शिमला: मैं कांग्रेस का सिपाही हूं और हमेशा कांग्रेसी ही रहूंगा. वीरभद्र सिंह के राजनीतिक जीवन का ये सूत्र वाक्य था, लेकिन राजनीति के ये राजा जनता ही नहीं आरएसएस व विश्व हिंदू परिषद के भी दिल में बसते थे.
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के छह बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह को आरएसएस के प्रांत संघचालक ने हिंदू धर्म का हितैषी बताया है. वहीं, विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने भी वीरभद्र सिंह को बहुत भावपूर्ण तरीके से याद किया.
परिषद के प्रांत अध्यक्ष लेखराज राणा ने वीरभद्र सिंह को दूरदर्शी सोच वाला नेता बताया और कहा कि उन्हीं के प्रयासों से हिमाचल में धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाया गया था. विहिप ने हिमाचल में देव संस्कृति के लिए किए गए कार्यों को लेकर भी वीरभद्र सिंह को स्मरण किया.
यही नहीं, विहिप नेता ने कहा कि वीरभद्र सिंह के दिली इच्छा थी कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हो. उल्लेखनीय है कि ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें कांग्रेस से जुड़े लोग सहज रूप से स्वीकार नहीं करते हैं.
परिषद के प्रांत अध्यक्ष ने कहा कि वीरभद्र सिंह अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा ही प्रदेश की देव संस्कृति और हिंदू जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए तत्पर रहे. उधर, आरएसएस के प्रांत संघचालक प्रो. वीर सिंह रांगड़ा ने कहा कि हिमाचल में देव संस्कृति के संरक्षण के लिए वीरभद्र सिंह का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता.
उन्होंने हिमाचल प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए वीरभद्र सिंह के प्रयासों की भरपूर तारीफ की. वीरभद्र सिंह ही धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाए थे. उनके प्रयासों से ही ये पहल हुई थी. रांगड़ा ने कहा कि वीरभद्र सिंह का कई मर्तबा आरएसएस (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के कार्यक्रमों में भी आना हुआ था.
कांग्रेस के दिग्गज राजनेता वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) के निधन पर आरएसएस व विश्व हिंदू परिषद की तरफ से आई प्रतिक्रियाएं ये दर्शाती हैं कि वीरभद्र सिंह विरोधी विचार के लोगों के भी प्रिय थे. यहां बता दें कि वीरभद्र सिंह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के प्रबल पक्षधर थे.
वे हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित देव परंपराओं में विश्वास रखते थे. खुद मां भीमाकाली उनकी कुलदेवी हैं. वे देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित देव मंदिरों में श्रद्धालु के रूप में अकसर यात्रा किया करते थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि वे जनता के दिल में तो राज करते ही थे, विरोधी विचार के लोगों के भी समान रूप से प्रिय थे. आरएसएस व विहिप के बयान इसी तरफ इशारा करते हैं.
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