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Shimla Municipal Corporation Election: मेनिफेस्टो बनाने में जुटी कांग्रेस और भाजपा, ये रहेंगे चुनावी मुद्दे

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नगर निगम चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट चुकी हैं. इस बार पानी, पार्किंग और कूड़ा चुनावी मुद्दा रहने वाला है. (Shimla Municipal Corporation Election)

Shimla Municipal Corporation Election
नगर निगम कार्यालय शिमला.
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Published : Apr 12, 2023, 7:53 PM IST

शिमला: नगर निगम शिमला चुनावों का बिगुल बज चुका है. ऐसे में लोगों को लुभाने के लिए भाजपा कांग्रेस दोनों ही अपना घोषणापत्र तैयार करने में जुट गई है. सभी राजनीतिक दल शहर में पानी पार्किंग सहित अन्य सुविधाएं देने का दावा मेनिफेस्टो में करने जा रहे हैं. शिमला शहर में हर चुनावों में पानी पर सियासत होती रही है. हर चुनाव में शिमला के लोगों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाने के राजनीतिक दल वादे तो करते हैं, लेकिन शिमला शहर में लोगों को पानी की समस्या का समाधान नहीं होता है.

पूर्व सरकार ने 24 घंटे शिमलवासियों को पानी देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक दूसरे दिन पानी मिल रहा है. 2018 में शिमला शहर में पानी का बड़ा संकट खड़ा हो गया था और लोगों को 7 दिन बाद पानी पीने को मिल रहा था. कई दिनों तक ये समस्या बनी रही और सतलुज से पानी टेंकर से शिमला पहुंचाया गया था. पानी के संकट को देखते हुए सतलुज से पानी लाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया, लेकिन अभी तक सिरे नहीं चढ़ पा रहा है. शहर में गर्मियों में पानी की समस्या और गंभीर हो जाती है. शहर में हर रोज 45 एमएलडी पानी की जरूरत रहती है. गर्मियों में पेयजल स्त्रोत में पानी का स्तर भी घट जाता है और शहर में 25 से 30 एमएलडी पानी ही पहुंच पाता है. जिससे जल निगम पानी की राशनिंग शुरू कर देता है और दूसरे से तीसरे दी दिन पानी दिया जाता है.

वहीं, शिमला शहर में 24 घंटे पानी देने के विश्वबैंक के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है और कौल डैम से पानी शिमला लाया जाएगा और ये काम साल 2025 तक पूरा होगा. इस परियोजना की पेयजल लाइन बिछाने पर 421 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. प्रोजेक्ट के तहत शहर को 2035 तक 42 एमएलडी जबकि इसके बाद 67 एमएलडी पानी हर रोज मिलेगा.

पार्किंग ना होने से लोग हो रहे परेशान: शिमला प्रदेश की राजधानी होने के साथ ही पर्यटन स्थल भी है. यहां पर हर रोज हजारों वाहन आते हैं, लेकिन शहर में पार्किंग की कमी से लोगों को परेशान होना पड़ता है. शहर में केवल चार बड़ी पार्किंग है. इसके अलावा शहर के वार्डों में भी पार्किंग की काफी कमी है. जिसके चलते लोगों को सड़क किनारे ही वाहनों को खड़ा करना पड़ता है. हर चुनाव में राजनीतिक दल शहर में पार्किंग बनाने के वादे तो करते हैं, लेकिन पार्किंग का निर्माण नहीं हो पाता है.

कूड़े पानी की दरों के बढ़ने से लोगों में रोष: शिमला शहर में अभी हाल ही में नगर निगम द्वारा घरों से उठने वाले कूड़े की दरों में वृद्धि की है. पहले जहां हर महीने 106 रुपये लिए जा रहे थे वहीं, अब 116 रुपये कर दिए हैं. होटलों और ढाबों में कूड़ा शुल्क की दर में 100 से 300 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. होटलों से कूड़ा उठाने के बिल दो से तीन हजार रुपए तक मासिक हैं. ऐसी स्थिति व्यापारिक संस्थानों की भी है, उन्हें भी 300 से लेकर 800 रुपए तक की फीस बढ़ाई है. इसके अलावा शहर में पानी की दरों में भी दस प्रतिशत का इजाफा किया गया है. जिसका लोग विरोध कर रहे हैं और दरों में कमी की मांग कर रहे हैं.

स्मार्ट सिटी को कांग्रेस बना रही मुद्दा: नगर निगम चुनावों में विपक्षी दल कांग्रेस शिमला शहर में स्मार्ट सिटी के तहत हुए कार्यों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं. शहर में स्मार्ट सिटी के तहत डंगे लगाने का काम करने के आरोप लगाए जा रहे हैं और बिना डीपीआर के ही कार्य किये जा रहे हैं. कांग्रेस स्मार्ट सिटी के पैसे का दुरुपयोग करने के आरोप लगा रही है. ऐसे में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगी.

Read Also- MC शिमला के पास पर्याप्त डंपिंग साइट नहीं, हाई कोर्ट ने कहा: गंभीरता से लें मामला

शिमला: नगर निगम शिमला चुनावों का बिगुल बज चुका है. ऐसे में लोगों को लुभाने के लिए भाजपा कांग्रेस दोनों ही अपना घोषणापत्र तैयार करने में जुट गई है. सभी राजनीतिक दल शहर में पानी पार्किंग सहित अन्य सुविधाएं देने का दावा मेनिफेस्टो में करने जा रहे हैं. शिमला शहर में हर चुनावों में पानी पर सियासत होती रही है. हर चुनाव में शिमला के लोगों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाने के राजनीतिक दल वादे तो करते हैं, लेकिन शिमला शहर में लोगों को पानी की समस्या का समाधान नहीं होता है.

पूर्व सरकार ने 24 घंटे शिमलवासियों को पानी देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक दूसरे दिन पानी मिल रहा है. 2018 में शिमला शहर में पानी का बड़ा संकट खड़ा हो गया था और लोगों को 7 दिन बाद पानी पीने को मिल रहा था. कई दिनों तक ये समस्या बनी रही और सतलुज से पानी टेंकर से शिमला पहुंचाया गया था. पानी के संकट को देखते हुए सतलुज से पानी लाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया, लेकिन अभी तक सिरे नहीं चढ़ पा रहा है. शहर में गर्मियों में पानी की समस्या और गंभीर हो जाती है. शहर में हर रोज 45 एमएलडी पानी की जरूरत रहती है. गर्मियों में पेयजल स्त्रोत में पानी का स्तर भी घट जाता है और शहर में 25 से 30 एमएलडी पानी ही पहुंच पाता है. जिससे जल निगम पानी की राशनिंग शुरू कर देता है और दूसरे से तीसरे दी दिन पानी दिया जाता है.

वहीं, शिमला शहर में 24 घंटे पानी देने के विश्वबैंक के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है और कौल डैम से पानी शिमला लाया जाएगा और ये काम साल 2025 तक पूरा होगा. इस परियोजना की पेयजल लाइन बिछाने पर 421 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. प्रोजेक्ट के तहत शहर को 2035 तक 42 एमएलडी जबकि इसके बाद 67 एमएलडी पानी हर रोज मिलेगा.

पार्किंग ना होने से लोग हो रहे परेशान: शिमला प्रदेश की राजधानी होने के साथ ही पर्यटन स्थल भी है. यहां पर हर रोज हजारों वाहन आते हैं, लेकिन शहर में पार्किंग की कमी से लोगों को परेशान होना पड़ता है. शहर में केवल चार बड़ी पार्किंग है. इसके अलावा शहर के वार्डों में भी पार्किंग की काफी कमी है. जिसके चलते लोगों को सड़क किनारे ही वाहनों को खड़ा करना पड़ता है. हर चुनाव में राजनीतिक दल शहर में पार्किंग बनाने के वादे तो करते हैं, लेकिन पार्किंग का निर्माण नहीं हो पाता है.

कूड़े पानी की दरों के बढ़ने से लोगों में रोष: शिमला शहर में अभी हाल ही में नगर निगम द्वारा घरों से उठने वाले कूड़े की दरों में वृद्धि की है. पहले जहां हर महीने 106 रुपये लिए जा रहे थे वहीं, अब 116 रुपये कर दिए हैं. होटलों और ढाबों में कूड़ा शुल्क की दर में 100 से 300 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. होटलों से कूड़ा उठाने के बिल दो से तीन हजार रुपए तक मासिक हैं. ऐसी स्थिति व्यापारिक संस्थानों की भी है, उन्हें भी 300 से लेकर 800 रुपए तक की फीस बढ़ाई है. इसके अलावा शहर में पानी की दरों में भी दस प्रतिशत का इजाफा किया गया है. जिसका लोग विरोध कर रहे हैं और दरों में कमी की मांग कर रहे हैं.

स्मार्ट सिटी को कांग्रेस बना रही मुद्दा: नगर निगम चुनावों में विपक्षी दल कांग्रेस शिमला शहर में स्मार्ट सिटी के तहत हुए कार्यों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं. शहर में स्मार्ट सिटी के तहत डंगे लगाने का काम करने के आरोप लगाए जा रहे हैं और बिना डीपीआर के ही कार्य किये जा रहे हैं. कांग्रेस स्मार्ट सिटी के पैसे का दुरुपयोग करने के आरोप लगा रही है. ऐसे में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगी.

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