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रिटायर होने के बाद शुरू की प्राकृतिक खेती, आज कमा रहे लाखों रुपये - shimla news

राज पाल सिंह ने सेना से रिटायर होने के बाद गाय सेवा और प्राकृतिक खेती को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है.वह सब्जी व सेब के बगीचों में गौमुत्र से स्प्रे करते हैं. वहीं, गोबर खाद का इस्तेमाल करते हैं. राज पाल सिंह ने पहाड़ी गायों की दुर्दशा देख लुप्त हो चुकी छोटी नस्ल की पहाड़ी गाय को लाने की कोशिश की.

Retired soldier doing natural farming in Rohru
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Published : Aug 14, 2020, 11:12 PM IST

रोहड़ू: उपमंडल के सैजी गांव के रहने वाले राज पाल सिंह ने सेना से रिटायर होने के बाद गाय सेवा और प्राकृतिक खेती को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है.

रिटायर होने के बाद राज पाल सिंह ने जब क्षेत्र में गायों की दुर्दशा देखी तो उनका मन पसीज गया और उन्होंने अपना जीवन गौ सेवा में लगाने का फैसला लिया. पिछले कुछ वर्षों से वह दिन-रात गौ सेवा में लगे रहते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

वहीं, गाय से मिलने वाले गोबर से वह प्राकृतिक खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. वह सब्जी व सेब के बगीचों में गौमुत्र से स्प्रे करते हैं. वहीं, गोबर खाद का इस्तेमाल करते हैं. राज पाल सिंह ने पहाड़ी गायों की दुर्दशा देख लुप्त हो चुकी छोटी नस्ल की पहाड़ी गाय को लाने की कोशिश की.

पहाड़ी गाय न मिलने पर उन्होंने साईवाल व रैड सिंधी प्रजाती की गाय लाकर दिन-रात उनकी सेवा की. उनका कहना है गौमूत्र और गोबर सेब के बगीचों और क्यारियों में डालने से क्वालिटी के प्रोडक्ट मिलते हैं. राज पाल सिंह ने गाय की उपयोगिता को समझते हुए अपने बागीचे में गाय के गौमूत्र से जीवाअमृत बनाने के लिए एक प्लान्ट लगाया है.

रोहड़ू: उपमंडल के सैजी गांव के रहने वाले राज पाल सिंह ने सेना से रिटायर होने के बाद गाय सेवा और प्राकृतिक खेती को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है.

रिटायर होने के बाद राज पाल सिंह ने जब क्षेत्र में गायों की दुर्दशा देखी तो उनका मन पसीज गया और उन्होंने अपना जीवन गौ सेवा में लगाने का फैसला लिया. पिछले कुछ वर्षों से वह दिन-रात गौ सेवा में लगे रहते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

वहीं, गाय से मिलने वाले गोबर से वह प्राकृतिक खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. वह सब्जी व सेब के बगीचों में गौमुत्र से स्प्रे करते हैं. वहीं, गोबर खाद का इस्तेमाल करते हैं. राज पाल सिंह ने पहाड़ी गायों की दुर्दशा देख लुप्त हो चुकी छोटी नस्ल की पहाड़ी गाय को लाने की कोशिश की.

पहाड़ी गाय न मिलने पर उन्होंने साईवाल व रैड सिंधी प्रजाती की गाय लाकर दिन-रात उनकी सेवा की. उनका कहना है गौमूत्र और गोबर सेब के बगीचों और क्यारियों में डालने से क्वालिटी के प्रोडक्ट मिलते हैं. राज पाल सिंह ने गाय की उपयोगिता को समझते हुए अपने बागीचे में गाय के गौमूत्र से जीवाअमृत बनाने के लिए एक प्लान्ट लगाया है.

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