शिमला: डॉक्टर्स ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार से चल रही हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोशिएशन की 2 घंटे की पेन डॉउन हड़ताल के समर्थन में अब आईजीएमसी के रेजीडेंट डॉक्टर्स भी उतर आए हैं. बुधवार को आईजीएमसी में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक पेन डॉउन हड़ताल रखी और ओपीडी में किसी भी मरीज को चेक नहीं किया.
ओपीडी के बाहर लगी रही मरीजों की भीड़
अनलॉक होने के बाद आईजीएमसी में फिर से प्रतिदिन 2000 से अधिक ओपीडी होती है. यहां मरीज प्रदेश के दूर दराज के इलाकों से इलाज के लिए आते हैं. बुधवार को जब मरीज आईजीएमसी की ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे तो उन्हें पता लगा कि आज रेजिडेंट डॉक्टर्स 2 घंटे की हड़ताल पर हैं और 11:30 के बाद ही ओपीडी में बैठेंगे. इस दौरान मरीजों को परेशान होकर मजबूरन ओपीडी के बाहर इंताजर करना पड़ा.
रेजिडेंट डॉक्टरों के भरोसे रहती है ओपीडी
अस्पतालों में ओपीडी रेजिडेंट डॉक्टर्स के भरोसे ही चलती है. यह वो रेजिडेंट डॉक्टर होते हैं जो पीजी कर रहे होते हैं और इनका काम ओपीडी में मरीजों की प्राथमिक स्तर से जांच करना रहता है. कोई भी मरीज जब अस्पताल में आता है तो सबसे पहले उसे रेजिडेंट डॉक्टर ही चेक करते हैं. कोई भी मरीज प्रोफेसर रैंक के डॉक्टर से सीधे इलाज नहीं करवा सकता. पहले रेजिडेंट डॉक्टर ही मरीजों को चेक करते हैं.
डॉक्टर्स की पेन डॉउन हड़ताल में मेडिकल ऑफिसर संघ, आयुर्वेदिक मेडिकल संघ, वेटनरी ऑफिसर संघ शामिल हैं. इन्होंने साथ मिल कर एक मजबूत योजना बनाई है और सरकार का पुरजोर विरोध कर रहे हैं.
इसलिए किया जा रहा है सरकार का विरोध
आईजीएमसी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम भरवाल ने बताया कि उनकी मुख्य मांग पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर है. पंजाब वेतन आयोग के तहत प्रैक्टिस अलाउंस 25 से 20 फीसदी कर बेसिक वेतन से डी-लिंक करने का डॉक्टरों में रोष है. इसके साथ डॉक्टर्स के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की घटनाओं की वह निंदा करते हैं. डॉक्टर्स की यह हड़ताल पूरे प्रदेश में चल रही है और इसमें अब रेजिडेंट डॉक्टर्स भी शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार हमें कोरोना वॉरियर कहती है लेकिन कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है.
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