रामपुर: शिलाओं को जीत कर बाहर निकलने वाला प्रकृति का अनमोल उपहार शिलाजीत विकट एवं जोखिमपूर्ण चट्टानों में पाया जाता है. आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इस की मांग अधिक रहती है. आयुर्वेद के अनुसार इसे किसी भी औषधि के साथ लेने पर उसके प्रभाव को बढ़ाने वाला माना जाता है. हिमालय, कुमाऊं और जम्मू कश्मीर क्षेत्र में शिलाजीत चट्टानों में बहुत कम स्थान पर पाया जाता है. जोखिमपूर्ण और विकट चट्टानों में होने के कारण इसे निकालना काफी मुश्किल रहता है.
शिलाजीत को दवा के रूप में इस्तेमाल करना उत्तम- चट्टानों से रस के रूप में बाहर निकलने वाला प्रकृति का यह अनमोल काला पदार्थ चट्टानों से छीनी हथौड़े से पत्थर के टुकड़ों के साथ तोड़ कर निकाला जाता है. इन टुकड़ों को पानी में घोलने के बाद कपड़छान करते हुए कई दिनों तक शोधन किया जाता है. शिलाजीत चार प्रकार के होते हैं जिसमें सोना, चांदी, तांबा और लोहा शामिल है. लोह आवरण वाले शिलाजीत को दवा के रूप में इस्तेमाल करना उत्तम माना जाता है. वैसे शिलाजीत को गंध के हिसाब से भी गोमूत्र गंदी व कर्पूर गंदी दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है. गोमूत्र गंदी आयुर्वेद में औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है.
बहुत कम मात्रा में लिया जाता है शिलाजीत- शिलाजीत को बहुत कम मात्रा में दूध, घी और शहद के साथ लिया जा सकता है. शिलाजीत रक्त शोधन, मूत्र संबंधी व्याधि, खून साफ करने, ब्लड प्रेशर नियंत्रण, आर्थराइटिस, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, दिल की बीमारी, एनीमिया व थकान कम करने जैसे अनेक बीमारियों में काफी फायदेमंद रहता है. शिलाजीत को 2 तरह से तैयार किया जाता है- आग तापी व सूर्य तापी. इस में सूर्य तापी को उत्तम माना जाता है, क्योंकि शोधन करने के बाद शिलाजीत वाले पानी को सूर्य की किरणों से सूखा कर तैयार किया जाता है.
इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक शिलाजीत- डॉक्टर सुमेश कटोच ने बताया शिलाजीत का वर्णन आयुर्वेद शास्त्रों में यह किसी भी दवा के साथ प्रयोग करने से उसके प्रभाव को बढ़ाता है और असर को भी बढ़ाता है. शिलाजीत कुमाऊं, कश्मीर और हिमालयन रेंज में मिलता है. यह योगवाई होने के कारण कैटलिस्ट की तरह काम करता है. शिलाजीत लवण रस प्रधान होता है. शिलाजीत कफ, मूत्र जन्य, शुक्र जन्य व्याधियों में काम करता है. इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी सहायक है. उन्होंने कहा अभी इस पर प्रयोग हाइपोथॉरिज्म हाइपरथॉरिज्म चल रहा है.उन्होंने कहा आयुर्वेदा की दृष्टि से यह चार प्रकार के होते है.
हिमाचल में मिलती है लोह तत्व वाली शिलाजीत- पुश्तैनी शिलाजीत चट्टानों से निकालने का काम कर रहे लीला चंद ने बताया बुजुर्गों से ही व्यवसाय के तौर पर शिलाजीत निकाल रहे हैं. शिलाजीत कई प्रकार के रोगों को दूर करती है. जैसे अंदरूनी चोट, छाती दर्द, जोड़ों में दर्द, गिर गया हो और खून को साफ करवाती है. हिमाचल में लोह तत्व वाली शिलाजीत ही मिलती है. वहीं, नेपाली आकाश मगर ने बताया कि शिलाजीत निकालने में बहुत दिक्कत होती है. यह काम जोखिमपूर्ण होता है. चट्टान में शिलाजीत काफी ऊंचाई पर होता है निकालने में दिक्कत होती है जान जोखिम में डालकर शिलाजीत निकालनी पड़ती है.
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