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Shimla MC Poll: कभी शिमला नगर निगम के पार्षद रहे ये नेता विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक बन चुके हैं

हिमाचल की राजधानी शिमला इन दिनों चुनावी मोड में है, वजह है शिमला नगर निगम चुनाव. शिमला शहर की सरकार चुनने के लिए 2 मई को वोटिंग होनी है. कई लोग निगम चुनावों को भले कम तरजीह देते हों लेकिन निगम चुनाव कई बड़े नेताओं के सियासी करियर की पहली सीढ़ी होती है. हिमाचल के भी कई चेहरे शिमला नगर निगम से निकलकर प्रदेश की सत्ता के शिखर तक पहुंचे हैं. इनमें से एक तो सूबे का मुखिया भी है. जानिये कौन हैं वो चेहरे जिन्होंने निगम से लेकर विधानसभा तक का सियासी सफर तय किया है.

Shimla Municipal corporation election
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Published : Apr 12, 2023, 8:20 PM IST

शिमला: नगर निगम शिमला के चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और सियासी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. नगर निगम शिमला प्रदेश के कई बड़े चेहरों के लिए सियासत की पहली सीढ़ी रही है. नगर निगम से कई राजनेताओं ने अपनी राजनीति का सफर शुरू किया तो कुछ के राजनीतिक सफर को इसने संवारा है.

नगर निगम शिमला में कभी पार्षद रहे पांच नेता विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं. इनमें से एक चेहरा तो सूबे की सबसे ऊंची कुर्सी तक पहुंचा है. राजधानी शिमला के नगर निगम का अपना महत्व है. यह एक ऐसा स्थानीय निकाय है जिसके प्रतिनिधि विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं. राजधानी होने के नाते यहां से चुनकर आए प्रतिनिधि पार्टी संगठन में तो बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं साथ में विधानसभा जैसी सर्वोच्च संस्था में भी पहुंच कर प्रदेश के लिए नीति निर्माण के कार्य में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं. पार्षद से राजनीति का सफर करने वाले नेताओं में से मौजूदा समय में तीन वर्तमान में विधानसभा में हैं जबकि दो पूर्व में विधायक रह चुके हैं.

शिमला नगर निगम के पार्षद रहे हैं सीएम सुखविंदर सुक्खू
शिमला नगर निगम के पार्षद रहे हैं सीएम सुखविंदर सुक्खू

सुखविंदर सिंह सुक्खू- हिमाचल के मौजूदा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सियासी सफर भी नगर निगम शिमला से शुरू हुआ था. मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने की राह में उनकी पहली सीढ़ी नगर निगम शिमला ही था. हालांकि सुखविंदर सिंह सुक्खू छात्र राजनीति में शामिल रहे हैं लेकिन असली राजनीतिक सफर नगर निगम में पार्षद के पद से ही शुरू हुआ है.

छात्र राजनीति के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साल 1992 में नगर निगम शिमला के छोटा शिमला वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ा था. अपने इस पहले ही चुनाव में सुखविंदर सुक्खू ने जीत हासिल की और नगर निगम शिमला के सदन में पार्षद बने, उस वक्त नगर निगम में कांग्रेस सत्ता में आई थी. साल 1997 में दूसरी बार सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छोटा शिमला वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ा और फिर बड़े अंतर से जीत हासिल की. इस दौरान फिर से कांग्रेस ही नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुई. नगर निगम का अनुभव राज्य की सियासत में काम आया और फिर सुक्खू हमीरपुर जिले की नादौन सीट से विधायक चुने गए. साल 2022 विधानसभा चुनाव में वो ना सिर्फ चौथी बार विधानसभा पहुंचे. बल्कि हिमाचल के 7वें मुख्यमंत्री बने.

हरीश जनारथा और इंद्रदत्त लखनपाल के सियासी करियर की शुरुआत नगर निगम शिमला से हुई
हरीश जनारथा और इंद्रदत्त लखनपाल के सियासी करियर की शुरुआत नगर निगम शिमला से हुई

इंद्रदत्त लखनपाल- हमीरपुर जिले से ही ताल्लुक रखने वाले विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के सियासी करियर की शुरुआत भी नगर निगम शिमला से ही हुई थी. उन्होंने साल 1997 के नगर निगम चुनाव में बालूगंज वार्ड से चुनाव लड़ा था और पहली बार पार्षद चुने गए थे. साल 2002 में उन्हें नगर निगम का मनोनीत पार्षद बनाया गया. इसके बाद इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रदेश की राजनीति में कदम रखा और बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बड़सर विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं.

हरीश जनारथा- 2022 विधानसभा चुनाव में शिमला शहर सीट से विधायक चुने गए हरीश जनारथा का राजनीतिक सफर भी पार्षदी से शुरू हुआ है. जनारथा 2002 में पहली बार संजौली के इंजन घर वार्ड से निगम पार्षद चुने गए, इसके बाद फिर से 2007 में पार्षद बने. इस दौरान जनारथा साल 2007 से 2012 तक नगर निगम के डिप्टी मेयर भी रहे. हरीश जनारथा पहली बार विधायक रहे हैं लेकिन बीते सालों में वो कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं.

पूर्व विधायक राकेश सिंघा और आदर्श सूद भी नगर निगम शिमला के पार्षद रहे
पूर्व विधायक राकेश सिंघा और आदर्श सूद भी नगर निगम शिमला के पार्षद रहे

दो पूर्व विधायक भी रह चुके हैं निगम पार्षद- हिमाचल विधानसभा के दो पूर्व विधायक भी नगर निगम की राजनीति से उठकर आए हैं. इनमें वामपंथी संगठन माकपा के राकेश सिंघा और कांग्रेस के आदर्श सूद शामिल हैं. राकेश सिंघा समरहिल वार्ड से 1986 में पार्षद चुने गए थे. इसके बाद वह 1993 में शिमला शहर से विधायक चुने गए और फिर साल 2017 में दूसरी बार ठियोग विधानसभा क्षेत्र से चुनकर विधानसभा पहुंचे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आदर्श सूद शिमला नगर निगम के पार्षद और मेयर रह चुके हैं. वह तीन बार 1986 से 1988, 1988 से 1992 और 1992 से 1996 तक नगर निगम शिमला के मेयर रहे. वर्ष 1996 के उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया था और चुनाव जीत कर विधायक भी बने.

भाजपा के एक पार्षद भी लड़ चुके हैं विधायक का चुनाव- नगर निगम में पार्षद के राजनीति की शुरुआत करने वाले संजय सूद भी विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. संजय सूद 2007-12 तक नगर निगम के पार्षद रहे. भाजपा ने बीते साल हुए विधानसभा चुनावों में उनको टिकट दिया था. शिमला शहर से तीन बार के विधायक और तत्कालीन मंत्री सुरेश भारद्वाज का टिकट काटकर पार्टी ने संजय सूद को चुनावी मैदान में उतारा था, हालांकि वह इन चुनावों में जीत नहीं पाए.

ये भी पढ़ें: Shimla Municipal Corporation Election: मेनिफेस्टो बनाने में जुटी कांग्रेस और भाजपा, ये रहेंगे चुनावी मुद्दे

शिमला: नगर निगम शिमला के चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और सियासी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. नगर निगम शिमला प्रदेश के कई बड़े चेहरों के लिए सियासत की पहली सीढ़ी रही है. नगर निगम से कई राजनेताओं ने अपनी राजनीति का सफर शुरू किया तो कुछ के राजनीतिक सफर को इसने संवारा है.

नगर निगम शिमला में कभी पार्षद रहे पांच नेता विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं. इनमें से एक चेहरा तो सूबे की सबसे ऊंची कुर्सी तक पहुंचा है. राजधानी शिमला के नगर निगम का अपना महत्व है. यह एक ऐसा स्थानीय निकाय है जिसके प्रतिनिधि विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं. राजधानी होने के नाते यहां से चुनकर आए प्रतिनिधि पार्टी संगठन में तो बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं साथ में विधानसभा जैसी सर्वोच्च संस्था में भी पहुंच कर प्रदेश के लिए नीति निर्माण के कार्य में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं. पार्षद से राजनीति का सफर करने वाले नेताओं में से मौजूदा समय में तीन वर्तमान में विधानसभा में हैं जबकि दो पूर्व में विधायक रह चुके हैं.

शिमला नगर निगम के पार्षद रहे हैं सीएम सुखविंदर सुक्खू
शिमला नगर निगम के पार्षद रहे हैं सीएम सुखविंदर सुक्खू

सुखविंदर सिंह सुक्खू- हिमाचल के मौजूदा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सियासी सफर भी नगर निगम शिमला से शुरू हुआ था. मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने की राह में उनकी पहली सीढ़ी नगर निगम शिमला ही था. हालांकि सुखविंदर सिंह सुक्खू छात्र राजनीति में शामिल रहे हैं लेकिन असली राजनीतिक सफर नगर निगम में पार्षद के पद से ही शुरू हुआ है.

छात्र राजनीति के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साल 1992 में नगर निगम शिमला के छोटा शिमला वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ा था. अपने इस पहले ही चुनाव में सुखविंदर सुक्खू ने जीत हासिल की और नगर निगम शिमला के सदन में पार्षद बने, उस वक्त नगर निगम में कांग्रेस सत्ता में आई थी. साल 1997 में दूसरी बार सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छोटा शिमला वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ा और फिर बड़े अंतर से जीत हासिल की. इस दौरान फिर से कांग्रेस ही नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुई. नगर निगम का अनुभव राज्य की सियासत में काम आया और फिर सुक्खू हमीरपुर जिले की नादौन सीट से विधायक चुने गए. साल 2022 विधानसभा चुनाव में वो ना सिर्फ चौथी बार विधानसभा पहुंचे. बल्कि हिमाचल के 7वें मुख्यमंत्री बने.

हरीश जनारथा और इंद्रदत्त लखनपाल के सियासी करियर की शुरुआत नगर निगम शिमला से हुई
हरीश जनारथा और इंद्रदत्त लखनपाल के सियासी करियर की शुरुआत नगर निगम शिमला से हुई

इंद्रदत्त लखनपाल- हमीरपुर जिले से ही ताल्लुक रखने वाले विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के सियासी करियर की शुरुआत भी नगर निगम शिमला से ही हुई थी. उन्होंने साल 1997 के नगर निगम चुनाव में बालूगंज वार्ड से चुनाव लड़ा था और पहली बार पार्षद चुने गए थे. साल 2002 में उन्हें नगर निगम का मनोनीत पार्षद बनाया गया. इसके बाद इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रदेश की राजनीति में कदम रखा और बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बड़सर विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं.

हरीश जनारथा- 2022 विधानसभा चुनाव में शिमला शहर सीट से विधायक चुने गए हरीश जनारथा का राजनीतिक सफर भी पार्षदी से शुरू हुआ है. जनारथा 2002 में पहली बार संजौली के इंजन घर वार्ड से निगम पार्षद चुने गए, इसके बाद फिर से 2007 में पार्षद बने. इस दौरान जनारथा साल 2007 से 2012 तक नगर निगम के डिप्टी मेयर भी रहे. हरीश जनारथा पहली बार विधायक रहे हैं लेकिन बीते सालों में वो कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं.

पूर्व विधायक राकेश सिंघा और आदर्श सूद भी नगर निगम शिमला के पार्षद रहे
पूर्व विधायक राकेश सिंघा और आदर्श सूद भी नगर निगम शिमला के पार्षद रहे

दो पूर्व विधायक भी रह चुके हैं निगम पार्षद- हिमाचल विधानसभा के दो पूर्व विधायक भी नगर निगम की राजनीति से उठकर आए हैं. इनमें वामपंथी संगठन माकपा के राकेश सिंघा और कांग्रेस के आदर्श सूद शामिल हैं. राकेश सिंघा समरहिल वार्ड से 1986 में पार्षद चुने गए थे. इसके बाद वह 1993 में शिमला शहर से विधायक चुने गए और फिर साल 2017 में दूसरी बार ठियोग विधानसभा क्षेत्र से चुनकर विधानसभा पहुंचे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आदर्श सूद शिमला नगर निगम के पार्षद और मेयर रह चुके हैं. वह तीन बार 1986 से 1988, 1988 से 1992 और 1992 से 1996 तक नगर निगम शिमला के मेयर रहे. वर्ष 1996 के उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया था और चुनाव जीत कर विधायक भी बने.

भाजपा के एक पार्षद भी लड़ चुके हैं विधायक का चुनाव- नगर निगम में पार्षद के राजनीति की शुरुआत करने वाले संजय सूद भी विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. संजय सूद 2007-12 तक नगर निगम के पार्षद रहे. भाजपा ने बीते साल हुए विधानसभा चुनावों में उनको टिकट दिया था. शिमला शहर से तीन बार के विधायक और तत्कालीन मंत्री सुरेश भारद्वाज का टिकट काटकर पार्टी ने संजय सूद को चुनावी मैदान में उतारा था, हालांकि वह इन चुनावों में जीत नहीं पाए.

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