शिमला: राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 6 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बनाया (Chief Parliamentary Secretary in Himachal) है. आज सुबह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सचिवालय में सभी 6 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव पद की शपथ दिलाई. इनमें सुंदर सिंह ठाकुर, रामकुमार चौधरी, मोहन लाल ब्राक्टा, आशीष बुटेल, किशोरीलाल, संजय अवस्थी और रामकुमार को मुख्य संसदीय सचिव पद की शपथ दिलाई गई.
शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) ने कहा कि एकदम से कैबिनेट गठन से पहले सीपीएस की तैनाती का फैसला लिया गया. रात को ही अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए थे. जबकि, विधायकों को भी इस बात की जानकारी नहीं थी. जिसके चलते सीपीएस बने विधायकों को अपने परिवारों को बुलाने का मौका भी नहीं मिला. बता दें कि इन सभी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया (Six MLA were made CPS in Himachal) जाएगा. मुख्य संसदीय सचिव बनाने की पहल वीरभद्र सरकार में शुरू हुई थी. जब मंत्रियों को बनाने की सीमा तय हुई थी कि मुख्यमंत्री के अलावा केवल 11 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं.
कौन होता है संसदीय सचिव/पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी: एकदम आसान भाषा में कहें, तो संसदीय सचिव का पद वित्तीय लाभ का पद है. संसदीय सचिव जिस किसी भी मंत्री के साथ जुड़ा होता है, वो उसकी मदद करता है. बदले में उसे पैसा, कार जैसी जरूरी सुविधाएं मिलती हैं. ये ब्रिटिश सिस्टम की देन है. इंग्लैंड में मंत्री संसद के उसी सदन में जा सकता है, जिसका वो सदस्य होता है. तो दोनों सदनों में काम करने के लिए मंत्री को पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी की जरूरत पड़ती है.
पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी अपने मंत्री की तरफ से किसी भी सदन में जा सकता है. सीधे-सीधे कहें, तो राज्यों में कई बार मंत्री पद न मिलने से नाखुश विधायकों को ये पोस्ट दे दी जाती है. पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी को राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री की रैंक दी जाती है. उनको सारी सुविधाएं भी मंत्री वाली ही मिलती हैं.
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