शिमलाः आईजीएमसी में काेराेना के साथ अब प्रशासन ब्लैक फंगस से निपटने में लग गया है. जहां 2 दिन पहले ही प्रशासन ने ब्लैक फंगस के लिए अलग से बेड तैयार कर दिए थे, अब उस वार्ड के लिए 55 नए वेंटिलेटर भी पहुंच गए हैं. सरकार की ओर से ये वेंटिलेटर की सुविधा मिली है. ब्लैक फंगस के सभी मरीजाें के लिए आईजीएमसी में वेंटिलेटर सपोर्टिंग बेड तैयार किए जाएंगे. इसके लिए अभी शुरुआत में वार्ड में 10 बेड लगाए गए हैं, जल्द ही इस वार्ड में बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी. ऐसे में अभी तक 55 वेंटिलेटर ब्लैक फंगस से निपटने के लिए अलग से रख दिए गए हैं. उनका ऑपरेशन भी तुरंत करना पड़ता है. ऐसे में प्रशासन ने इसके लिए एडवांस तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि ब्लैक फंगस के मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े.
आईजीएमसी में ब्लैक फंगस के 2 मरीज एडमिट
आईजीएमसी में ब्लैक फंगस के 2 मरीज एडमिट हैं. इसमें एक हमीरपुर और एक अन्य अर्की साेलन की महिला ब्लैक फंगस से संक्रमित है. चिकित्सकाें के अनुसार ब्लैक फंगस भी काेराेना की तरह संक्रमण फैलाने वाली बीमारी है. ऐसे में अब ब्लैक फंगस से निपटने के लिए आईजीएमसी में खास इंतजाम किए गए हैं. हालांकि अभी शुरुआत है, जून माह में इसके मामलाें में बढ़ाेतरी हाे सकती है. ऐसे में प्रशासन अभी से अलर्ट पर है और जल्द ही ब्लैक फंगस के वार्ड में बेड बढ़ाए जाएंगे.
इसलिए जरूरी है वेंटिलेटर
ब्लैक फंगस भी काेराेना की तरह संक्रमण वाली बीमारी है. इसमें व्यक्ति के जिस जगह पर बीमारी हाेती है, वहां काला निशान बन जाता है. ऐसे में उस फंगस काे तुरंत निकालना पड़ता है. अभी तक आईजीएमसी में दाे मरीज आए हैं, उसमें एक महिला का तुरंत ऑपरेशन कर दिया गया है, जबकि दूसरी का बीपी बढ़ने के कारण ऑपरेशन साेमवार काे हाेगा. ऑपरेशन के बाद और मरीज काे वेंटिलेटर की जरूरत रहती है. क्याेंकि इसमें भी काेराेना की तरह मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है, लिहाजा यहां पर वेंटिलेटर सपोर्टिंग बेड लगाए जा रहे हैं.
ये लक्षण दिखने पर न करें लापरवाही
ब्लैक फंगस में बुखार का आना आंखों में दर्द रहना, शरीर में काले निशान बन जाना, सिर में दर्द रहना, दांत में दर्द, चेहरे पर काले निशान का होना, थूक के साथ खून आना जैसे कई अन्य लक्षण पाए जाते हैं. ऐसे लक्षण दिखने पर मरीजों को अस्पताल में दिखाना चाहिए ये ब्लैक फंगस हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस कोविड से ठीक हो चुके लोगों पर अटैक कर रहा है. इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और इससे कई मरीजों की जान भी चली जा रही है.
अभी आईजीएमसी में ही भेजे जा रहे मरीज
ब्लैक फंगस के प्रदेश से जाे भी मरीज आएंगे उन्हें आईजीएमसी ही भेजा जाएगा. फिलहाल आईजीएमसी में ही ब्लैक फंगस के लिए अलग से वार्ड तैयार किया गया है. अन्य अस्पतालाें में इसके लिए काेई इंतजाम नहीं है. ऐसे में यहां पर सरकार की ओर से अब पूरे इंतजाम करवाए जा रहे हैं, इसमें यहां पर बेड तैयार करवा दिए गए हैं, इसके अलावा वेंटिलेटर भी पहुंच गए हैं. अन्य काेई जरूरत हाेगी ताे उसे भी जल्द यहां पर उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि यहां पर ब्लैक फंगस के मरीजाें का पूरा इलाज किया जा सके.
ब्लैक फंगस के आने वाले मरीजाें काे रखा जाएगा अलग
आईजीएमसी शिमला के प्रशासनिक अधिकारी डाॅ. राहुल गुप्ता ने कहा कि आईजीएमसी में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए वार्ड तैयार किया गया है. अब सरकार की ओर से 55 नए वेंटिलेटर भी दिए गए हैं. यह वेंटिलेटर ब्लैक फंगस के वार्ड में लगाए जाएंगे. यहां पर सभी बेड वेंटिलेटर सपोर्टिंग तैयार किए जा रहे हैं. आगामी दिनाें में भी ब्लैक फंगस के आने वाले मरीजाें काे अलग रखा जाएगा. इसके लिए पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं.
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