शिमला: हिमाचल प्रदेश के युवा बागवान डिंपल पांजटा पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे हैं. सरकारी नौकरी के पीछे भागने की बजाय डिंपल ने बागवानी को चुना. आत्मनिर्भर होने के लिये डिंपल ने जमकर बगीचे में पसीना बहाया और आज ये बागवान उस मुकाम पर है, जहां देश की सरकार ने भी उसके काम को सलाम किया है.
हाल ही में डिंपल पांजटा को दिल्ली में कृषि एवं आत्मनिर्भर भारत पर आयोजित 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन में नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. बड़ी बात यह है कि केंद्रीय कृषि मंत्री की मौजूदगी में देश के कुल 6 लोगों को कृषि और बागवानी में शानदार काम के लिए नेशनल अवार्ड मिला है और इसमें छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के दुर्गम गांव के युवा डिंपल पांजटा का नाम भी शामिल हैं डिंपल ना केवल खुद बागवानी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं बल्कि औरो को भी निशुल्क शिविर लगाकर सेब व अन्य फलों के उत्पादन की बारीकियां सिखा रहे हैं.
सम्मान दिल्ली में दिया गया
ईटीवी भारत से बातचीत में डिंपल पांजटा ने हिमाचल में बागवानी के वर्तमान और भविष्य के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि यह सम्मान दिल्ली में दिया गया. इस कार्यक्रम में सम्मानित होना मेरे लिए गर्व का विषय है. केंद्रीय कृषि मंत्री के हाथों देशभर के 6 लोगों को कृषि और बागवानी के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया गया.
बागवानी के क्षेत्र में बेहतर समाजसेवा का काम करने के लिए उनको सम्मानित किया गया. उन्होने कहा कि हिमाचल के अलावा कश्मीर और उत्तराखंड में भी बागवानों की मदद के लिए समाजिक कार्य कर रहे हैं. कृषि एवं आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए बागवानी और कृषि अहम भूमिका निभा रहा है. उन्होने कहा कि लोगों को निशुल्क ट्रेनिग से प्रोडक्शन में बढ़ोतरी हुई.
कृषि और वानिकी को शिक्षा में अहम स्थान मिलना चाहिए
कई युवा बड़े शहरों से प्राइवेट नौकरी छोड़कर अब बागवानी का रुख कर रहे हैं. डिंपल ने कहा कि कृषि और वानिकी को शिक्षा में अहम स्थान मिलना चाहिए. कोई भी सरकार इतनी बड़ी आबादी को सरकारी रोजगार नहीं दे सकती. इसलिए कृषि एवं वाणिकी स्वरोजगार में अहम भूमिका निभा सकता है.
डिंपल पांजटा ने कहा कि हिमाचल में सेब उत्पादन की दर बहुत कम है. विदेशों में बागवान कम जमीन पर बागवानी कर अधिक फसल पैदा करते हैं. हिमाचल में वर्तमान समय में करीब 4 लाख परिवार सेब उत्पादन करते हैं. हिमाचल में सेब की प्रोडक्शन बहुत कम है यहां करीब 6 से 7 मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर की दर से सेब उत्पादन होता है, जबकि विदेशों में 50 से 60 मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर की दर से उत्पादन होता है. इसके सबसे बड़ा कारण प्रदेश के बागवानों को सरकार की तरफ से कम सुविधाएं मिलना है.
आधारभूत ढांचे के निर्माण पर भी ध्यान देना होगा
प्रदेश में बागवानी के भविष्य पर बोलते हुए डिंपल ने कहा कि अगर सरकार ध्यान दे तो इस क्षेत्र में स्वरोजगार के बेहतर अवसर हैं. सरकार को चाहिए कि विदेशों की तर्ज पर बागवानों को कम ऋण दर लंबे समय के लिए कर्ज दें, ताकि बागवान फसल की अच्छे से पैदावार कर सके और आवश्यक सामग्री की खरीद भी कर सके. इसके अलावा सरकार को रिसर्च और आधारभूत ढांचे के निर्माण पर भी ध्यान देना होगा.
कृषि और बगवानी को स्कूल सिलेबस का अहम हिस्सा बनाना होगा. आज किसान और बागवान अपने बच्चों को शहरों में पढ़ाई के लिए भेज रहे हैं. जहां कृषि और बागवानी के बारें कोई बेसिक जानकारी नहीं दी जाती. प्रूनिंग और ट्रेनिंग के बेसिक कोर्स करवाए जाने चाहिए. इसके अलावा तहसील स्तर पर ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए. वहीं, डिंपल पांजटा को नेपाल सहित भारत के 8 राज्यों से लेक्चर देने के लिए बुलाया गया है.
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