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वीरभद्र के सवाल पर सरकार का जवाब, नहीं खत्म होगी धारा-118

कुछ समय से प्रदेश में धारा-118 को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं थी. इन सभी आशंकाओं को राज्य सरकार ने दूर किया है. सदन में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है कि इससे कोई छेड़छाड़ नहीं होगी.

Section 118 will not be removed in Himachal
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Published : Aug 26, 2019, 9:25 PM IST

शिमला: विधानसभा में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के धारा-118 पर किए गए सवाल पर सीएम जयराम ठाकुर सदन में लिखित जवाब में कहा कि हिमाचल प्रदेश में धारा-118 में कोई संशोधन नहीं होगा. इस धारा को खत्म करने का सरकार का कोई विचार नहीं है.

बता दें कि कुछ समय से प्रदेश में धारा-118 को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं थी. इन सभी आशंकाओं को राज्य सरकार ने दूर किया है. सदन में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है कि इससे कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. अर्की विधानसभा से चुनकर आए पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का सवाल था कि क्या सरकार हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 में संशोधन करने या इसे समाप्त करने का विचार कर रही है?

यदि ऐसा विचार है तो क्या इससे प्रदेश के लोगों के हितों को नुकसान होगा और इसमें संशोधन करने से प्रदेश सरकार और हिमाचल के लोगों को क्या लाभ होने की संभावना है? लिखित जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है.

विधानसभा में कांग्रेस के युवा विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी सोमवार को ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से भूमि मुजारा कानून की धारा 118 पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन अरुण जेटली के शोकोद्गार के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित होने की वजह से इस पर आज चर्चा नहीं हो सकी. मंगलवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर इस विषय पर चर्चा संभावित है.

शिमला: विधानसभा में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के धारा-118 पर किए गए सवाल पर सीएम जयराम ठाकुर सदन में लिखित जवाब में कहा कि हिमाचल प्रदेश में धारा-118 में कोई संशोधन नहीं होगा. इस धारा को खत्म करने का सरकार का कोई विचार नहीं है.

बता दें कि कुछ समय से प्रदेश में धारा-118 को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं थी. इन सभी आशंकाओं को राज्य सरकार ने दूर किया है. सदन में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है कि इससे कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. अर्की विधानसभा से चुनकर आए पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का सवाल था कि क्या सरकार हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 में संशोधन करने या इसे समाप्त करने का विचार कर रही है?

यदि ऐसा विचार है तो क्या इससे प्रदेश के लोगों के हितों को नुकसान होगा और इसमें संशोधन करने से प्रदेश सरकार और हिमाचल के लोगों को क्या लाभ होने की संभावना है? लिखित जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है.

विधानसभा में कांग्रेस के युवा विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी सोमवार को ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से भूमि मुजारा कानून की धारा 118 पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन अरुण जेटली के शोकोद्गार के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित होने की वजह से इस पर आज चर्चा नहीं हो सकी. मंगलवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर इस विषय पर चर्चा संभावित है.

वीरभद्र के सवाल पर सरकार का जवाब, नहीं खत्म होगी धारा-118, न ही संशोधन करेगी सरकार
शिमला। हिमाचल प्रदेश में लैंड रिर्फाम एक्ट की धारा-118 में कोई संशोधन नहीं होगा। इस धारा को खत्म करने का सरकार का कोई विचार नहीं है। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस संदर्भ में सवाल किया था। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लिखित जवाब में सदन में जानकारी दी कि न तो इस धारा में संशोधन होगा और न ही इसे खत्म किया जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि कुछ समय से प्रदेश में धारा-118 को लेकर कई तरह के सवाल तैर रहे थे। इन सभी आशंकाओं को राज्य सरकार ने दूर किया है। सदन में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है कि इससे कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। अर्की विधानसभा से चुनकर आए पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का सवाल था कि क्या सरकार हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 में संशोधन करने या इसे समाप्त करने का विचार कर रही है? लिखित जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है। वीरभद्र सिंह के सवाल का दूसरा अंश था कि यदि ऐसा विचार है तो क्या इससे प्रदेश के लोगों के हितों को नुकसान होगा और इसमें संशोधन करने से प्रदेश सरकार और हिमाचल के लोगों को क्या लाभ होने की संभावना है? वीरभद्र सिंह ने इन सभी का ब्यौरा देने से जुड़ा सवाल किया था। उल्लेखनीय है कि सोमवार को ही विधान सभा में कांग्रेस के युवा विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से भूमि मुजारा कानून की धारा 118 पर चर्चा मांगी थी। मगर शोकोद्गार के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित होने की वजह से इस पर आज चर्चा नहीं हो सकी। मंगलवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा संभावित है।

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तीन साल में 102 डॉक्टर्स ने छोड़ी सरकारी नौकरी
विगत तीन साल में हिमाचल प्रदेश से 102 डॉक्टर्स ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दिया है। इन डॉक्टरों ने निजी कारणों और उच्च शिक्षा हासिल करने का तर्क देकर त्यागपत्र दिए हैं। भाजपा विधायक रमेश धवाला के सवाल के लिखित जवाब में
स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने सदन में ये जानकारी दी। धवाला ने सवाल पूछा था कि 3 वर्ष में राज्य सरकार ने कितने डॉक्टरों की भर्ती की और प्रदेश में कितने डॉक्टर्स ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया। लिखित जवाब में सदन में जानकारी दी गई कि इस दौरान 1134 डॉक्टरों की नई भर्ती की गई। इसमें से 102 मेडिकल ऑफिसर्स को अनुबंध आधार पर और 225 को नियमित आधार पर तैनाती दी गई। राज्य में अभी भी करीब तीन सौ डॉक्टरों के पद खाली हैं। 
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