शिमलाः आईजीएमसी व केएनएच के सफाई कर्मचारियों ने पत्र लिखकर सरकार से ठेकेदारी प्रथा को बंद करने की मांग की है. सफाई कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बहुत कम वेतन दिया जा रहा है, जिससे शिमला जैसी जगह पर उनका खर्चा पूरा करना मुश्किल हो गया है. सफाई कर्मचारियों ने सरकार से यह मांग की है कि या तो उन्हें सरकार के आधीन लाया जाए या फिर नियमित कर्मचारियों के बराबर उन्हें वेतन दिया जाए.
इस संबंध में सफाई कर्मचारियों ने आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज को भी गुरूवार को ज्ञापन सौंपा है. एमएस के माध्यम से उन्होंने मांगों को पूरा करने की मांग की है. सफाई कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी के बीच भी वे अस्पतालों में काम कर रहे हैं. केएनएच में 250 से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं और सभी लगातार सेवाएं दे रहे हैं.
कर्मचारियों को ईपीएफ और ईएसआई काट कर 6951 रूपए मासिक वेतन दिया जा रहा है. इतने कम वेतन पर परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है. सफाई कर्मचारियों ने पत्र लिखकर मांग की है कि उनकी मांगो को शीघ्र ही पूरा किया जाए. गौरतलब है की बुधवार को आईजीएमसी में सफाई कर्चारियों ने 2 घंटे काम बंद रखा और हड़ताल पर रहे.
अध्यक्ष पमेश उर्फ पम्मी ने बताया की उन्हें आए दिन परेशानी का समाना करना पड़ता है. उनका कहना है कि कोरोना जैसे संकट की घड़ी में वह अपने रिस्क पर ही काम कर रहे हैं, जबकि लॉकडाउन के समय में जगह से दूसरे जगह जाना मुश्किल है, लेकिन जो सफाई कर्मचारी लॉकडाउन के कारण ड्यूटी पर नहीं आ सके, उनकी सैलरी काट ली गई, जबकि सरकार सफाई कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने की बात कर रही है.
आईजीएमसी और केएनएच में 238 सफाई वाले ठेके के तहत काम कर रहे हैं, जिन्हें आय दिन परेशानी का समाना करना पड़ता है. उनका कहना है कि उन्हें मात्र 6951 रुपये मिलते है जिसमे बड़ी मुश्किल से गुजारा चलता है।
सफाई कर्मियों की मांगो में ड्रेस की सिलाई ना दिया जाना, ज्यॉइनिंग लेटर ना दिया जाना, ग्रेचुटी का ना मिलना, रोस्टर का ना बनाना, सफाई कर्मियों से वार्ड ब्बॉय का काम लेना, ईपीएफ को कोरोना कर्फ्यू के दौरान वेतन से काट लिया जाना, जूते व स्वेटर का ना मिलना , सैलरी का न बढ़ाया जाना शामिल है.
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