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एचपीयू में शिक्षकों की भर्ती को लेकर एसएफआई के कार्यकर्ता सीएम सुक्खू से मिले ,सौंपा ज्ञापन - SFI activists submit memorandum to CM Sukhu

एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने आज सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की और इन्हें ज्ञापन भी सौंपा. (SFI activists Meet CM Sukhvinder) (SFI activists submit memorandum to CM Sukhu)

SFI activists Meet CM Sukhvinder.
एसएफआई के कार्यकर्ता सीएम सुक्खू से मिले.
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Published : Jan 1, 2023, 4:23 PM IST

शिमला: एसएफआई के राज्य सचिव एवं अध्यक्ष अमित व रमन थारटा के नेतृत्व में एसएफआई के 20 कार्यकर्ता के एक समूह ने आज हिमाचल प्रदेश के सीएम से भेंट की. इस दौरान उन्होंने सीएम को ज्ञापन सौंपा और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती की जांच गठित करने का आग्रह किया और पटेल विश्वविद्यालय, मंडी, सहायक प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) के चयन के लिए संशोधित चयन मानदंड बहाल करने का भी आग्रह किया गया. साथ ही छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार यानी एससीए चुनाव को बहाल करने और कॉलेजों में सभी रिक्त शिक्षण पदों को भरने की भी मांग की. (SFI activists Meet CM Sukhvinder) (SFI demand in Himachal) (SFI activists submit memorandum to CM Sukhu)

इस दौरान अमित ठाकुर व रमन थारटा ने चार प्रमुख मुद्दों की मांग की. जिसमें सबसे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला एवं सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी में शिक्षकों की भर्ती की जांच गठित की मांग की गई. उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षों में 270 से अधिक शिक्षकों की भर्ती यूजीसी विनियम/विश्वविद्यालय/राज्य के प्रावधानों के विपरीत की जा रही है. सरकारी नियम, धोखाधड़ी अनुभव, धोखाधड़ी प्रकाशन, धोखाधड़ी पीएचडी (यूजीसी नियमों के खिलाफ) आरएसएस/बीजेपी/एबीवीपी के लोगों के चयन किए गए हैं और इससे कम से कम 25-30 पीढ़ी का करियर बर्बाद हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि मंडी यूनिवर्सिटी का भी यही हाल है. ऐसे में एसएफआई ने प्रदेश सरकार से जांच की मांग की है. वहीं, सहायक प्रोफेसर (कॉलेज संवर्ग) के चयन के लिए चयन मानदंड बहाल करें एसएफआई की दूसरी मांग है. एचपीपीएससी 100 प्रतिशत साक्षात्कार के आधार पर सहायक प्रोफेसरों (कॉलेज संवर्ग) की भर्ती करता है, अंतिम चयन के लिए स्क्रीन/लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों पर विचार नहीं किया जाता है. अधिकांश समय यह देखा गया है कि स्क्रीन/लिखित परीक्षा में योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों को हाशिये पर रखा जाता है और उनका चयन नहीं किया जाता है.

2019 में इसे देखते हुए एचपीपीएससी ने अपने नियमों में संशोधन किया कि अंतिम चयन 65:35 के आधार पर होगा. यानी अंतिम चयन के लिए 65 प्रतिशत वेटेज लिखित/स्क्रीन टेस्ट में प्राप्त अंकों और 35 प्रतिशत साक्षात्कार के लिए दिया जाएगा, लेकिन उस अधिसूचना को अचानक वापस ले लिया गया, इसका कारण वे ही जानते हैं. ऐसे में एसएफआई ने छात्रों और युवाओं के हितों में 65:35 के आधार पर चयन पद्धति को बहाल करने का अनुरोध किया.

तीसरा उन्होंने छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार यानी SCA चुनाव को बहाल करने की मांग की. राज्य छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार यानी कॉलेज और विश्वविद्यालय में छात्र संघों के चुनाव का गवाह है और राजनीतिक और समग्र विवेक को मजबूत करने में इसकी बड़ी भूमिका है. ऐसे में एसएफआई ने SCA चुनाव को बहाल करने की मांग की है.

चौथी उन्होंने कॉलेजों में सभी खाली शिक्षण पदों को भरने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक या दो शिक्षकों के आधार पर कई कॉलेज काम कर रहे हैं, यह बहुत ही अनैतिक लगता है. ये संस्थान छात्रों के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे में एसएफआई के छात्रों ने इन अंडर स्टाफ कॉलेजों को जल्द से जल्द उचित शिक्षण स्टाफ उपलब्ध करवाए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सीएम ने चारों मुद्दों को ठीक से सुना और आश्वासन दिया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहुत जल्द कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें: Professor Recruitment Scam HPU: आरटीआई में खुलासा, फर्जी आधार पर हुई एचपीयू में प्रोफेसर भर्ती

शिमला: एसएफआई के राज्य सचिव एवं अध्यक्ष अमित व रमन थारटा के नेतृत्व में एसएफआई के 20 कार्यकर्ता के एक समूह ने आज हिमाचल प्रदेश के सीएम से भेंट की. इस दौरान उन्होंने सीएम को ज्ञापन सौंपा और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती की जांच गठित करने का आग्रह किया और पटेल विश्वविद्यालय, मंडी, सहायक प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) के चयन के लिए संशोधित चयन मानदंड बहाल करने का भी आग्रह किया गया. साथ ही छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार यानी एससीए चुनाव को बहाल करने और कॉलेजों में सभी रिक्त शिक्षण पदों को भरने की भी मांग की. (SFI activists Meet CM Sukhvinder) (SFI demand in Himachal) (SFI activists submit memorandum to CM Sukhu)

इस दौरान अमित ठाकुर व रमन थारटा ने चार प्रमुख मुद्दों की मांग की. जिसमें सबसे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला एवं सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी में शिक्षकों की भर्ती की जांच गठित की मांग की गई. उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षों में 270 से अधिक शिक्षकों की भर्ती यूजीसी विनियम/विश्वविद्यालय/राज्य के प्रावधानों के विपरीत की जा रही है. सरकारी नियम, धोखाधड़ी अनुभव, धोखाधड़ी प्रकाशन, धोखाधड़ी पीएचडी (यूजीसी नियमों के खिलाफ) आरएसएस/बीजेपी/एबीवीपी के लोगों के चयन किए गए हैं और इससे कम से कम 25-30 पीढ़ी का करियर बर्बाद हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि मंडी यूनिवर्सिटी का भी यही हाल है. ऐसे में एसएफआई ने प्रदेश सरकार से जांच की मांग की है. वहीं, सहायक प्रोफेसर (कॉलेज संवर्ग) के चयन के लिए चयन मानदंड बहाल करें एसएफआई की दूसरी मांग है. एचपीपीएससी 100 प्रतिशत साक्षात्कार के आधार पर सहायक प्रोफेसरों (कॉलेज संवर्ग) की भर्ती करता है, अंतिम चयन के लिए स्क्रीन/लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों पर विचार नहीं किया जाता है. अधिकांश समय यह देखा गया है कि स्क्रीन/लिखित परीक्षा में योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों को हाशिये पर रखा जाता है और उनका चयन नहीं किया जाता है.

2019 में इसे देखते हुए एचपीपीएससी ने अपने नियमों में संशोधन किया कि अंतिम चयन 65:35 के आधार पर होगा. यानी अंतिम चयन के लिए 65 प्रतिशत वेटेज लिखित/स्क्रीन टेस्ट में प्राप्त अंकों और 35 प्रतिशत साक्षात्कार के लिए दिया जाएगा, लेकिन उस अधिसूचना को अचानक वापस ले लिया गया, इसका कारण वे ही जानते हैं. ऐसे में एसएफआई ने छात्रों और युवाओं के हितों में 65:35 के आधार पर चयन पद्धति को बहाल करने का अनुरोध किया.

तीसरा उन्होंने छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार यानी SCA चुनाव को बहाल करने की मांग की. राज्य छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार यानी कॉलेज और विश्वविद्यालय में छात्र संघों के चुनाव का गवाह है और राजनीतिक और समग्र विवेक को मजबूत करने में इसकी बड़ी भूमिका है. ऐसे में एसएफआई ने SCA चुनाव को बहाल करने की मांग की है.

चौथी उन्होंने कॉलेजों में सभी खाली शिक्षण पदों को भरने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक या दो शिक्षकों के आधार पर कई कॉलेज काम कर रहे हैं, यह बहुत ही अनैतिक लगता है. ये संस्थान छात्रों के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे में एसएफआई के छात्रों ने इन अंडर स्टाफ कॉलेजों को जल्द से जल्द उचित शिक्षण स्टाफ उपलब्ध करवाए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सीएम ने चारों मुद्दों को ठीक से सुना और आश्वासन दिया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहुत जल्द कार्रवाई की जाएगी.

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