शिमला: बढ़ती ऊर्जा की जरूरतों के बीच हिमाचल की मिनी रत्न कंपनी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड न केवल देव भूमि को रोशन करती है, बल्कि विदेशों में भी कई प्रोजेक्ट सफलता से चला रही है. एसजेवीएनएल के नाम से मशहूर यह ऊर्जा कंपनी लाभांश के जरिए हिमाचल सरकार का खजाना भी भरती है. भारत के अलावा पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान आदि में भी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड कई प्रोजेक्ट चला रही है. यही नहीं, हिमाचल प्रदेश में रामपुर स्थित प्रोजेक्ट में इंजीनियरिंग की अदभुत मिसाल देखने को मिलती है. इसके अलावा इसी प्रोजेक्ट में ऊर्जा उत्पादन के नित-नए रिकॉर्ड भी बना रही है.
यदि पड़ोसी देशों की बात करें तो एसजेवीएनएल नेपाल में 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन के अलावा 900 मेगावाट की अरुण-3 हाइड्रो पावर परियोजना और 679 मेगावाट की लोअर अरुण परियोजना का निर्माण कर रहा है. भूटान में भी एसजेवीएनएल हाइड्रो पावर सेक्टर में काम कर रहा है. बड़ी बात यह है कि एसजेवीएनएल ने अकसर लक्ष्य से अधिक ऊर्जा उत्पादन किया है और निगम की सभी परियोजनाएं अपने लक्ष्यों को पूरा कर रही है. हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत दोहन की अपार संभावनाएं हैं. प्रदेश में इस समय 27 हजार मेगावाट से अधिक बिजली पैदा करने की क्षमता है. उसमें एसजेवीएनएल सबसे अधिक योगदान देती है.
एसजेवीएनएल हिमाचल प्रदेश में देश का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट संचालित करती है. यह नाथपा झाकड़ी जल विद्युत स्टेशन में डेढ़ हजार मेगावाट के तौर पर है. इसके अलावा रामपुर जल विद्युत स्टेशन 400 मेगावाट और महाराष्ट्र में 47.6 मेगावाट की विंड एनर्जी परियोजना भी इस कंपनी के खाते में है. हिमाचल के अलावा एसजेवीएनएल उत्तराखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान व अरुणाचल प्रदेश में भी काम कर रही है. चूंकि एसजेवीएनएल हिमाचल में देश का सबसे बड़ा विद्युत प्रोजेक्ट चलाती है, लिहाजा हिमाचल सरकार का इस जलविद्युत कंपनी में 25.51 फीसदी का शेयर है. इससे कंपनी के लाभ का हिस्सा प्रदेश सरकार को भी मिलता है.
हिमाचल को वित्त वर्ष 2016-17 में सतलुज जलविद्युत कंपनी से लाभांश के रूप में 290.13 करोड़ रुपए मिले थे. वर्ष 2019 में एसजेवीएनएल ने हिमाचल सरकार को 68 करोड़ रुपए से अधिक के लाभांश का चेक दिया था. इसके बाद 2018 में ही 200 करोड़ का लाभांश हिमाचल सरकार को मिला था. वर्ष 2016-17 में एसजेवीएनएल ने 8700 मिलीयन यूनिट बिजली उत्पादन के लक्ष्य के मुकाबले 9045 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की. इस तरह एसजेवीएनएल ने उस वित्तीय वर्ष में 2468.66 करोड़ रुपए का राजस्व कमाया. सभी तरह के टैक्स आदि चुकाने के बाद एसजेवीएनएल 1544. 14 करोड़ रुपए का लाभ कमाया. इसी लाभ में से प्रदेश सरकार को अपने 25.51 फीसदी हिस्से के तौर पर 290 करोड़ रुपए से अधिक का लाभांश दिया है.
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उल्लेखनीय है कि यह कंपनी समय-समय पर मुख्यमंत्री राहत कोष में भी अनुदान देती है. 2018 में मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए का अंशदान किया गया था. एसजेवीएनएल के एमडी नंदलाल शर्मा ने बताया कि कंपनी की स्थापना मई 1988 में हुई थी. कंपनी की नेटवर्थ इस समय 10 हजार 200 करोड़ रुपए से अधिक है. देश के सबसे बड़े पावर स्टेशन नाथपा-झाकड़ी ने 2014 में अपना ही रिकार्ड तोड़ते हुए एक दिन में 39 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की थी. सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) का नाथपा झाकड़ी पॉवर स्टेशन देश का सबसे बड़ा भूमिगत पॉवर स्टेशन है. इस परियोजना का बांध किन्नौर जिले में है और पॉवर स्टेशन शिमला जिला के नाथपा-झाकड़ी में स्थित है.
सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड का नाथपा-झाकड़ी पॉवर स्टेशन कई मायनों में अनूठा है. इस भूमिगत पॉवर स्टेशन में मशीनों के संचालन में आधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है. नंदलाल शर्मा के अनुसार आने वाले समय में कंपनी पांच हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रही है. बता दें कि 780 मेगावाट की जंगी थोपन पोवारी परियोजना भी एसजेवीएनएल के पास है. कंपनी ने 2030 तक 12 हजार मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना तय किया है.