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गांव, किसान सहित सभी को लुभाने वाला बजट, राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए फिर कर्ज का सहारा - सीएम जयराम

मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर ने दूसरी दफा पेश किए बजट में समाज के सभी वर्गों को लुभाने का प्रयास किया. हालांकि राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए सरकार फिर से कर्ज पर निर्भर होगी. इस बार का बजट 44387.73 करोड़ रुपये का है. पिछला बजट 41440 करोड़ रुपये का था.

फाइल फोटो.
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Published : Feb 10, 2019, 1:05 PM IST

शिमला: इस बजट में सरकार ने गांव, किसानों, बागवानों, युवाओं के अलावा पीटीए, पैरा शिक्षकों, जल रक्षकों, आउट सोर्स कर्मियों के अलावा समाज के सभी वर्गों के लिए कोई न कोई घोषणा की है. दिलचस्प बात है कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 1975 में लगाई गई इमरजेंसी के दौरान मीसा के तहत जेल काटने वालों के लिए 11 हजार रुपये सालाना लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि प्रदान करने का ऐलान किया गया.

फाइल फोटो.
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राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज का सहारा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज का ही सहारा है. बजट में मौजूदा वित्तीय वर्ष में 31 हजार 189 करोड़ की राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है. इस अवधि में राजस्व खर्च 33 हजार 408 करोड़ होगा. इस प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व घाटा 2,219 करोड़ रुपये होगा. सीएम ने कहा कि चालू साल में राजकोषीय घाटा 7786 करोड़ रहने का अनुमान है. चालू वित्तीय वर्ष के घाटे को पूरा करने के लिए सरकार ने 4546 करोड़ का लोन लिया.

सीएम जयराम ने सपष्ट किया कि आगामी वित्त वर्ष में राजस्व प्राप्तियां 33,747 करोड़ और राजस्व व्यय 36,089 करोड़ रहने का अनुमान है. राजस्व घाटा 2,342 करोड़ अनुमानित है. राजकोषीय घाटा 7,352 करोड़ अनुमानित है. इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार 5,069 करोड़़ का लोन लेगी. यानी सरकार की सालाना लोन लिमिट 5069 करोड़ रुपये रहेगी.

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नई योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को चुनौती
मुख्यमंत्री ने करीब तीन घंटे तक हिंदी में बजट भाषण पढ़ा. सीएम ने किसी नए टैक्स का प्रावधान नहीं किया है. चालू योजनाओं के साथ-साथ बजट में घोषित नई योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को चुनौती को खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वीकार किया है. बजट पेश करने के बाद कर्ज को लेकर पूछे गए सवाल में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावी टैक्स प्रबंधन, वैकल्पिक संसाधनों एवं विशुद्ध वित्तीय प्रबंधन व उदार केंद्रीय सहायता से आर्थिक चुनौतियों से निपटा जाएगा. हालांकि सरकार ने इस बजट में सभी वर्गों को कुछ न कुछ दिया है, लेकिन अनुबंध कर्मचारियों की नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति का जिक्र नहीं है.

फाइल फोटो.
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कहां से आएगा धन
यदि बजट को सौ रुपये माना जाए तो सरकार के खजाने में आने वाले सौ रुपये की रकम में से केंद्रीय करों से 17 रुपये हासिल होंगे. इसी तरह स्टेट टैक्सिस से 19 रुपये, गैर कर राजस्व के जरिए 6 रुपये, सहायता अनुदान से 38 रुपए, लोक ऋण से 17 रुपये के अलावा जमा व अग्रिम से 3 रुपये मिलेंगे.

सरकारी कर्मियों के वेतन पर सबसे अधिक खर्च
सौ रुपये में से यदि सरकार का खर्च देखा जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 27.84 रुपये, पेंशन पर 15 रुपये, ब्याज की अदायगी पर 10.25 रुपये, लोन के भुगतान पर 7.35 रुपये खर्च होंगे. विकास कार्यों के लिए महज 39.56 रुपये ही बचेंगे. विकास के मोर्चे पर देखें तो प्रदेश सरकार सौ रुपए में से 18 रुपये शिक्षा पर, 6 रुपये स्वास्थ्य सेवाओं पर, ग्रामीण विकास पर 4 रुपये, कृषि पर भी 4 रुपये, लोक निर्माण पर 10 रुपये, जल आपूर्ति व सफाई पर 4 रुपये, सामाजिक कल्याण सेवाओं पर 3 रुपये, पेंशन पर 15 रुपये, ब्याज अदायगी पर दस रुपये, लोन की अदायगी पर 8 रुपये खर्च करेगी.

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बजट का ब्यौरा
बजट के अनुसार योजना राशि जहां खर्च होगी, उसका ब्यौरा इस तरह है. विद्युत पर 711 करोड़, परिवहन पर 1241.98 करोड़, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 457.48 करोड़, जल आपूर्ति 458.22 करोड़, प्रारंभिक शिक्षा 387.69, उच्च शिक्षा 442.75, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद 377.66, कृषि एवं संबद्ध क्रियाकलाप 877.25, ग्रामीण विकास 133.65 और अन्य सेक्टर्स में 2012.26 करोड़ की रकम खर्च होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बजट लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि सरकार की लगातार विकास करने की नीति को सामने रखकर तैयार किया गया है.

शिमला: इस बजट में सरकार ने गांव, किसानों, बागवानों, युवाओं के अलावा पीटीए, पैरा शिक्षकों, जल रक्षकों, आउट सोर्स कर्मियों के अलावा समाज के सभी वर्गों के लिए कोई न कोई घोषणा की है. दिलचस्प बात है कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 1975 में लगाई गई इमरजेंसी के दौरान मीसा के तहत जेल काटने वालों के लिए 11 हजार रुपये सालाना लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि प्रदान करने का ऐलान किया गया.

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राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज का सहारा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज का ही सहारा है. बजट में मौजूदा वित्तीय वर्ष में 31 हजार 189 करोड़ की राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है. इस अवधि में राजस्व खर्च 33 हजार 408 करोड़ होगा. इस प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व घाटा 2,219 करोड़ रुपये होगा. सीएम ने कहा कि चालू साल में राजकोषीय घाटा 7786 करोड़ रहने का अनुमान है. चालू वित्तीय वर्ष के घाटे को पूरा करने के लिए सरकार ने 4546 करोड़ का लोन लिया.

सीएम जयराम ने सपष्ट किया कि आगामी वित्त वर्ष में राजस्व प्राप्तियां 33,747 करोड़ और राजस्व व्यय 36,089 करोड़ रहने का अनुमान है. राजस्व घाटा 2,342 करोड़ अनुमानित है. राजकोषीय घाटा 7,352 करोड़ अनुमानित है. इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार 5,069 करोड़़ का लोन लेगी. यानी सरकार की सालाना लोन लिमिट 5069 करोड़ रुपये रहेगी.

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नई योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को चुनौती
मुख्यमंत्री ने करीब तीन घंटे तक हिंदी में बजट भाषण पढ़ा. सीएम ने किसी नए टैक्स का प्रावधान नहीं किया है. चालू योजनाओं के साथ-साथ बजट में घोषित नई योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को चुनौती को खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वीकार किया है. बजट पेश करने के बाद कर्ज को लेकर पूछे गए सवाल में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावी टैक्स प्रबंधन, वैकल्पिक संसाधनों एवं विशुद्ध वित्तीय प्रबंधन व उदार केंद्रीय सहायता से आर्थिक चुनौतियों से निपटा जाएगा. हालांकि सरकार ने इस बजट में सभी वर्गों को कुछ न कुछ दिया है, लेकिन अनुबंध कर्मचारियों की नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति का जिक्र नहीं है.

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कहां से आएगा धन
यदि बजट को सौ रुपये माना जाए तो सरकार के खजाने में आने वाले सौ रुपये की रकम में से केंद्रीय करों से 17 रुपये हासिल होंगे. इसी तरह स्टेट टैक्सिस से 19 रुपये, गैर कर राजस्व के जरिए 6 रुपये, सहायता अनुदान से 38 रुपए, लोक ऋण से 17 रुपये के अलावा जमा व अग्रिम से 3 रुपये मिलेंगे.

सरकारी कर्मियों के वेतन पर सबसे अधिक खर्च
सौ रुपये में से यदि सरकार का खर्च देखा जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 27.84 रुपये, पेंशन पर 15 रुपये, ब्याज की अदायगी पर 10.25 रुपये, लोन के भुगतान पर 7.35 रुपये खर्च होंगे. विकास कार्यों के लिए महज 39.56 रुपये ही बचेंगे. विकास के मोर्चे पर देखें तो प्रदेश सरकार सौ रुपए में से 18 रुपये शिक्षा पर, 6 रुपये स्वास्थ्य सेवाओं पर, ग्रामीण विकास पर 4 रुपये, कृषि पर भी 4 रुपये, लोक निर्माण पर 10 रुपये, जल आपूर्ति व सफाई पर 4 रुपये, सामाजिक कल्याण सेवाओं पर 3 रुपये, पेंशन पर 15 रुपये, ब्याज अदायगी पर दस रुपये, लोन की अदायगी पर 8 रुपये खर्च करेगी.

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बजट का ब्यौरा
बजट के अनुसार योजना राशि जहां खर्च होगी, उसका ब्यौरा इस तरह है. विद्युत पर 711 करोड़, परिवहन पर 1241.98 करोड़, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 457.48 करोड़, जल आपूर्ति 458.22 करोड़, प्रारंभिक शिक्षा 387.69, उच्च शिक्षा 442.75, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद 377.66, कृषि एवं संबद्ध क्रियाकलाप 877.25, ग्रामीण विकास 133.65 और अन्य सेक्टर्स में 2012.26 करोड़ की रकम खर्च होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बजट लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि सरकार की लगातार विकास करने की नीति को सामने रखकर तैयार किया गया है.

हिमाचल बजट: स्टोरी-1
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गांव, किसान सहित सभी को लुभाने वाला बजट, राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए फिर कर्ज का सहारा
शिमला। मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर ने दूसरी दफा पेश किए बजट में समाज के सभी वर्गों को लुभाने का प्रयास किया है। हालांकि राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए सरकार फिर से कर्ज पर निर्भर होगी। इस बार का बजट 44387.73 करोड़ रुपए का है। पिछला बजट 41440 करोड़ रुपए का था। इस बजट में सरकार ने गांव, किसानों, बागवानों, युवाओं के अलावा पीटीए, पैरा शिक्षकों, जल रक्षकों, आउट सोर्स कर्मियों के अलावा समाज के सभी वर्गों के लिए कोई न कोई घोषणा की है। दिलचस्प बात है कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 1975 में लगाई गई इमरजेंसी के दौरान मीसा के तहत जेल काटने वालों के लिए 11 हजार रुपए सालाना लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि प्रदान करने का ऐलान किया गया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज का ही सहारा है। बजट में मौजूदा वित्तीय वर्ष में 31 हजार 189 करोड़ की राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है। इस अवधि में राजस्व खर्च 33 हजार 408 करोड़ होगा। इस प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व घाटा 2219 करोड़ रुपए होगा। उन्होंने कहा कि चालू साल में राजकोषीय घाटा 7786 करोड़ रहने का अनुमान है। चालू वित्तीय वर्ष के घाटे को पूरा करने के लिए सरकार ने 4546 करोड़ का लोन लिया। आगामी वित्त वर्ष में राजस्व प्राप्तियां 33747 करोड़ तथा राजस्व व्यय 36089 करोड़ रहने का अनुमान है। राजस्व घाटा 2342 करोड़ अनुमानित है। राजकोषीय घाटा 7352 करोड़ अनुमानित है। इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार 5069 करोड़़ का लोन लेगी। यानी सरकार की सालाना लोन लिमिट 5069 करोड़ रुपए रहेगी। मुख्यमंत्री ने करीब तीन घंटे तक हिंदी में बजट भाषण पढ़ा। सीएम ने किसी नए टैक्स का प्रावधान नहीं किया है। चालू योजनाओं के साथ साथ बजट में घोषित नई योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को चुनौती को खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वीकार किया है। बजट पेश करने के बाद कर्ज को लेकर पूछे गए सवाल में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावी टैक्स प्रबंधन, वैकल्पिक संसाधनों एवं विशुद्ध वित्तीय प्रबंधन व उदार केंद्रीय सहायता से आर्थिक चुनौतियों से निपटा जाएगा। हालांकि सरकार ने इस बजट में सभी वर्गों को कुछ न कुछ दिया है, लेकिन अनुबंध कर्मचारियों की नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति का जिक्र नहीं है। 
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कहां से आएगा धन
यदि बजट को सौ रुपए माना जाए तो सरकार के खजाने में आने वाले सौ रुपए की रकम में से केंद्रीय करों से 17 रुपए हासिल होंगे। इसी तरह स्टेट टैक्सिस से 19 रुपए, गैर कर राजस्व के जरिए 6 रुपए, सहायता अनुदान से 38 रुपए, लोक ऋण से 17 रुपए के अलावा जमा व अग्रिम से 3 रुपए मिलेंगे। 
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सरकारी कर्मियों के वेतन पर सबसे अधिक खर्च
सौ रुपए में से यदि सरकार का खर्च देखा जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 27.84 रुपए, पेंशन पर 15 रुपए, ब्याज की अदायगी पर 10.25 रुपए, लोन के भुगतान पर 7.35 रुपए खर्च होंगे। विकास कार्यों के लिए महज 39.56 रुपए ही बचेंगे। विकास के मोर्चे पर देखें तो प्रदेश सरकार सौ रुपए में से 18 रुपए शिक्षा पर, 6 रुपए स्वास्थ्य सेवाओं पर, ग्रामीण विकास पर 4 रुपए, कृषि पर भी 4 रुपए, लोक निर्माण पर 10 रुपए, जलापूर्ति व सफाई पर 4 रुपए, सामाजिक कल्याण सेवाओं पर 3 रुपए, पेंशन पर 15 रुपए, ब्याज अदायगी पर दस रुपए, लोन की अदायगी पर 8 रुपए खर्च करेगी। बजट के अनुसार योजना राशि जहां खर्च होगी, उसका ब्यौरा इस तरह है। विद्युत पर 711 करोड़, परिवहन पर 1241.98 करोड़, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 457.48 करोड़ ,जल आपूर्ति 458.22 करोड़, प्रारंभिक शिक्षा 387.69, उच्च शिक्षा 442.75, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद 377.66, कृषि एवं संबद्ध क्रियाकलाप 877.25, ग्रामीण विकास 133.65 तथा अन्य सेक्टरों में 2012.26 करोड़ की रकम खर्च होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बजट लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि सरकार की लगातार विकास करने की नीति को सामने रखकर तैयार किया गया है। 

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