देती है कि वो आपको चूना लगा सकें. दरअसल डिजिटल माध्यम जैसे क्यूआर कोड स्कैन कर भुगतान करते समय हम सिर्फ भुगतान की जाने वाली रकम को फीड करते हैं और भुगतान हो जाता है लेकिन कई बार ये क्यूआर कोड आपको कंगाल भी कर सकते हैं. इसलिये साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी भी तरह के आर्थिक लेन देन के दौरान आपकी सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है.
- डिजिटल रूप से आर्थिक लेन-देन के दौरान सतर्क रहें.
- क्यूआर कोड स्कैन करने पर रिसीवर का नाम जरूर कंफर्म करें. कहीं भी क्यूआर कोड स्कैन करते वक्त सावधानी बरतें. कोड को स्कैन करने पर उस शख्स या दुकान का नाम आता है जिसे आप भुगतान करने जा रहे हैं. भुगतान करने से पहले कंफर्म कर लें हो सकता है कि ठगों ने क्यूआर कोड बदल दिया हो.
- जरूरत पड़े तो क्यूआर कोड को स्कैन करने की बजाय फोन नंबर कंफर्म करके भुगतान करें.
- लॉटरी, ऑफर, कैशबैक, डिस्काउंट के झांसे में आकर कोई भी क्यूआर कोड बिना जांचे परखे स्कैन ना करें.
- इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्त सावधान रहें क्योंकि साइबर ठग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके आपको क्यूआर कोड भेजकर ठगी को अंजाम दे सकते हैं.
- वॉट्सएप, ई-मेल पर आए अनजान या नए क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचें.
सबसे जरूरी बात ये ध्यान रहे कि क्यूआर कोड का इस्तेमाल भुगतान के लिए होता है ना कि पैसे लेने के लिए नहीं होता. इसलिये अगर कोई आपको क्यूआर कोड भेजकर आपको लॉटरी, ऑफर, कैशबैक, डिस्काउंट या गिफ्ट का झांसा देता है तो वो कोई ठग है जो क्यूआर कोड के जरिये आपसे ठगी करना चाहता है.
ठगी हो तो क्या करें
किसी भी तरह की ठगी होने पर सबसे पहले पुलिस या साइबर सैल को इसकी जानकारी दें ताकि साइबर अपराध में सबसे पहले उठाए जाने वाले कदम वक्त रहते उठाए जा सकें. जैसे साइबर ठगी के मामलों में सबसे पहले पुलिस द्वारा बैंक अकाउंट फ्रीज किए जाते हैं और जिस बैंक अकाउंट, एप, डिजिटल वॉलेट या फोन नंबर के सहारे ठगी को अंजाम दिया जाता है उसपर शिकंजा कसने के लिए जरूरी कदम उठाए जाते हैं.
किसी भी तरह का गलत ट्रांजक्शन होने पर साइबर सैल को इसकी जानकारी दें और मामले से जुड़ी हर जानकारी साझा करें. ताकि पुलिस ठगों तक पहुंच सके.
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