शिमला: डॉ. राजीव बिंदल के कांधे पर पीएम नरेंद्र मोदी के मिशन-2024 हिमाचल को सफल बनाने की जिम्मेदारी डाली गई है. भाजपा हाईकमान ने काफी सोच-विचार कर डॉ. राजीव बिंदल को हिमाचल में पार्टी की कमान सौंपी है. अध्यक्ष पद के लिए हालांकि अन्य नामों पर भी विचार किया गया, लेकिन जिम्मेदारी डॉ. राजीव बिंदल के कांधों पर डाली गई. कारण ये है कि डॉ. राजीव बिंदल के पास अभी पार्टी के लिए देने को पूरा समय है. अन्य जिन नामों की चर्चा थी, वे विधायक पद की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे. चूंकि पीएम नरेंद्र मोदी के लिए 2024 का चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है, लिहाजा एक-एक लोकसभा सीट मायने रखती है.
हिमाचल में इस समय भाजपा के पास तीन सांसद हैं. अब डॉ. राजीव बिंदल को 2024 में चारों सीटें पार्टी की झोली में डालने की जिम्मेदारी है. इससे पहले नगर निगम शिमला के चुनाव में भी उनकी संगठन क्षमता कसौटी पर कसी जाएगी. पांच साल में एक बार फिर से हिमाचल भाजपा की कमान संघ के अनुशासन में तपे कुशल वक्ता और तेजतर्रार राजनेता डॉ. राजीव बिंदल के हाथ में दी गई है. सुरेश कश्यप ने हाल ही में जेपी नड्डा से मिलकर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी किसी अन्य को सौंपने का आग्रह किया था. अब भाजपा ने फिर से डॉ. बिंदल पर भरोसा जताया है.
बिंदल इस बार नाहन सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे. ऐसे में उनके पास संगठन के लिए भरपूर समय है. यही कारण है कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है. सुरेश कश्यप के कार्यकाल में भाजपा को चुनावी राजनीति में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली. उससे पहले नौ साल से अधिक के कार्यकाल में सतपाल सिंह सत्ती के नेतृत्व में पार्टी ने बेशक कई चुनाव जीते, लेकिन अब डॉ. बिंदल पर दोहरी जिम्मेदारी आई है. बिंदल पर एमसी शिमला के चुनाव में सत्ता बरकरार रखने के साथ ही अगले साल लोकसभा चुनाव में पार्टी को सफलता दिलाने की जिम्मेदारी है. उनके कंधे पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हाथ मजबूत करने का भी जिम्मा आया है.
चूंकि जेपी नड्डा हिमाचल से संबंध रखते हैं, लिहाजा एमसी शिमला के चुनावी रण में विजय पताका भी पार्टी के हाथ आए, डॉ. बिंदल को ये लक्ष्य भी साधना है. यही कारण है कि भाजपा हाईकमान ने काफी सोच-समझकर हिमाचल में पार्टी की कमान राजीव बिंदल को सौंपी है. डॉ. बिंदल भी इस बड़ी जिम्मेदारी का अहसास रखते हैं. चुनावी रणनीति में माहिर राजीव बिंदल कुशल संगठनकर्ता भी हैं. राजीव बिंदल को प्रदेश भाजपा के सभी बड़े नेताओं को साथ लेकर चलना होगा, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के साथ मजबूत बांडिंग भी रखनी होगी. यदि राजीव बिंदल की राजनीतिक कुशलता और संगठन क्षमता को देखना हो तो उनके चुनावी सफर पर नजर डालनी होगी.
साल 2000 में विधान सभा उप चुनाव जीतने से पहले वह सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष रहे. 2003 व 2007 के चुनाव सोलन विधानसभा क्षेत्र से जीते. 2012 में परिसीमन के बाद सोलन विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हलका हो गया. इस प्रकार डॉ. बिंदल को अपनी कर्मभूमि छोडऩी पड़ गई. उन्होंने नए सफर के लिए सिरमौर जिला की विधानसभा सीट नाहन का रुख किया. ये बिंदल की राजनीतिक चतुराई ही है कि नाहन पहुंचकर उन्होंने हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के गृह जिला में उनके ही बेटे कुश परमार को ही करीब 12 हजार मतों से पराजित किया.
फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नाहन में कांग्रेस प्रत्याशी अजय सोलंकी को पराजित किया. पूर्व में शिमला नगर निगम चुनाव में भाजपा की जीत का सेहरा भी डॉ. बिंदल के सिर बंधा. डॉ. राजीव बिंदल राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वर्ष 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई और जयराम ठाकुर सीएम बने तो डॉ. राजीव बिंदल ने विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर भी सदन का बेहतर संचालन कर अपनी राजनीतिक सूझबूझ स्थापित की है. उनकी पहचान कुशल वक्ता के तौर पर पहले से ही स्थापित है. हालांकि 2022 का विधानसभा चुनाव वो हार गए थे.
मधुर भाषी होना किसी भी राजनेता के सफल होने की पहली निशानी है. डॉ. बिंदल के पास ये गुण मौजूद है. खैर, अब मई महीने में ही डॉ. बिंदल की पहली परीक्षा होगी. फिर उनके लिए 2024 में चार सीटों पर पार्टी को विजय दिलाना भी एक बड़ी चुनौती होगी. नई जिम्मेदारी मिलने पर डॉ. बिंदल ने कहा कि वे पार्टी द्वारा जताए गए भरोसे पर खरा उतरने का भरपूर प्रयास करेंगे.
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