शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार संस्कृति भाषा को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए राज्य में संस्कृति विश्वविद्यालय खोलने पर विचार कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है और कंप्यूटर संयोज्य है. राज्य सरकार राज्य में संस्कृत को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार राज्य में संस्कृत की उचित व्यापकता, लोकप्रियता और वृद्धि सुनिश्चित कर रही है. इस अवसर पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राज्य में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने व इसके प्रचार व प्रसार में अकादमी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. राज्य सरकार अकादमी को अपनी गतिविधियों को प्रभावी रूप से चलाने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी. निदेशक उच्च शिक्षा अमरजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री और अकादमी की अन्य सदस्यों का स्वागत किया. वहीं, डॉ. भक्तवत्सल शर्मा अकादमी के सचिव चुने गए.
बता दें कि प्रदेश में संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान, शोध और उच्च स्तर के विकास के लिए भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान जारी किए गए अपने चुनावी दृष्टिपत्र में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की थी. इसी कड़ी में सरकार ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है. कमेटी में हिमाचल विश्वविद्यालय से प्रो. राजेंद्र शर्मा, संस्कृत महाविद्यालय सोलन के प्राचार्य डॉ. राम दत्त शर्मा, संस्कृत महाविद्यालय क्यारटू से डॉ. विनय शर्मा, संस्कृत महाविद्यालय सोलन से डॉ. मुकेश शर्मा और संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर से डॉ. ज्ञानेश्वर शर्मा को सदस्य बनाया गया है.
कमेटी ने ही विभाग को प्रेदश में सुंदरनगर में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने को लेकर रिपोर्ट भी सौंप दी है. निदेशालय ने संस्कृत कॉलेज से बीबीएमबी की खाली पड़ी भूमि की रिपोर्ट मांगी थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि संस्कृत विवि खोलने के लिए सुंदरनगर में भूमि उपलब्ध है. बीबीएमबी की 30 बीघा भूमि खाली है. इस भूमि के चयन को लेकर केंद्र सरकार को भी प्रस्ताव भेजा गया है इस पर मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की प्रक्रिया प्रदेश सरकार शुरू कर सकती है.
प्रदेश में वर्तमान समय में सात सरकारी संस्कृत कॉलेज हैं. सुंदरनगर, सोलन, फागली, नाहन, क्यारटू, तुंगेश व सरैन में संस्कृत कॉलेज हैं. इसके अलावा निजी क्षेत्र में करीब 22 संस्कृत कॉलेज खुले हैं. संस्कृत विवि खुलने के बाद ये सभी कॉलेज इसके अधीन आएंगे.