शिमला: 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिष आचार्य उमेश नौटियाल के अनुसार शनिवार देर रात जब पूर्णिमा का चांद अपने पूर्ण वैभवशाली रूप में होगा, उसी वक्त ग्रहण की छाया उस पर पड़ेगी. करीब 9 सालों के बाद विश्व इस खगोलीय घटना का साक्षी बनेगा. शनिवार की देर रात करीब 1:00 बजे के बाद चंद्र ग्रहण की खगोलीय घटना दर्ज की जाएगी, जिसका प्रभाव तकरीबन डेढ़ घंटे तक देखने को मिलेगा.
दरअसल, विज्ञान की नजरों में चंद्र ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है. वहीं, हिन्दू मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार ग्रहण का अपना महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस तरह की खगोलीय घटनाओं का मानव जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में इस दौरान कई धार्मिक और व्यवहारिक कार्य करने की भी मनाही की जाती है. शिमला के राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी और ज्योतिषाचार्य उमेश नौटियाल ने बताया कि देर रात 01:05 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगेगा और इसका प्रभाव रात 2:23 मिनट तक रहेगा.
उन्होने बताया की इस ग्रहण के चलते चंद्रमा के 10 से 15 प्रतिशत भाग पर ग्रहण की छाया पड़ेगी, लेकिन पूरे विश्व पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव मेष राशि और अश्वनी नक्षत्र पर देखने को मिलेगा, जिसके चलते इस राशि के जातकों के लिए ग्रहण अधिक कष्टदायक हो सकता है.
ज्योतिषाचार्य उमेश नौटियाल ने कहा कि ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है, जिसके चलते शाम 4:05 के बाद किसी भी तरह के धार्मिक कार्य करने से परहेज करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस दौरान किसी प्रकार की पूजा पाठ या अनुष्ठान नहीं करना चाहिए. वहीं, आज पूर्णमासी का मौका है ऐसे में व्रत की भी परंपरा है. उन्होने कहा की जो भी लोग व्रत कर रखते हैं, उन्हें 4:00 बजे से पहले व्रत का उद्यापन कर लेना चाहिए और आज के दिन चंद्रमा को अर्घ देने से भी परहेज करना चाहिए.
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