ETV Bharat / state

हिमाचल के किसानों अब बेच सकेंगे ऑनलाइन उत्पाद, शिमला-किन्नौर की 3 और फल मंडियों में शुरू होगी eNAM सुविधा

author img

By

Published : May 23, 2023, 11:58 AM IST

Updated : May 23, 2023, 12:52 PM IST

अब हिमाचल प्रदेश के किसान अपने उत्पादों को मंडियों में ऑनलाइन बेच सकेंगे. इस को लेकर शिमला-किन्नौर APMC ने 3 और फल मंडियों में यह सुविधा शुरू की है. जिसके तहत किसान अपने फलों को ऑनलाइन माध्यम से खरीदार को बेच सकेंगे. जिससे किसानों को उनका उत्पाद बिकते ही सीधे अकाउंट में पेमेंट आ जाएगा.

Etv Bharat
किसानों अब बेच सकेंगे ऑनलाइन उत्पाद
किसानों बेच सकेंगे ऑनलाइन उत्पाद

शिमला: किसानों को उत्पादों बचने के लिए की ऑनलाइन बिक्री की सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने ई नेम प्रोजेक्ट शुरू किया है. एपीएमसी (कृषि विपणन समिति) शिमला-किन्नौर अभी तक चार मंडियों में इसकी सुविधा दे रहा है. इसी कड़ी में एपीएमसी अब तीन और फल मंडियों में इसकी सुविधा मिलेगी. शिमला जिला में खड़ा पत्थर और अणु मंडी के अलावा किन्नौर की टापरी फल मंडी को ई-नेम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा.

ऑनलाइन फलों की बिक्री की सुविधा: शिमला-किन्नौर एपीएमसी के तहत अब 7 मंडियों में ऑनलाइन फलों की बिक्री की सुविधा मिलने लगेगी. इससे जहां किसानों के उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता आएगी, वहीं किसानों को उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी से भी बचाया जा सकेगा. किसानों और बागवानों को उनके उत्पादों की बिक्री की ऑनलाइन सुविधा देने के लिए एपीएमसी शिमला व किन्नौर तीन मंडियों को ई-नेम प्रोजेक्ट में शामिल कर रही है.

ई-नेम प्रोजेक्ट से जोड़ी जाएगी मंडी: इन मंडियों में किन्नौर जिला की टापरी और शिमला जिला में खड़ा पत्थर और अणु की फल मंडियां शामिल हैं. इसके पहले शिमला जिला में भट्टाकुफर फल मंडी और ढली मंडी के अलावा पराला और रोहड़ू मंडी को ई-नेम प्रोजेक्ट से जोड़ कर यहां किसानों को उनके उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री की सुविधा मिल रही है. इस तरह बाकी मंडियों में भी ऑनलाइन बिक्री की सुविधा चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध करवाई जा रही है.

Etv Bharat
किसानों अब बेच सकेंगे ऑनलाइन उत्पाद

ऑनलाइन बेच सकेंगे किसान अपना उत्पाद: ई-नेम प्रोजेक्ट के तहत देशभर की चयनित मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा रहा है. ई-नेम प्रोजेक्ट के तहत जुड़ी मंडी के माध्यम से किसान अपने उत्पाद को देश के किसी भी ई-नेम मंडी में ई-ऑक्शन के माध्यम से बेच सकते हैं. इसके तहत किसान जब अपना उत्पाद मार्केट में लाता है तो उसकी मार्केट में एंट्री से पहले गेट पर इंटर किया जाता है. इसके बाद एपीएमसी के कर्मचारी उत्पाद का वजन करते हैं और उसकी क्वालिटी रिपोर्ट तैयार करते हैं. कर्मचारी इसका एक सर्टिफिकेट ई-नेम पोर्टल या ई-नेम एप्प पर जारी करते हैं, जिसमें उत्पाद की पूरी डिटेल रहती है.

ऑनलाइन उत्पाद बिक्री और खरीदारी: किसानों के उत्पाद को ऑनलाइन बिक्री के लिए एक निर्धारित समय तक ऑनलाइन रखा जाता है. कितने समय ऑनलाइन उत्पाद बिक्री के लिए रहेगा, यह उत्पाद की मात्रा पर निर्भर करता है. ऑनलाइन उत्पाद डिस्प्ले होने पर खरीदार ऑनलाइन ही उस उत्पाद की बोली लगाते हैं. निर्धारित समय में बोली लगाने के बाद सबसे ज्यादा बोली वाले खरीदार के नाम यह उत्पाद बिक जाता है. किसान को अगर बोली सही नहीं लगती तो वह अपने उत्पाद बेचने के लिए इनकार कर सकता है. अगर किसान कोई आपत्ति नहीं जताता तो एपीएमसी के कर्मचारी किसान के उत्पाद की बिक्री का पर्चा तैयार करते हैं और इसके बाद इसको जारी कर दिया जाता है. फिर खरीददार इस माल को लौटा नहीं सकता. इस तरह उत्पाद बेचने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है.

2016 में शुरू हुआ ई-नेम प्रोजेक्ट: ई-नेम यानी ई नेशनल मार्केट (राष्ट्रीय कृषि बाजार) केंद्र की मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी.हिमाचल में पहले चरण में इसके तहत सोलन और ढली मंडी को इस शामिल किया गया. इसके बाद अब तक 19 मंडियां ई-नेम प्रोजेक्ट में शामिल की जा चुकी है. मंडियों को ई नाम प्रोजेक्ट में शामिल करने की सरकार सरकार की ओर से हिमाचल को हिमाचल को उपलब्ध करवाया गया है.

सीधी और ऑनलाइन बिक्री में अंतर: आमतौर पर मंडियों में किसान अपना माल लाते हैं, जहां मंडी में उसकी खुलेआम बोली लगाई जाती है. इसमें कई खरीदारी भी शामिल होते हैं. सबसे अधिक बोली लगाने पर उत्पाद उस खरीददार को मिल जाता है. इसके विपरीत ऑनलाइन यानी ई-नेम के तहत किसान सीधे तौर पर माल नहीं बेचता. इसमें एपीएमसी के कर्मचारी उसके माल को जांच कर रिपोर्ट तैयार कर उसकी ऑनलाइन बोली लगाते हैं. इस तरह इसमें भी ज्यादा बोली लगाने वाले के नाम उत्पाद हो जाता है. वहीं अगर कोई ई-नेम सुविधा मंडी में ऑनलाइन अपने उत्पाद बेचता है तो उसको केवल वहां के आढ़ती ही नहीं बल्कि ई-नेम वाले किसी भी मंडी के खरीददार खरीद सकते हैं. हालांकि हिमाचल की मंडियों को अन्य राज्यों के साथ जोड़ने का यह काम अभी चल रहा है. अभी तक सोलन की मंडी में यह सुविधा मिली है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में चेरी की खेती की ओर बढ़ रहे बागवान, सेब के साथ आय का एक बड़ा जरिया बन रही है Cherry

उत्पादों की पारदर्शी तरीके से बिकी और समय पर भुगतान: ई-नेम प्रोजेक्ट का मकसद किसानों के उत्पादों को पारदर्शी तरीके से बेचना और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाकर उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकना है. इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों का उत्पाद ऑनलाइन बेचे जाने और ऑनलाइन ही अकाउंट में सीधे पेमेंट डालने का प्रावधान किया गया है. कई बार मार्केट में किसान की फसल की बिक्री सही तरीके से नहीं होती या इसमें मिलीभगत की भी आशंका रहती है, लेकिन ऑनलाइन बिक्री से ऐसी संभावना नहीं रहती. वहीं अक्सर किसानों को पेमेंट कई दिनों के बाद की जाती है. कई बार तो किसानों को खरीददार पेमेंट भी नहीं करते. ई-नेम के तहत आनलाइन उत्पाद खरीदने वाले खरीदार के बैंक खातों से माल बिकते ही पैसे कट जाते हैं और एकदम किसान के खाते में यह पैसे जमा हो जाते हैं. इस तरह पेमेंट न मिलने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है.

ऑनलाइन उत्पाद खरीदने पर आढ़ती को छूट: ऑनलाइन उत्पाद बेचने की सबसे सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें उत्पाद बिकते ही उसी वक्त ऑनलाइन किसानों के बैंक खाते में पेमेंट चली जाती है. खरीदारी के बैंक खाते से फसल की कीमत का पैसा कट जाता है और किसान के खाते में शीघ्र जमा हो जाता है. इस तरह खरीददार किसानों को उनकी पेमेंट के लिए मुकर नहीं सकता. इसके साथ ही मार्केट की फीस भी खरीददार से काटी जाती है. आम तौर पर मार्केट फीस एक फीसदी है, लेकिन अगर ऑनलाइन कोई उत्पादों को खरीदता है तो उसको मार्केट फीस का 10 फीसदी छूट मिलती है. यानी एक रुपए पर 10 पैसे की छूट आढ़ती को दी जाती है.

किसानों को ऑनलाइन उत्पाद बिक्री के लिए बढ़ावा: लेकर एपीएमसी शिमला-किन्नौर के सचिव देवराज कश्यप का कहना कि एपीएमसी तीन और मंडियों में ऑनलाइन उत्पादों की बिक्री की सुविधा अबकी बार दे रही है. उनका कहना है कि एपीएमसी किसानों को उनके उत्पादों की बिक्री के लिए प्रोत्साहित करता है. ताकि उनका माल पारदर्शी तरीके से बिके और उनके साथ धोखाधड़ी न हो. इसके अलावा खरीदारों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिन को मार्केट फीस में कुछ छूट दी जा रही है.
ये भी पढ़ें: वजन के हिसाब से मंडियों में सेब बेचना नहीं होगा आसान, बागवान और आढ़तियों को विवाद की आशंका

किसानों बेच सकेंगे ऑनलाइन उत्पाद

शिमला: किसानों को उत्पादों बचने के लिए की ऑनलाइन बिक्री की सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने ई नेम प्रोजेक्ट शुरू किया है. एपीएमसी (कृषि विपणन समिति) शिमला-किन्नौर अभी तक चार मंडियों में इसकी सुविधा दे रहा है. इसी कड़ी में एपीएमसी अब तीन और फल मंडियों में इसकी सुविधा मिलेगी. शिमला जिला में खड़ा पत्थर और अणु मंडी के अलावा किन्नौर की टापरी फल मंडी को ई-नेम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा.

ऑनलाइन फलों की बिक्री की सुविधा: शिमला-किन्नौर एपीएमसी के तहत अब 7 मंडियों में ऑनलाइन फलों की बिक्री की सुविधा मिलने लगेगी. इससे जहां किसानों के उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता आएगी, वहीं किसानों को उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी से भी बचाया जा सकेगा. किसानों और बागवानों को उनके उत्पादों की बिक्री की ऑनलाइन सुविधा देने के लिए एपीएमसी शिमला व किन्नौर तीन मंडियों को ई-नेम प्रोजेक्ट में शामिल कर रही है.

ई-नेम प्रोजेक्ट से जोड़ी जाएगी मंडी: इन मंडियों में किन्नौर जिला की टापरी और शिमला जिला में खड़ा पत्थर और अणु की फल मंडियां शामिल हैं. इसके पहले शिमला जिला में भट्टाकुफर फल मंडी और ढली मंडी के अलावा पराला और रोहड़ू मंडी को ई-नेम प्रोजेक्ट से जोड़ कर यहां किसानों को उनके उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री की सुविधा मिल रही है. इस तरह बाकी मंडियों में भी ऑनलाइन बिक्री की सुविधा चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध करवाई जा रही है.

Etv Bharat
किसानों अब बेच सकेंगे ऑनलाइन उत्पाद

ऑनलाइन बेच सकेंगे किसान अपना उत्पाद: ई-नेम प्रोजेक्ट के तहत देशभर की चयनित मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा रहा है. ई-नेम प्रोजेक्ट के तहत जुड़ी मंडी के माध्यम से किसान अपने उत्पाद को देश के किसी भी ई-नेम मंडी में ई-ऑक्शन के माध्यम से बेच सकते हैं. इसके तहत किसान जब अपना उत्पाद मार्केट में लाता है तो उसकी मार्केट में एंट्री से पहले गेट पर इंटर किया जाता है. इसके बाद एपीएमसी के कर्मचारी उत्पाद का वजन करते हैं और उसकी क्वालिटी रिपोर्ट तैयार करते हैं. कर्मचारी इसका एक सर्टिफिकेट ई-नेम पोर्टल या ई-नेम एप्प पर जारी करते हैं, जिसमें उत्पाद की पूरी डिटेल रहती है.

ऑनलाइन उत्पाद बिक्री और खरीदारी: किसानों के उत्पाद को ऑनलाइन बिक्री के लिए एक निर्धारित समय तक ऑनलाइन रखा जाता है. कितने समय ऑनलाइन उत्पाद बिक्री के लिए रहेगा, यह उत्पाद की मात्रा पर निर्भर करता है. ऑनलाइन उत्पाद डिस्प्ले होने पर खरीदार ऑनलाइन ही उस उत्पाद की बोली लगाते हैं. निर्धारित समय में बोली लगाने के बाद सबसे ज्यादा बोली वाले खरीदार के नाम यह उत्पाद बिक जाता है. किसान को अगर बोली सही नहीं लगती तो वह अपने उत्पाद बेचने के लिए इनकार कर सकता है. अगर किसान कोई आपत्ति नहीं जताता तो एपीएमसी के कर्मचारी किसान के उत्पाद की बिक्री का पर्चा तैयार करते हैं और इसके बाद इसको जारी कर दिया जाता है. फिर खरीददार इस माल को लौटा नहीं सकता. इस तरह उत्पाद बेचने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है.

2016 में शुरू हुआ ई-नेम प्रोजेक्ट: ई-नेम यानी ई नेशनल मार्केट (राष्ट्रीय कृषि बाजार) केंद्र की मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी.हिमाचल में पहले चरण में इसके तहत सोलन और ढली मंडी को इस शामिल किया गया. इसके बाद अब तक 19 मंडियां ई-नेम प्रोजेक्ट में शामिल की जा चुकी है. मंडियों को ई नाम प्रोजेक्ट में शामिल करने की सरकार सरकार की ओर से हिमाचल को हिमाचल को उपलब्ध करवाया गया है.

सीधी और ऑनलाइन बिक्री में अंतर: आमतौर पर मंडियों में किसान अपना माल लाते हैं, जहां मंडी में उसकी खुलेआम बोली लगाई जाती है. इसमें कई खरीदारी भी शामिल होते हैं. सबसे अधिक बोली लगाने पर उत्पाद उस खरीददार को मिल जाता है. इसके विपरीत ऑनलाइन यानी ई-नेम के तहत किसान सीधे तौर पर माल नहीं बेचता. इसमें एपीएमसी के कर्मचारी उसके माल को जांच कर रिपोर्ट तैयार कर उसकी ऑनलाइन बोली लगाते हैं. इस तरह इसमें भी ज्यादा बोली लगाने वाले के नाम उत्पाद हो जाता है. वहीं अगर कोई ई-नेम सुविधा मंडी में ऑनलाइन अपने उत्पाद बेचता है तो उसको केवल वहां के आढ़ती ही नहीं बल्कि ई-नेम वाले किसी भी मंडी के खरीददार खरीद सकते हैं. हालांकि हिमाचल की मंडियों को अन्य राज्यों के साथ जोड़ने का यह काम अभी चल रहा है. अभी तक सोलन की मंडी में यह सुविधा मिली है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में चेरी की खेती की ओर बढ़ रहे बागवान, सेब के साथ आय का एक बड़ा जरिया बन रही है Cherry

उत्पादों की पारदर्शी तरीके से बिकी और समय पर भुगतान: ई-नेम प्रोजेक्ट का मकसद किसानों के उत्पादों को पारदर्शी तरीके से बेचना और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाकर उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकना है. इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों का उत्पाद ऑनलाइन बेचे जाने और ऑनलाइन ही अकाउंट में सीधे पेमेंट डालने का प्रावधान किया गया है. कई बार मार्केट में किसान की फसल की बिक्री सही तरीके से नहीं होती या इसमें मिलीभगत की भी आशंका रहती है, लेकिन ऑनलाइन बिक्री से ऐसी संभावना नहीं रहती. वहीं अक्सर किसानों को पेमेंट कई दिनों के बाद की जाती है. कई बार तो किसानों को खरीददार पेमेंट भी नहीं करते. ई-नेम के तहत आनलाइन उत्पाद खरीदने वाले खरीदार के बैंक खातों से माल बिकते ही पैसे कट जाते हैं और एकदम किसान के खाते में यह पैसे जमा हो जाते हैं. इस तरह पेमेंट न मिलने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है.

ऑनलाइन उत्पाद खरीदने पर आढ़ती को छूट: ऑनलाइन उत्पाद बेचने की सबसे सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें उत्पाद बिकते ही उसी वक्त ऑनलाइन किसानों के बैंक खाते में पेमेंट चली जाती है. खरीदारी के बैंक खाते से फसल की कीमत का पैसा कट जाता है और किसान के खाते में शीघ्र जमा हो जाता है. इस तरह खरीददार किसानों को उनकी पेमेंट के लिए मुकर नहीं सकता. इसके साथ ही मार्केट की फीस भी खरीददार से काटी जाती है. आम तौर पर मार्केट फीस एक फीसदी है, लेकिन अगर ऑनलाइन कोई उत्पादों को खरीदता है तो उसको मार्केट फीस का 10 फीसदी छूट मिलती है. यानी एक रुपए पर 10 पैसे की छूट आढ़ती को दी जाती है.

किसानों को ऑनलाइन उत्पाद बिक्री के लिए बढ़ावा: लेकर एपीएमसी शिमला-किन्नौर के सचिव देवराज कश्यप का कहना कि एपीएमसी तीन और मंडियों में ऑनलाइन उत्पादों की बिक्री की सुविधा अबकी बार दे रही है. उनका कहना है कि एपीएमसी किसानों को उनके उत्पादों की बिक्री के लिए प्रोत्साहित करता है. ताकि उनका माल पारदर्शी तरीके से बिके और उनके साथ धोखाधड़ी न हो. इसके अलावा खरीदारों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिन को मार्केट फीस में कुछ छूट दी जा रही है.
ये भी पढ़ें: वजन के हिसाब से मंडियों में सेब बेचना नहीं होगा आसान, बागवान और आढ़तियों को विवाद की आशंका

Last Updated : May 23, 2023, 12:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.