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Shani Gochar 2023 : आज रात शनि देव कुंभ राशि में करेंगे प्रवेश, राशियों पर पड़ेगा प्रभाव

आज यानी 17 जनवरी मंगलवार को शनि देव मकर से कुंभ राशि में गोचर करेंगे. शनि महाराज के राशि बदलाव से जहां, अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पडे़गा. वहीं, देश और दुनिया में भी कई उतार-चढ़ाव दिखाई देंगे.(Shani Kumbh Rashi Gochar 2023)

आज रात शनि देव कुंभ राशि में करेंगे प्रवेश
आज रात शनि देव कुंभ राशि में करेंगे प्रवेश
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Published : Jan 17, 2023, 12:33 PM IST

आज का दिन शनि देव की राशि परिवर्तन का महत्वपूर्ण दिन होगा. शनि महाराज करीब 30 सालों बाद कुंभ राशि में गोचर करेंगे. पंडितों के अनुसार आज यानी 17 जनवरी को शनि भगवान रात 8 बजकर 2 मिनट पर मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.

राशियों पर अलग-अलग प्रभाव: शनि देव के राशि बदलने से राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पडे़गा. हिमाचल कांगड़ा जिले के पंडित सुभाष पंडित ने बताया कि शनि के राशि बदलाव के चलते धनु राशि की साढ़ेसाती और तुला और मिथुन राशि के जातक ढैय्या से मुक्त होंगे. वहीं, मकर पर साढ़ेसाती की अंतिम ढैय्या, कुंभ पर दूसरी और मीन राशि पर प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगी. सुभाष पंडित के मुताबिक राशि परिर्वतन से सभी राशियां प्रभावित होंगी और इसका असर व्यापार से लेकर प्रेम, स्वास्थ्य ,शिक्षा और संतान पर दिखाई देगा. उन्होंने बताया कि शनि देव एक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं.

देश-दुनिया पर पड़ेगा असर: शनि भगवान के कुंभ राशि में गोचर करने का देश-दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा. शनि का स्वभाव ठंडा माना जाता और इसका सीधा संबंध प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा हुआ माना जाता है. इसलिए प्राकृतिक आपदाएं सामने आ सकती हैं. शनि अपनी ही राशि में आकर अधिक बलवान होंगे. इसके चलते देश के उत्तरी भूभागों में हलचल, बर्फबारी, भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, वाहन हादसे सामने आ सकते हैं.

शनि की ढैय्या और साढेसाती क्या होती: धारणा है कि शनि देव की साढ़ेसाती अशुभ और कष्टप्रद मानी जाती है, लेकिन कुंडली में शनि की स्थिती को देखकर ही साढ़ेसाती के फल का आकलन किया जा सकता है. वहीं, शनि महाराज जब गोचर के दौरान जन्मकालीन राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होते है .तब इसे शनि की ढैय्या या 'लघु कल्याणी' कहा जाता है. ढैय्या का अर्थ होता है ढाई साल. वहीं, जब शनि किसी की जन्म राशि से 12वे घर में आते हैं तो साढ़ेसाती की शुरुआत होती है. शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं, इसलिए शनि की साढ़ेसाती साढ़े 7 वर्ष तक रहती है. इसी कारण साढ़ेसाती कहा जाता है.

शनि महाराज की पूजा: यह ध्यान रखना चाहिए की शनि देव की पूजा करने के दौरान सीधे तौर पर शनि महारज की मूर्ति को नहीं देखना चाहिए. तेल अर्पित कर पूजन करना चाहिए. वहीं, सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए. इससे धन संबंधी परेशानियां कम होने लगती है. शनिवार के दिन तेल का दान करना अच्छा माना जाता है. दान करने से पहले तेल में अपना चेहरा देखना चाहिए.कहा जाता है कि जो हनुमान जी की पूजा-अर्चना करता है. उन्हें शनि भगवान परेशान नहीं करते. इसलिए हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए.

आज का दिन शनि देव की राशि परिवर्तन का महत्वपूर्ण दिन होगा. शनि महाराज करीब 30 सालों बाद कुंभ राशि में गोचर करेंगे. पंडितों के अनुसार आज यानी 17 जनवरी को शनि भगवान रात 8 बजकर 2 मिनट पर मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.

राशियों पर अलग-अलग प्रभाव: शनि देव के राशि बदलने से राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पडे़गा. हिमाचल कांगड़ा जिले के पंडित सुभाष पंडित ने बताया कि शनि के राशि बदलाव के चलते धनु राशि की साढ़ेसाती और तुला और मिथुन राशि के जातक ढैय्या से मुक्त होंगे. वहीं, मकर पर साढ़ेसाती की अंतिम ढैय्या, कुंभ पर दूसरी और मीन राशि पर प्रथम ढैय्या प्रारंभ होगी. सुभाष पंडित के मुताबिक राशि परिर्वतन से सभी राशियां प्रभावित होंगी और इसका असर व्यापार से लेकर प्रेम, स्वास्थ्य ,शिक्षा और संतान पर दिखाई देगा. उन्होंने बताया कि शनि देव एक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं.

देश-दुनिया पर पड़ेगा असर: शनि भगवान के कुंभ राशि में गोचर करने का देश-दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा. शनि का स्वभाव ठंडा माना जाता और इसका सीधा संबंध प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा हुआ माना जाता है. इसलिए प्राकृतिक आपदाएं सामने आ सकती हैं. शनि अपनी ही राशि में आकर अधिक बलवान होंगे. इसके चलते देश के उत्तरी भूभागों में हलचल, बर्फबारी, भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, वाहन हादसे सामने आ सकते हैं.

शनि की ढैय्या और साढेसाती क्या होती: धारणा है कि शनि देव की साढ़ेसाती अशुभ और कष्टप्रद मानी जाती है, लेकिन कुंडली में शनि की स्थिती को देखकर ही साढ़ेसाती के फल का आकलन किया जा सकता है. वहीं, शनि महाराज जब गोचर के दौरान जन्मकालीन राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होते है .तब इसे शनि की ढैय्या या 'लघु कल्याणी' कहा जाता है. ढैय्या का अर्थ होता है ढाई साल. वहीं, जब शनि किसी की जन्म राशि से 12वे घर में आते हैं तो साढ़ेसाती की शुरुआत होती है. शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं, इसलिए शनि की साढ़ेसाती साढ़े 7 वर्ष तक रहती है. इसी कारण साढ़ेसाती कहा जाता है.

शनि महाराज की पूजा: यह ध्यान रखना चाहिए की शनि देव की पूजा करने के दौरान सीधे तौर पर शनि महारज की मूर्ति को नहीं देखना चाहिए. तेल अर्पित कर पूजन करना चाहिए. वहीं, सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए. इससे धन संबंधी परेशानियां कम होने लगती है. शनिवार के दिन तेल का दान करना अच्छा माना जाता है. दान करने से पहले तेल में अपना चेहरा देखना चाहिए.कहा जाता है कि जो हनुमान जी की पूजा-अर्चना करता है. उन्हें शनि भगवान परेशान नहीं करते. इसलिए हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए.

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