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मजदूर संगठन का सीटू के नेतृत्व में DC ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन

डीसी ऑफिस शिमला के बाहर मजदूर संगठन सीटू ने जोरदार प्रदर्शन किया गया. इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन भेजा गया. सीटू महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन किए जा रहे हैं.

CITU protest shimla
CITU protest shimla
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Published : Sep 23, 2020, 6:33 PM IST

Updated : Oct 12, 2020, 10:27 AM IST

शिमला: ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर बुधवार को मजदूर संगठन सीटू ने डीसी ऑफिस शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया गया. इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन भेजा गया. जिसमें मांग की गई कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों पर, श्रम कानून के बदले चार लेबर कोडों की प्रक्रिया पर, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए. पचास वर्ष की आयु और तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए.

सीटू महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन किए जा रहे हैं. श्रम कानूनों में किये गए ये बदलाव पूरी तरह मजदूर विरोधी हैं. इन बदलावों से भारत व हिमाचल प्रदेश के करोड़ों मजदूरों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इनसे देश के मजदूर वर्ग का लगभग 73 प्रतिशत हिस्सा श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा.

वीडियो.

देश के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके केवल चार लेबर कोड़ों में तब्दील किया जाएगा, जिससे नियोक्ताओं को फायदा होगा व मजदूरों का शोषण और ज्यादा गहरा होगा. इसकी कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि इन्हीं बदलावों की पृष्ठभूमि में हिमाचल प्रदेश में हुए श्रम संशोधनों से अकेले हिमाचल प्रदेश में फैक्ट्रीज एक्ट में बदलाव से प्रदेश के पांच हजार दो सौ पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले साढ़े तीन लाख मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे.

ठेका मजदूर कानून में बदलाव से प्रदेश में लाखों ठेका मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल नष्ट हो जाएगी. इन बदलावों के परिणाम स्वरूप प्रदेश में लाखों औद्योगिक मजदूरों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी. इन बदलावों के चलते नियमित किस्म का कार्य खत्म हो जाएगा व फिक्स टर्म कार्य के जरिए मजदूरों का भारी शोषण होगा.

इन बदलावों से न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार बनने वाले मजदूरों के रिकॉर्ड की प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी. इन बदलावों से मजदूरों के कार्य के घंटे आठ से बढ़कर बारह हो जाएंगे जिस से न केवल कार्यरत मजदूरों का शोषण बढ़ेगा, अपितु एक-तिहाई मजदूर रोजगार से वंचित हो जाएंगे. इस तरह ये बदलाव पूरी तरह मजदूरों के खिलाफ हैं. ये बदलाव पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व ठेकेदारों के हित में हैं व इस से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा.

अब सरकार ने पचास साल की आयु पूर्ण करने अथवा तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने पर नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट का फरमान जारी कर दिया है जोकि सीधी तानाशाही है.

पढ़ें: डीडीयू में आत्महत्या मामला: परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर लगाये ये आरोप

शिमला: ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर बुधवार को मजदूर संगठन सीटू ने डीसी ऑफिस शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया गया. इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन भेजा गया. जिसमें मांग की गई कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों पर, श्रम कानून के बदले चार लेबर कोडों की प्रक्रिया पर, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए. पचास वर्ष की आयु और तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए.

सीटू महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन किए जा रहे हैं. श्रम कानूनों में किये गए ये बदलाव पूरी तरह मजदूर विरोधी हैं. इन बदलावों से भारत व हिमाचल प्रदेश के करोड़ों मजदूरों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इनसे देश के मजदूर वर्ग का लगभग 73 प्रतिशत हिस्सा श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा.

वीडियो.

देश के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके केवल चार लेबर कोड़ों में तब्दील किया जाएगा, जिससे नियोक्ताओं को फायदा होगा व मजदूरों का शोषण और ज्यादा गहरा होगा. इसकी कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि इन्हीं बदलावों की पृष्ठभूमि में हिमाचल प्रदेश में हुए श्रम संशोधनों से अकेले हिमाचल प्रदेश में फैक्ट्रीज एक्ट में बदलाव से प्रदेश के पांच हजार दो सौ पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले साढ़े तीन लाख मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे.

ठेका मजदूर कानून में बदलाव से प्रदेश में लाखों ठेका मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल नष्ट हो जाएगी. इन बदलावों के परिणाम स्वरूप प्रदेश में लाखों औद्योगिक मजदूरों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी. इन बदलावों के चलते नियमित किस्म का कार्य खत्म हो जाएगा व फिक्स टर्म कार्य के जरिए मजदूरों का भारी शोषण होगा.

इन बदलावों से न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार बनने वाले मजदूरों के रिकॉर्ड की प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी. इन बदलावों से मजदूरों के कार्य के घंटे आठ से बढ़कर बारह हो जाएंगे जिस से न केवल कार्यरत मजदूरों का शोषण बढ़ेगा, अपितु एक-तिहाई मजदूर रोजगार से वंचित हो जाएंगे. इस तरह ये बदलाव पूरी तरह मजदूरों के खिलाफ हैं. ये बदलाव पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व ठेकेदारों के हित में हैं व इस से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा.

अब सरकार ने पचास साल की आयु पूर्ण करने अथवा तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने पर नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट का फरमान जारी कर दिया है जोकि सीधी तानाशाही है.

पढ़ें: डीडीयू में आत्महत्या मामला: परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर लगाये ये आरोप

Last Updated : Oct 12, 2020, 10:27 AM IST
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