शिमला: प्रदेश के स्कूलों में तैनात करीब 2613 एसएमसी शिक्षक अपनी स्थिति को लेकर आहत हैं. कोर्ट से एसएमसी शिक्षकों के खिलाफ फैसला आने के बाद ही एसएमसी शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. एसएमसी शिक्षकों ने बताया कि हम आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने सरकार एसएमसी शिक्षकों को लेकर 3 दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करने की बात कही है.
इसके साथ ही एसएमसी संघ ने ऐलान किया कि वह आज से ही छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं को बंद कर रहे हैं. वहीं, स्कूल जा रहे एसएमसी शिक्षक भी ड्यटी पर नहीं जाएंगे. एसएमसी संघ के अध्यक्ष मनोज रोंगटा ने शिमला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में 2613 के करीब एसएमसी शिक्षकों को कोर्ट ने बाहर निकालने के आदेश जारी किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कोर्ट में इनकी पैरवी सही तरीके से नहीं की. प्रदेश के स्कूलों में 2012 में एसएमसी के लिए पॉलिसी आई थी. जिसके तहत 2012 से 2016 तक के दूरदराज के क्षेत्रों में जहां रेगुलर शिक्षक नहीं जा रहे थे, वहां एसएमसी शिक्षकों ने शिक्षा की कमान संभाली, लेकिन अब 2613 एसएमसी शिक्षकों से उनका रोगजार छीना जा रहा.
एसएमसी अध्यापकों ने कहा कि प्रदेश में एसएमसी शिक्षकों की हालत यह है कि उन्हें आठ माह से वेतन नहीं मिला है. सरकार 3 दिन में साफ करे कि वह कोर्ट में पुनः विचार के लिए एसएमसी अध्यापकों के मामले को आगे बढ़ाएगी या नहीं.
14 अगस्त तक का वेतन दिया जाए
एसएमसी शिक्षक संघ ने कहा उन्होंने कोरोनाकाल में भी छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं को जारी रखा, लेकिन आठ माह से उन्हें वेतन जारी नहीं किया गया है. सरकार तुरंत एसएमसी शिक्षकों को तुरंत प्रभाव से वेतन जारी करे. प्रदेश में 130 स्कूल एसएमसी शिक्षकों के ही सहारे है. इसके साथ ही 250 स्कूलों में 4 से 5 एसएमसी शिक्षकों को तैनाती दी गई है. इसके अलावा किन्नौर में 140, लाहौल स्पीति में 164, पांगी में 100 और भरमौर में 126 एसएमसी शिक्षक वर्तमान में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.