शिमला: हिमाचल प्रदेश में ईद उल अजहा ईद का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. प्रदेश भर में लोगों ने ईद की नमाज अदा की और देश और प्रदेश के अमन शांति की दुआए मांगी गई. लोगों ने एक दूसरे के गले मिलकर ईद की बधाई दी. शिमला शहर में ईदगाह, जामा मस्जिद सहित छोटा शिमला, कुतुब मस्जिद संजौली में हजारों मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद की नमाज अदा की.
कुर्बानी के जज्बे के साथ शिमला में गुरुवार को ईद-उल-अजहा के मौके पर अल्लाह की बारगाह में लाखों सिर सजदे में झुके. इसके साथ ही उस अजीम कुर्बानी को याद किया गया जो हजरत इब्राहिम ने अपने रब के हुक्म से पेश की थी. राजधानी के ईदगाह मैदान व जामा मस्जिद सहित शहर की अन्य मस्जिदों में नमाज अदा की गई. शिमला के ईदगाह मैदान में सुबह 9 बजे मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा ईद की नमाज अदा की गई. नमाज अदा कर अमन और चैन की दुआ मांगी गई. कई जगह लोगों ने अपने अपने घरों में भी नमाज अदा की. नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाई दी.
वहीं, मौलवी मुमताज अहमद कासमी ने कहा कि ईद का दिन अल्लाह ने दिया है. आज इस पाक दिवस पर नमाज अदा की गई. सभी ने आज इस पवित्र दिवस पर देश के लिए कुर्बानी और अमन चैन की दुआ मांगी. इस दिन का तकाजा है कि अल्लाह, देश व मुल्क की तरक्की के लिए कुर्बानी दें. कुरान में जो तरीके जिंदगी जीने के लिए बताए हैं उसी तरह जिंदगी गुजारें. यह पैगाम-ए-मुहब्बत है. देश व प्रदेश में प्यार और आपसी भाईचारा कायम रहे.
बकरीद को इस्लाम में बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है. इस्लाम में एक साल में दो तरह की ईद मनाई जाती है. एक ईद जिसे मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी बकरीद. एक ईद समाज में प्रेम की मिठास घोलने का संदेश देती है, जबकि दूसरी ईद अपने कर्तव्य के लिए जागरूक रहने का संदेश देती है. ईद उल जुहा का दिन फर्ज ए कुर्बान का दिन होता है.
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