शिमला: हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने एक सुखद फैसला लिया है. अनाथ आश्रमों में रहने वाले 6 हजार बच्चों, जिन्हें औपचारिक रूप से निराश्रित कहा जाता था, उन्हें अब किसी की दया पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. उन्हें सरकार की तरफ से एक तोहफा मिला है. अब बेहतरीन शैक्षणिक सुविधाएं, देश के विभिन्न स्थलों की यात्राएं, उच्च शिक्षा के लिए सहायता के साथ-साथ निकट भविष्य में घर बनाने के लिए जमीन व आर्थिक सहायता भी मिलेगी. ये सब संभव हुआ है एक विधेयक से.
6 हजार बच्चे कहलाएंगे चिल्ड्रन ऑफ स्टेट: सुखविंदर सिंह सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र में एक विधेयक पारित कर अनाथ आश्रमों में रहने वाले बच्चों के लिए सुविधाओं का खजाना खोला है. बड़ी बात ये है कि विधेयक में केवल एक शब्द अधिकार ने ऐसे बच्चों के लिए सम्मान के दरवाजे खोले हैं. वे अब किसी की दया पर निर्भर नहीं होंगे. विभिन्न आश्रमों में रह रहे 6 हजार निराश्रित लडक़े-लड़कियां अब चिल्ड्रन ऑफ स्टेट कहलाएंगे.विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश सुख-आश्रय (बच्चों की देखभाल, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) विधेयक-2023 को पारित किया है.
माता-पिता का जिम्मा सरकार का: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार हिमाचल प्रदेश सुख-आश्रय (बच्चों की देखभाल, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) विधेयक-2023 के लागू होने से राज्य के 6 हजार निराश्रित बच्चों के लिए के माता-पिता का जिम्मा अब प्रदेश सरकार का है. राज्य सरकार इन बच्चों को अभिभावक के रूप में पालने-पोसने, उच्च शिक्षा दिलाने और खुद का घर बनाने के लिए मदद करेगी. इससे वे समाज की मुख्य धारा में सम्मान के साथ जुड़ सकेंगे.
खुशियां मनाने के लिए मिलेगा अनुदान: मौजूदा समय में चाइल्ड केयर और आफ्टर केयर संस्थानों में रहने वाले बच्चों को मौसम के अनुसार कपड़े और पर्व-त्योहारों में खुशियां मनाने के लिए उत्सव अनुदान दिया जाएगा. साल में एक बार इन बच्चों को प्रदेश के भीतर व प्रदेश के बाहर एजुकेशनल टूर की सुविधा दी जाएगी. ऐसे बच्चों के आरडी यानी रेकरिंग डिपॉजिट खाते भी खोले जाएंगे और उसमें राज्य सरकार की तरफ से योगदान दिया जाएगा.
27 साल तक सरकार देगी सहारा, घर बनाने को मिलेगी जमीन: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य सरकार इन बच्चों को 27 साल की आयु तक उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास के साथ-साथ अपनी पसंद के विषय के लिए कोचिंग हासिल करने को लेकर सभी जरूरी सहायता देगी. यही नहीं, इन बच्चों को उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और कोचिंग के दौरान निजी खर्च को पूरा करने के लिए स्टाइपेंड भी दिया जाएगा.जो बच्चे 18 वर्ष की आयु के बाद अपना स्टार्टअप स्थापित करना चाहते हैं, उनको राज्य सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता भी दी जाएगी. इन बच्चों को अपना घर बनाने के लिए तीन बिस्वा जमीन मिलेगी. साथ ही मकान बनाने के लिए अनुदान भी दिया जाएगा.
हवाई जहाज में करेंगे यात्रा, थ्री स्टार होटल में ठहरेंगे: साल में एक बार बच्चों को एजुकेशनल ट्रिप पर ले जाया जाएगा. उन्हें हवाई यात्रा की सुविधा मिलेगी. साथ ही ऐसे बच्चों के ठहरने की व्यवस्था थ्री-स्टार होटलों में की जाएगी. इन बच्चों के लिए किए गए विभिन्न प्रावधानों पर एक साल में 272 करोड़ रुपए का खर्च होगा. उल्लेखनीय है कि सत्ता में आने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐसे बच्चों के लिए सुख आश्रय कोष की स्थापना की थी. इस कोष में आरंभिक तौर पर 101 करोड़ रुपए का फंड दिया गया.सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना पहला वेतन इस कोष में दिया. विधायकों व मंत्रियों ने भी एक-एक लाख रुपए का अंशदान दिया. वहीं, विभिन्न संस्थाओं तथा नागरिकों ने अब तक सत्तर लाख रुपए के करीब अंशदान दिया है.
देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल: वरिष्ठ मीडिया कर्मी डॉ. एमपीएस राणा के अनुसार हिमाचल प्रदेश ने निराश्रित बच्चों के लिए जो प्रावधान किए हैं, वो देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल है. निराश्रित बच्चों के लिए जिन सुविधाओं का ऐलान किया गया है, वे किसी और राज्य में नहीं हैं. मसलन, हवाई यात्रा, थ्री स्टार होटलों में ठहराव, करियर के लिए सभी तरह की सहायता आदि. लेखक-संपादक नवनीत शर्मा के अनुसार विधेयक में दया शब्द की जगह अधिकार शब्द को स्थान दिया गया है. ये अपने आप में मानवीय गरिमा को स्थापित करता है.
बालिका आश्रम में ठहरने की आयु बढ़ाकर 27 साल की गई: उल्लेखनीय है कि कुल्लू के एक निराश्रित बेटी सर्दी के मौसम में शिमला पहुंची थी. देर रात सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू जब बैठकों से फारिग हुए तो उस लड़की ने अपना दुख बताया. लड़की की उम्र 27 साल हो गई थी, लिहाजा अनाथ आश्रम में ठहराव की तय की गई 26 साल की आयु को वो पार कर चुकी थी. लड़की ने सिर पर छत न होने का दुख सुनाया. सीएम ने उसके बाद अधिकारियों को निर्देश दिए और बालिका आश्रम में ठहरने की आयु बढ़ाकर 27 साल कर दी. साथ ही लड़की के लिए मकान बनाने को लेकर पट्टे पर जमीन देने के निर्देश भी जारी किए. हालांकि, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहले ही सुख आश्रय कोष की स्थापना कर दी थी, लेकिन विधानसभा में विधेयक लाकर ऐसे बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ स्टेट का दर्जा दिया. विपक्ष ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.
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