शिमलाः भारत-पाकिस्तान का नाम जब भी कानों में गूंजता है, तो जहन में आती है लड़ाई, तल्खी और युद्ध. साल 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादे पस्त करते हुए करारी शिकस्त दी, लेकिन यह पाकिस्तान की पहली शिकस्त थी.
दूसरी शिकस्त पाकिस्तान को शिमला समझौते के दौरान मिली. इस दौरान भारतीय सरकार के सामने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो को आयरन लेडी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.
बार्नस कोर्ट में हुआ शिमला समझौता
ऐतिहासिक शिमला समझौता (Simla Agreement) शिमला के बार्नस कोर्ट और अब राज्यपाल के आधिकारिक निवास गवर्नर हाउस में हुआ. इस ऐतिहासिक समझौते के दौरान शिमला के वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश चंद लोगों में भी मौजूद थे. उन्होंने खुद इस ऐतिहासिक समझौते को अपनी आंखों के सामने होते हुए देखा है.
6 घंटे तक जुल्फिकार अली भुट्टो का इंतजार करती रहीं इंदिरा गांधी
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश चंद लोहुमी ने शिमला समझौते की यादें ताजा करते हुए बताया कि समझौते के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अपने पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला पहुंचा.
इंदिरा गांधी पहले से ही शिमला में थी. जिस दिन जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto) को शिमला पहुंचना था, उस दिन शिमला में भारी बारिश हो रही थी. बारिश की वजह से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर 6 घंटे तक लैंड नहीं हो सका. इस दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गाड़ी में बैठकर जुल्फिकार अली भुट्टो के हेलीकॉप्टर के लैंड होने का इंतजार करती रहीं.
समझौते पर हस्ताक्षर के लिए शिमला के पत्रकार से लिया गया था पेन
समझौते के लिए भारत ने पाकिस्तान के सामने कुछ शर्ते रखी. पाकिस्तान को कुछ शर्तों से ऐतराज था, लेकिन आयरन लेडी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को झुका ही दिया. युद्ध में बुरी तरह करारी शिकस्त खा चुका पाकिस्तान शिमला में एक बार फिर परास्त हो गया. प्रकाश चंद लोहुमी बताते हैं कि समझौता 2 जुलाई की रात 8 बजे प्रधानमंत्री पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वार्ता असफल रही है.
अब समझौता नहीं हो सकेगा. इसके बाद सभी लोग अपने अपने घरों को लौटने लगे, लेकिन कुछ देर बाद खबर मिली कि कुछ बड़ा हो सकता है. इसके बाद 2 और 3 जुलाई की दरमियानी रात भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता (Simla Agreement) हुआ.
समझौते को लेकर कोई तैयारी तक नहीं की गई थी. जिस टेबल पर समझौता हुआ, उस पर कपड़ा तक नहीं बिछा था. इस दौरान समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पेन भी शिमला के मीडिया कर्मी भीष्म से मांगा गया. इसके बाद इंदिरा गांधी सारे कागज लेकर रिट्रीट वापस लौट गई.
दूरदर्शन क्रू भी बना समझौते में देरी का कारण
शिमला समझौते में देरी का कारण दूरदर्शन का क्रू भी बना. रात 8 बजे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने जब वार्ता असफल होने की बात कही, तो उस समय एकमात्र टीवी चैनल दूरदर्शन वापस दिल्ली लौटने की तैयारी के चलते आराम करने के लिए वापस लौट गए.
इसके बाद वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश चंद लोहुमी ने ही वहां मौजूद लोगों को दूरदर्शन क्रू के प्रमुख सुशील शर्मा के घर का पता बताया. इसके बाद दूरदर्शन की टीम पहुंची. इस पर पी. एन. हकसर ने डांटते हुए कहा कि आपकी वजह से प्रधानमंत्री को एक घंटा इंतजार करना पड़ा. दूरदर्शन की टीम पहुंचने के बाद हस्ताक्षर समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
दो घंटे के दौरान हुई बातचीत से नहीं उठा राज
2 जुलाई तक शिमला समझौता (Simla Agreement) लगभग असफल माना जा रहा था. इसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच बातचीत हुई. इन दो ऐतिहासिक घंटों के बीच क्या बातचीत हुई, आज तक किसी को नहीं पता. माना जाता है कि इन दो घंटों के दौरान हुई बातचीत से ही शिमला समझौता (Simla Agreement) हो सका.
शहर भर में थे बेनजीर की खूबसूरती के चर्चे
भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते से अलग चैप्टर बेनजीर भुट्टो का भी है. बेनजीर यानी जिसकी नजीर न हो यानी कोई उदाहरण न हो. सचमुच बेनजीर भुट्टो वैसे ही थी. शिमला समझौते के समय वह करीब 16 साल की थी. बेनजीर भुट्टो निहायत खूबसूरत व्यक्तित्व वाली थी.
यही कारण है कि शिमला में उस समय उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी. भारत-पाक युद्ध और दोनों देशों में रिश्तो की तल्खियों से बेपरवाह बेनजीर भुट्टो ने शिमला में उस समय प्रवास का अलग तरीके से आनंद लिया. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश चंद्र लोहुमी बताते हैं कि जिन चीजों को बेनजीर भुट्टो ने पसंद किया था, उसे बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बेनजीर को खरीद कर भेंट किया.
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